इतनी शक्ति हमें देना दाता मन् का वीश्वास कमजोर हो ना हम चलें नेक रस्ते पे हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना… हर तरफ ज़ुल्म है बेबसी है सहमा सहमा सा हर आदमी है पाप का बोझ बढ़ता ही जाये जाने कैसे ये धरती थमी है बोझ ममता का तू ये उठा ले तेरी रचना का ये अंत हो …
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