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हुल्ले नी माइ हुल्ले दो बेरी पत्ता झुल्ले: लोहड़ी लोक गीत

Lohri Folk Song हुल्ले नी माइ हुल्ले दो बेरी पत्ता झुल्ले

Lohri is a popular winter time Punjabi folk festival, celebrated primarily by Sikhs and Hindus from the Punjab region in the northern part of Indian subcontinent. The significance and legends about the Lohri festival are many and these link the festival to the Punjab region. Many people believe the festival commemorates the passing of the winter solstice. Lohri marks the …

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भारत के त्यौहार Hindi Poem on Indian Festivals

Hindi Poem on Indian Festivals भारत के त्यौहार

भारत के त्यौहार: भारत त्यौहारों की भूमि है। भारतवर्ष में प्राचीन काल से ही उत्सव और त्यौहारों की परम्परा रही हैं। इसमें विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के लोग रहते है और इस प्रकार यहाँ कई धार्मिक त्यौहार मनाये जाते हैं। उत्सव धर्म का एक अभिन्न अंग हैं। भारत में तीन राष्ट्रीय त्यौहार भी मनाए जाते है। उत्सव के मौसम के …

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मकई दा दाना, आना ले के जाना: लोहड़ी लोक गीत

Lohri Folk Song मकई दा दाना, आना ले के जाना

मकई दा दाना, आना ले के जाना “Mukai da dana, Aana lei ke janahulle hulareasi ganga chalesas sora chalejeth jathani chaledyor darani chalepairi shaunkan chalihulle hulareasi ganga pohnchesas sora pohnchejeth jathani pohnchedyor darani pohnchepairi shaunkan pohnchihulle hulareasi ganga nahte shava or hullejeth jathani nahtedyor darani nahtepairi shaunkan nahtiihulle hulareshaunkan paili paurishaunkan duji paurishaunkan tiji paurimaiti dhakka dittashaukan vichhe rud gayihulle …

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युवा दिवस: स्वामी विवेकानंद जयंती पर जानकारी

युवा दिवस: स्वामी विवेकानंद जयंती पर जानकारी

युवा दिवस: स्वामी विवेकानंद जयंती – 12 January उन्नीसवीं शताब्दी में विदेशी शासन की दासता से दुखी और शोषित हो रही भारतीय जनता को जिन महापुरुषों ने अंग्रेजों के विरुद्ध संर्घष के लिए प्रोत्साहित किया उनमें, स्वामी विवेकानंद जी प्रमुख थे। अपनी ओजस्वी वांणी से उन्होने जन-मानस के मन में स्वतंत्रता का शंखनाद किया। अपनी मातृभूमि के प्रति उनके मन में अत्यधिक सम्मान …

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स्वामी विवेकानंद की जीवनी विद्यार्थियों और बच्चों के लिए

Swami Vivekananda Biography in Hindi स्वामी विवेकानंद की जीवनी व इतिहास

स्वामी विवेकानंद की जीवनी: भारतीय संस्कृति को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने वाले महापुरुष स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को सूर्योदय से 6 मिनट पूर्व 6 बजकर 33 मिनट 33 सेकेन्ड पर हुआ। भुवनेश्वरी देवी के विश्वविजयी पुत्र का स्वागत मंगल शंख बजाकर मंगल ध्वनी से किया गया। ऐसी महान विभूती के जन्म से भारत माता भी …

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स्वामी विवेकानंद से जुड़े कुछ रोचक किस्से

स्वामी विवेकानंद से जुड़े कुछ रोचक किस्से

स्वामी विवेकानंद से जुड़े कुछ रोचक किस्से: स्वामी विवेकानंद की 115वीं पुण्यतिथि 4 जुलाई, 2017 को थी। स्वामी जी ने शिकागो की धर्म संसद में भाषण देकर दुनिया को ये एहसास कराया कि भारत विश्व गुरु है। अमेरिका जाने से पहले स्वामी विवेकानंद जयपुर के एक महाराजा के महल में रुके थे। यहां एक वेश्या ने उन्हें एहसास कराया कि …

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स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार विद्यार्थियों के लिए

स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार Swami Vivekananda Quotes in Hindi

  स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार: स्वामी विवेकानन्द (जन्म: 12 January 1863, Kolkata – मृत्यु: 4 July 1902, Belur) वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का आध्यात्मिकता से …

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स्वामी विवेकानंद के भाषण पर प्रेरणादायक कविता

स्वामी विवेकानंद के भाषण पर प्रेरणादायक कविता

शिकागो धर्म सम्मेलन, 1893 में दिया गया भाषण स्वामी विवेकानंद पर कविता अमरीकी भाई बहनो कह, शुरू किये जब उद्बोधन। धर्म सभा स्तब्ध हुई थी, सुनकर उनका सम्बोधन॥आया उस प्राचीन देश से, जो संतो की है नगरी। पाया हूँ सम्मान यहाँ जो, भरी हर्ष से मन गगरी॥मेरा है वो धर्म जिसे सब, कहते धर्मो की माता। धरा गगन में होने वाली, हर हलचल …

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स्वामी विवेकानंद जी की कविता: सागर के वक्ष पर

युवा दिवस: स्वामी विवेकानंद जयंती पर जानकारी

सागर के वक्ष पर: स्वामी विवेकानंद जी नील आकाश में बहते हैं मेघदल,श्वेत कृष्ण बहुरंग,तारतम्य उनमें तारल्य का दीखता,पीत भानु-मांगता है विदा,जलद रागछटा दिखलाते।बहती है अपने ही मन से समीर,गठन करता प्रभंजन,गढ़ क्षण में ही, दूसरे क्षण में मिटता है,कितने ही तरह के सत्य जो असम्भव हैं –जड़ जीव, वर्ण तथा रूप और भाव बहु।आती वह तुलाराशि जैसी,फिर बाद ही …

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काली माता: स्वामी विवेकानंद की कविता

काली माता: स्वामी विवेकानंद की कविता

  काली माता: स्वामी विवेकानंद छिप गये तारे गगन के,बादलों पर चढ़े बादल,काँपकर गहरा अंधेरा,गरजते तूफान में, शतलक्ष पागल प्राण छूटेजल्द कारागार से–द्रुमजड़ समेत उखाड़कर, हरबला पथ की साफ़ करके।शोर से आ मिला सागर,शिखर लहरों के पलटतेउठ रहे हैं कृष्ण नभ कास्पर्श करने के लिए द्रुत,किरण जैसे अमंगल कीहर तरफ से खोलती हैमृत्यु-छायाएँ सहस्रों,देहवाली घनी काली।आधिन्याधि बिखेग्ती, ऐनाचती पागल हुलसकरआ, …

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