4to40.com

Karma Vairagya Yoga-Bhagavad Gita Chapter 5

Karma Vairagya Yoga-Bhagavad Gita Chapter 5

Karma Vairagya Yoga-Bhagavad Gita Chapter 5 [Action and Renunciation] Arjun Said > Shaloka: 1 English O Krishna, first of all You ask me to renounce work, and then again You recommend work with devotion. Now will You kindly tell me definitely which of the two is more beneficial? Purport In this Fifth Chapter of the Bhagavad-gita, the Lord says that …

Read More »

Jnana Yoga-Bhagavad Gita Chapter 4

Jnana Yoga-Bhagavad Gita Chapter 4

Jnana Yoga-Bhagavad Gita Chapter 4 [Approaching the Ultimate Truth] Krishna Said > Shaloka: 1 English I instructed this imperishable science of yoga to the sun-god, Vivasvan, and Vivasvan instructed it to Manu, the father of mankind, and Manu in turn instructed it to Iksvaku. Purport Herein we find the history of the Bhagavad-gita traced from a remote time when it …

Read More »

घर वापसी – राजनारायण बिसारिया

घर लौट के आया हूँ, यही घर है हमारा परदेश बस गए तो तीर न मारा। ठंडी थीं बर्फ की तरह नकली गरम छतें, अब गुनगुनाती धुप का छप्पर है हमारा। जुड़ता बड़ा मुश्किल से था इंसान का रिश्ता मौसम की बात से शुरू औ’ ख़त्म भी, सारा। सुविधाओं को खाएँ–पीएँ ओढ़ें भी तो कब तक अपनों के बिना होता …

Read More »

Karma Yog-Bhagavad Gita Chapter 3

Karma Yog-Bhagavad Gita Chapter 3

Karma Yog-Bhagavad Gita Chapter 3 [The Eternal Duties of a Human Beings] Arjun Said > Shaloka: 1 English O Janardana, O Kesava, why do You urge me to engage in this ghastly warfare, if You think that intelligence is better than fruitive work? Purport The Supreme Personality of Godhead Sri Krsna has very elaborately described the constitution of the soul …

Read More »

इधर भी गधे हैं‚ उधर भी गधे हैं – ओम प्रकाश आदित्य

इधर भी गधे हैं‚ उधर भी गधे हैं जिधर देखता हूं‚ गधे ही गधे हैं गधे हंस रहे‚ आदमी रो रहा है हिंदोस्तां में ये क्या हो रहा है जवानी का आलम गधों के लिये है ये रसिया‚ ये बालम गधों के लिये है ये दिल्ली‚ ये पालम गधों के लिये हैै ये संसार सालम गधों के लिये है पिलाए …

Read More »

हम न रहेंगे – केदार नाथ अग्रवाल

हम न रहेंगे तब भी तो यह खेत रहेंगे, इन खेतों पर घन लहराते शेष रहेंगे, जीवन देते प्यास बुझाते माटी को मदमस्त बनाते श्याम बदरिया के लहराते केश रहेंगे। हम न रहेंगे तब भी तो रतिरंग रहेंगे, लाल कमल के साथ पुलकते भृंग रहेंगे, मधु के दानी मोद मनाते भूतल को रससिक्त बनाते लाल चुनरिया में लहराते अंग रहेंगे। …

Read More »

Sankhaya Yog-Bhagavad Gita Chapter 2

Sankhaya Yog-Bhagavad Gita Chapter 2

Sankhaya Yog-Bhagavad Gita Chapter 2 [Contents of the Gita Summarized] Sanjaya Said > Shaloka: 1 English Seeing Arjuna full of compassion and very sorrowful, his eyes brimming with tears, Madhusudana, Krsna, spoke the following words. Purport Material compassion, lamentation and tears are all signs of ignorance of the real self. Compassion for the eternal soul is self-realization. The word “Madhusudana” …

Read More »

साँप – धनंजय सिंह

अब तो सड़कों पर उठाकर फन चला करते हैं साँप सारी गलियां साफ हैं कितना भला करते हैं साँप। मार कर फुफकार कहते हैं ‘समर्थन दो हमें’ तय दिलों की दूरियों का फासला करते हैं साँप। मैं भला चुप क्यों न रहता मुझको तो मालूम था नेवलों के भाग्य का अब फैसला करते हैं साँप। डर के अपने बाजुओं को …

Read More »

सच हम नहीं सच तुम नहीं – जगदीश गुप्त

सच हम नहीं सच तुम नहीं, सच है सतत संघर्ष ही। संघर्ष से हट कर जिये तो क्या जिये हम या कि तुम, जो नत हुआ वह मृत हुआ‚ ज्यों वृन्त से झर कर कुसुम, जो पंथ भूल रुका नहीं‚ जो हार देख झुका नहीं‚ जिसने मरण को भी लिया हो जीत‚ है जीवन वही, सच हम नहीं सच तुम …

Read More »

साक्षात्कार – श्रीप्रकाश शुक्ल

ऍम एस सी मैथ्स के प्रविष्टि हेतु चयन होने थे गुप्ता जी दाखिल हुए सामान्य कद चेहरा भोला साथ पुस्तकों से भरा खद्दर का झोला प्रश्न पूछे जाते गुप्ता जी उत्सुकता से उचकते फिर बैठ जाते गुप्ता जी उत्तर जानते थे अकुलाते भाषा की दुरुहता से बता नहीं पाते थे अक्स्मात् टूट पड़ा शब्दों में मुखरित यों फूट पड़ा “कछु …

Read More »