चिट्ठियाँ भिजवा रहा है गाँव, अब घर लौट आओ। थरथराती गंध पहले बौर की कहने लगी है, याद माँ के हाथ पहले कौर की कहने लगी है, थक चुके होंगे सफ़र में पाँव अब घर लौट आओ। कह रही है जामुनी मुस्कान फूली है निबोरी कई वर्षों बाद खोली है हरेपन ने तिजोरी फिर अमोले माँगते हैं दाँव अब घर …
Read More »घर की बात – प्रेम तिवारी
जाग–जागे सपने भागे आँचल पर बरसात मैं होती हूँ, तुम होते हो सारी सारी रात। नीम–हकीम मर गया कब का घर आँगन बीमार बाबू जी तो दस पैसा भी समझे हैं दीनार ऊब गयी हूँ कह दूंगी मैं ऐसी–वैसी बात। दादी ठहरीं भीत पुरानी दिन दो दिन मेहमान गुल्ली–डंडा खेल रहे हैं बच्चे हैं नादान टूटी छाजन झेल न पाएगी …
Read More »गीली शाम – चन्द्रदेव सिंह
तुम तो गये केवल शब्दों के नाम पलकों की अरगनी पर टांग गये शाम। एक गीली शाम। हिलते हवाओं में तिथियों के लेखापत्र एक–एक कर सारे फट गये केवल पीलपन – पीलापन मुंडेरों पर‚ फसलें पर‚ पेड़ों पर सूरज के और रंग किरनों से छंट गये। बूढ़ी ऋतुओं को हो चला है जुकाम। तुम तो दे गये केवल शब्दों के …
Read More »अनार तेरे गुण अनेक-Benefits of Pomegranate
अनार तेरे गुण अनेक-Benefits of Pomegranate विश्व भर में काबुल तथा कंधार के लाल अनार सबसे उत्तम होते हैं। इस फल का सब कुछ उपयोग में आता है। पूरा फल, बीज, फूल, छाल सब में औषधीय गुण हैं: यदि पेट में चपटे कृमि हो जाएं तो इस पेड़ की जड़ का चूर्ण खाना चाहिए। कृमि मर कर शौच से बाहर …
Read More »पीर मेरी – वीरेंद्र मिश्र
पीर मेरी कर रही ग़मग़ीन मुझको और उससे भी अधिक तेरे नयन का नीर, रानी और उससे भी अधिक हर पांव की जंजीर, रानी। एक ठंडी सांस की डोरी मुझे बांधे बंधनों का भार तेरा प्यार है साधे भार अपना कुछ नहीं, देखें अगर उनको जा रहे जो मौन पर्वत पीठ पर लादे भूल मेरी कर रही ग़मग़ीन मुझको और …
Read More »याचना – रघुवीर सहाय
युक्ति के सारे नियंत्रण तोड़ डाले‚ मुक्ति के कारण नियम सब छोड़ डाले‚ अब तुम्हारे बंधनों की कामना है। विरह यामिनि में न पल भर नींद आयी‚ क्यों मिलन के प्रात वह नैनों समायी‚ एक क्षण में ही तो मिलन में जागना है। यह अभागा प्यार ही यदि है भुलाना‚ तो विरह के वे कठिन क्षण भूल जाना‚ हाय जिनका …
Read More »यह बात किसी से मत कहना – देवराज दिनेश
तेरे पिंजरे का तोता तू मेरे पिंजरे की मैना यह बात किसी से मत कहना। मैं तेरी आंखों में बंदी तू मेरी आंखों में प्रतिक्षण मैं चलता तेरी सांस–सांस तू मेरे मानस की धड़कन मैं तेरे तन का रत्नहार तू मेरे जीवन का गहना! यह बात किसी से मत कहना!! हम युगल पखेरू हंस लेंगे कुछ रो लेंगे कुछ गा …
Read More »यह बच्चा कैसा बच्चा है – इब्ने इंशा
यह बच्चा कैसा बच्चा है यह बच्चा काला-काला-सा यह काला-सा, मटियाला-सा यह बच्चा भूखा-भूखा-सा यह बच्चा सूखा-सूखा-सा यह बच्चा किसका बच्चा है यह बच्चा कैसा बच्चा है जो रेत पर तन्हा बैठा है ना इसके पेट में रोटी है ना इसके तन पर कपड़ा है ना इसके सर पर टोपी है ना इसके पैर में जूता है ना इसके पास …
Read More »कल्पना और जिंदगी – वीरेंद्र मिश्र
दूर होती जा रही है कल्पना पास आती जा रही है ज़िंदगी चाँद तो आकाश में है तैरता स्वप्न के मृगजाल में है घेरता उठ रहा तूफान सागर में यहाँ डगमगाती जा रही है ज़िंदगी साथ में लेकर प्रलय की चाँदनी चीखते हो तुम कला की रागिनी दे रहा धरना यहाँ संघर्ष है तिलमिलाती जा रही है ज़िंदगी स्वप्न से …
Read More »नवजात शिशु में संक्रमण-Neonatal Infections
न्यूटेलस सेप्टीसीमिया (नवजात में संक्रमण): नवजात शिशुओं में गंभीर बीमारी एवं मृत्यु का एक मुख्य कारण है। नवजात शिशु में संक्रमण कहाँ से आता है ? संक्रमण अधिकतर माँ से आता है। माँ को बुखार, योनि का संक्रमण, बार – बार असुरक्षित योनि परिक्षण, कुपोषण, इत्यादि से संक्रमण बच्चे में आता है। जन्म पश्चात बच्चे की नाल को असुरक्षित औज़ार …
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