जानें क्यों तुमसे मिलने की आशा कम‚ विश्वास बहुत है। सहसा भूली याद तुम्हारी उर में आग लगा जाती है विरहातप भी मधुर मिलन के सोये मेघ जगा जाती है‚ मुझको आग और पानी में रहने का अभ्यास बहुत है जानें क्यों तुमसे मिलने की आशा कम‚ विश्वास बहुत है। धन्य धन्य मेरी लघुता को‚ जिसने तुम्हें महान बनाया‚ धन्य …
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