यमुना–तीरे मुस्कुरा रहा। चाँदनी रात में नहा रहा। स्तब्ध, मौन कुछ बोलो तो। कुछ बात व्यथा की ही कह दो अथवा इतिहास बता रख दो। अपनी सुषमा का भेद सही, कुछ खोलो तो। गहराने दो कुछ रात और। तन जाने दो कुछ तार और। तब चला अँगुलियाँ, गीत छेड़ कुछ खोलें भी। उस नील परी सी शहजादी, एक शंहशाह के …
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