देवभूमि उत्तराखण्ड धार्मिक आस्थाओं का प्रतीक है। संसार भर में यह अपने मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहीं पर अवस्थित है एक ऐसा मंदिर जहां विश्व भर से ऐसे भक्त आते हैं जिन्हें कहीं न्याय नहीं मिलता वह यहां आ कर अपनी अर्जी लगाते हैं और मनवांछित वर पाते हैं। एक अन्य वजह जो इस मंदिर को खास बनाती है …
Read More »Girls spend 10 hours daily on cellphone
Women college students spend an average of 10 hours a day on their cellphones and male college students spend nearly eight, reveals new research from a US university. “That is astounding,” said lead study author James Roberts, professor at Baylor University in Texas, US. The findings suggest that excessive cellphone use poses potential risks for academic performance. “As cellphone functions …
Read More »Eid-Ul-Zuha
Eid-Ul-Zuha – It is one of the grandest Muslim festivals, and is also known as Bakrid. It fails on the 10th day of the Muslim month Zil-Hijja. There is an interesting story about the celebration. Once Hazrat lbrahim was ordered by Allah in a dream to sacrifice his dearest thing. To lbrahim his son was the dearest, So, he decided to …
Read More »रोबोट्स की अनूठी प्रदर्शनी
हमारे जीवन में रोबोट्स का अस्तित्व अब कोई दूर का ख्वाब नहीं है। इन दिनों उत्तरी आयरलैंड के बेलफ़ास्ट शहर में टाइटैनिक बेलफ़ास्ट में लगी वार्षिक ग्रीष्म प्रदर्शनी में 50 रोबोट्स प्रदर्शित किए गए है। 15 सितम्बर तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में दिखाए जा रहे ये रोबोट स्कॉटलैंड के म्यूजियम ऑफ मूवी मैजिक के है। इस संग्रह में पर्सनल …
Read More »Meer Taqi Meer: Famous 10 couplets
Mirza Ghalib once said this about Meer Taqi Meer, another renowned poet of his time: “Reekhta kay tumhi ustaad nahi ho Ghalib, Kehte hain agle zamane me koi Mir bhi tha. “(You are not the only master of Urdu, Ghalib. They say there used to be a Mir in the past).” Born in Agra on September 20, 1723, Meer is …
Read More »अपनापन – बुद्धिसेन शर्मा
चिलचिलाती धूप में सावन कहाँ से आ गया आप की आँखों में अपनापन कहाँ से आ गया। जब वो रोया फूट कर मोती बरसने लग गये पास एक निर्धन के इतना धन कहाँ से आ गया। दूसरों के ऐब गिनवाने का जिसको शौक था आज उसके हाथ में दरपन कहाँ से आ गया। मैं कभी गुज़रा नहीं दुनियाँ तेरे बाज़ार …
Read More »कर्नाटक के शिमोगा ज़िले में बसा मत्तूरु गाँव – जहाँ केवल संस्कृत बोली जाती है
कर्नाटक – जिला शिमोगा स्थित मत्तूरु गाँव एक ऐसा गाँव है जहां का बच्चा बच्चा संस्कृत में बात करता है फिर चाहे वह हिंदू हों या मुसलमान। इस गांव में रहने वाले सभी लोग संस्कृत में ही बात करते हैं। तुंग नदी के किनारे बसा ये गांव बेंगलुरु से ३०० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस गांव में संस्कृत प्राचीनकाल से …
Read More »कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना – आनंद बक्षी
कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना छोड़ो बेकार की बातों में कहीं बीत ना जाए रैना कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना कुछ रीत जगत की ऐसी है, हर एक सुबह की शाम हुई तू कौन है, तेरा नाम है क्या, सीता भी यहाँ बदनाम हुई फिर क्यूँ संसार की बातों से, भीग गये …
Read More »प्रम्बानन मंदिर, जावा, इंडोनेशिया
विश्व भर में भगवान शिव के बहुत से मंदिर हैं। जहां वो विभिन्न देवी-देवताओं के साथ अलग-अलग नामों से पूजे जाते हैं। तो आईए आज आपको यात्रा करवाते हैं 10वीं शताब्दी में बने इंडोनेशिया के जावा में स्थित प्रम्बानन मंदिर की जोकि शहर से औसतन 17 कि.मी. की दूरी पर है। इस मंदिर में भगवान शिव के साथ भगवती दुर्गा …
Read More »Maqbool Fida Husain
Maqbool Fida Husain (17 September 1915 – 9 June 2011) commonly known as M.F. Husain, was an Indian painter and Film Director. In 1967, He has received the National Film Award for Best Experimental Film for Through The Eyes of a Painter. In 2004, he directed Meenaxi: A Tale of Three Cities, which was screened in the Marché du Film section …
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