विदा की घड़ी है कि ढप ढप ढपाढप बहे जा रहे ढोल के स्वर पवन में, वधू भी जतन से सजाई हुई–सी लजाई हुई–सी, पराई हुई–सी, खड़ी है सदन में, कि घूँघट छिपाए हुए चाँद को है न जग देख पाता मगर लाज ऐसी, कि पट ओट में भी पलक उठ न पाते, हृदय में जिसे कल्पना ने बसाया नयन …
Read More »क्या कहा? – जेमिनी हरियाणवी
आप हैं आफत‚ बलाएं क्या कहा? आपको हम घर बुलाएं‚ क्या कहा? खा रही हैं देश को कुछ कुर्सियां‚ हम सदा धोखा ही खाएं‚ क्या कहा? ऐसे वैसे काम सारे तुम करो‚ ऐसी–तैसी हम कराएं‚ क्या कहा? आज मंहगाई चढ़ी सौ सीढ़ियां‚ चांद पर खिचड़ी पकाएं‚ क्या कहा? आप ताजा मौसमी का रस पियें‚ और हम कीमत चुकाएं‚ क्या कहा? …
Read More »स्त्री बनाम इस्तरी – जेमिनी हरियाणवी
एक दिन एक पड़ोस का छोरा मेरे तैं आके बोल्या ‘चाचा जी अपनी इस्त्री दे द्यो’ मैं चुप्प वो फेर कहन लागा : ‘चाचा जी अपनी इस्त्री दे द्यो ना?’ जब उसने यह कही दुबारा मैंने अपनी बीरबानी की तरफ कर्यौ इशारा : ‘ले जा भाई यो बैठ्यी।’ छोरा कुछ शरमाया‚ कुछ मुस्काया फिर कहण लागा : ‘नहीं चाचा जी‚ …
Read More »Truth Quotes in Hindi
सत्य, सच, सत्यार्थ से मिलते जुलते शब्दों से बने कुछ प्रसिद्ध विचार आपके विचार आपके जीवन का निर्माण करते हैं. यहाँ संग्रह किये गए महान विचारकों के हज़ारों कथन आपके जीवन में एक सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं.
Read More »निर्वाण षटकम् – आदि शंकराचार्य
मनोबुद्धय्हंकार चित्तानि नाहं श्रोत्रजिव्हे न च घ्राणनेत्रे न च व्योमभूमिर्न तेजो न वायुः चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम ॥1॥ मैं न तो मन हूं‚ न बुद्धि‚ न अहांकार‚ न ही चित्त हूं मैं न तो कान हूं‚ न जीभ‚ न नासिका‚ न ही नेत्र हूं मैं न तो आकाश हूं‚ न धरती‚ न अग्नि‚ न ही वायु हूं मैं तो मात्र शुद्ध …
Read More »जितना नूतन प्यार तुम्हारा – स्नेहलता स्नेह
जितना नूतन प्यार तुम्हारा उतनी मेरी व्यथा पुरानी एक साथ कैसे निभ पाये सूना द्वार और अगवानी। तुमने जितनी संज्ञाओं से मेरा नामकरण कर डाला मैंनें उनको गूँथ-गूँथ कर सांसों की अर्पण की माला जितना तीखा व्यंग तुम्हारा उतना मेरा अंतर मानी एक साथ कैसे रह पाये मन में आग, नयन में पानी। कभी कभी मुस्काने वाले फूल-शूल बन जाया …
Read More »क्योंकि अब हमें पता है – मनु कश्यप
क्योंकि अब हमें पता है कितने भाग्यशाली हैं वे लोग जो आंखें मूंद कर हाथ जोड़ कर सुनते हैं कथा कह देते हैं अपनी सब व्यथा मांग लेते हैं वरदान पालनहारे से। और हम पढ़ कर चिंतन मनन कर हुए पंडित नहीं कर पाते यह सब क्योंकि अब हमें पता है नहीं है कोई पालनहारा। अनायास ही उपजे हैं हम …
Read More »महाशिवरात्रि पर्व का महत्त्व
शिवपुराण के अनुसार सृष्टि के निर्माण के समय महाशिवरात्रि की मध्यरात्रि में शिव का रूद्र रूप प्रकट हुआ था। महाशिवरात्रि के विषय में मान्यता है कि इस दिन भगवान भोलेनाथ का अंश प्रत्येक शिवलिंग में पूरे दिन और रात मौजूद रहता है। इस दिन शिव जी की उपासना और पूजा करने से शिव जी जल्दी प्रसन्न होते हैं। हिन्दुओं के …
Read More »