Indeevar

श्यामलाल बाबू राय उर्फ़ इन्दीवर (जन्म- 15 अगस्त, 1924, झाँसी, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 27 फ़रवरी, 1997, मुम्बई) भारत के प्रसिद्ध गीतकारों में गिने जाते थे। इनके लिखे सदाबहार गीत आज भी उसी शिद्‌दत व एहसास के साथ सुने व गाए जाते हैं, जैसे वह पहले सुने व गाए जाते थे। इन्दीवर ने चार दशकों में लगभग एक हज़ार गीत लिखे, जिनमें से कई यादगार गाने फ़िल्‍मों की सुपर-डुपर सफलता के कारण बने। ज़िंदगी के अनजाने सफ़र से बेहद प्यार करने वाले हिन्दी सिनेमा जगत के मशहूर शायर और गीतकार इन्दीवर का जीवन के प्रति नज़रिया उनकी लिखी हुई इन पंक्तियों- "हम छोड़ चले हैं महफ़िल को, याद आए कभी तो मत रोना" में समाया हुआ है।

मल दे गुलाल मोहे आई होली आई रे: गीतकार इन्दीवर का लोकप्रिय फिल्मी गीत

मल दे गुलाल मोहे आई होली आई रे- इन्दीवर

मल दे गुलाल मोहे आई होली आई रे: Kaamchor is a 1982 Indian Hindi movie. Produced by Rakesh Roshan the film is directed by K. Viswanath, a remake of his Telugu film Subhodayam (1980). The film stars Rakesh Roshan, Jaya Prada, Tanuja, Sujit Kumar, Suresh Oberoi, Shreeram Lagoo and Bhagwan Dada. The films music is by the producer and lead …

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बहना ने भाई की कलाई से प्यार बाँधा है: इन्दीवर

Raksha Bandhan Top Bollywood Song बहना ने भाई की कलाई से प्यार बाँधा है

Resham Ki Dori (1974) Movie Plot: Ajit and Rajoo become orphans. Ajit, as the older brother takes care of his younger sister, at great personal sacrifice. When he tries to save his sister from sexual assault, death occurs. Is Ajit responsible? He emerges as Vinod from jail. In English the loose translation of the title would be “a silken thread” …

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आने वाले कल की तुम तस्वीर हो: इन्दीवर

आने वाले कल की तुम तस्वीर हो: इन्दीवर

आने वाले कल की तुम तस्वीर हो नाज करेगी दुनिया तुम पर दुनिया की तक़दीर हो आने वाले कल की तुम तस्वीर हो नाज करेगी दुनिया तुम पर दुनिया की तक़दीर हो। तुम हो किसी कुटिया के दीपक जग में उजाला कर दोगे भोली भाली मुस्कानों से सबकी झोली भर दोगे हस्ते चलो ज़माने में तुम चलता हुआ एक तीर …

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जब जीरो दिया मेरे भारत ने – इन्दीवर

जब जीरो दिया मेरे भारत ने - इन्दीवर

जब जीरो दिया मेरे भारत ने, दुनिया को तब गिनती आयी, तारो की भाषा भारत ने, दुनिया को पहले सिखलाई, देता ना दशमलव भारत तो, यू चांद पे जाना मुश्किल था, धरती और चांद की दूरी का अंदाजा लगाना मुश्किल था, सभ्यता जहाँ पहले आयी, पहले जन्मी है जहाँ पे कला, अपना भारत वो भारत है, जिस के पीछे संसार …

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दुल्हन चली, ओ पहन चली, तीन रंग की चोली – इन्दीवर

दुल्हन चली, ओ पहन चली, तीन रंग की चोली - इन्दीवर

पूरब में सूरज ने छेड़ी जब किरणों की शहनाई चमक उठा सिन्दूर गगन पे पश्चिम तक लाली छाई दुल्हन चली, ओ पहन चली, तीन रंग की चोली बाहों मे लहराये गंगा जमुना, देख के दुनिया डोली दुल्हन चली, ओ पहन चली ताजमहल जैसी ताज़ा है सूरत चलती फिरती अजंता की मूरत मेल मिलाप की मेहंदी रचाए, बलिदानों की रंगोली दुल्हन …

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ये बन्धन तो प्यार का बन्धन है – इन्दीवर

कु — सूरज कब दूर गगन से चंदा कब दूर किरन से ख़ुश्बू कब दूर पवन से कब दूर बहार चमन से अ — ये बन्धन तो प्यार का बन्धन है जनमों का संगम है उ — ये बन्धन तो… अ — सूरज कब दूर… उ — ख़ुश्बू कब दूर… अ — ये बन्धन तो… अ — तुम ही मेरे …

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