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बिस्कुट का पेड़

मेरी प्यारी अच्छी नानी, सुनाओ ऐसी एक कहानी। जिसमें हो बिस्कुट का पेड़ हो चॉकलेट टॉफ़ी का ढेर। पापा जब दफ्तर से आएं, खूब खिलौने संग में लाएं। मेरी प्यारी अच्छी नानी, हमें सुनाओ एक कहानी।

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बिल्ली रानी – जितेंद्र कुमार ‘वैद’

कितनी प्यारी, कितनी न्यारी, बिल्ली रानी है अनूठी, चुपके से अंदर यूँ घूस जाती, पता चलने न देती। पैर भी उनके बजते नहीं, दूध खीर पी जाती, कुछ न छोड़ती, सारा चाट कर जाती। मौक़ा मिलते ही बिल्ली रानी अपना पेट भर लेती, घर वाले देखते रह जाते, बिल्ली रानी अपना काम कर लेती, फिर भी सबको प्यारी लगती बिल्ली …

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बन्दर मामा – मनीष पाण्डेय

एक पेड़ पर नदी किनारे, बन्दर मामा रहते थे। वर्षा गर्मी सर्दी उसी पेड़ पर रहते थे। भूख मिटाने को बगिया से चुन चुन फल खाया करते। य़ा छीन झपट बच्चों से ये चीजें ले आया करते। खा पी सेठ हुए मामा जी, झूम झूम इठलाते थे। और नदी के मगर मौसिया देख देख ललचाते थे। सोचा करते अगर कहीं …

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बिल्ली मौसी, बिल्ली मौसी

बिल्ली मौसी, बिल्ली मौसी, कहो कहाँ से आई हो? कितने चूहे मारे तुमने, कितने खा का आई हो? क्या बताऊँ लोमड़ भाई, आज नहीं कुछ पेट भरा। एक ही चूहा पाया मैंने, वह भी बिलकुल सड़ा हुआ।  

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भारत माँ के लाल – तरुश्री माहेश्वरी

हम हैं भारत माँ के लाल यूँ तो हम कहलाते बाल, भारत की शान बढ़ाएंगे इस पर शीश झुकाएँगे। जो हम से टकराएगा मुफ्त में मारा जाएगा, कह दो इस जहाँ से पंगा न ले हिंदुस्तान से। कहने को हमें जोश नहीं ये मत समझो होश नहीं, यह देश जो हमें बुलाएगा हर बच्चा शीश कटाएगा। ∼ तरुश्री माहेश्वरी

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इक ओंकार सतनाम करता पुरख – हर्षदीप कौर

इक ओंकार सतनाम करता पुरख निर्मोह निर्वैर अकाल मूरत अजूनी सभम गुरु परसाद जप आड़ सच जुगाड़ सच है भी सच नानक होसे भी सच सोचे सोच न हो वे जो सोची लाख वार छुपे छुप न होवै जे लाइ हर लख्तार उखिया पुख न उतरी जे बनना पूरिया पार सहास्यांपा लाख वह है ता एक न चले नाल के …

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चित्र – नरेश अग्रवाल

चित्र से उठते हैं तरह-तरह के रंग लाल-पीले-नीले-हरे आकर खो जाते हैं हमारी आंखों में फिर भी चित्रों से खत्म नहीं होता कभी भी कोई रंग। रंग अलग-अलग तरह के कभी अपने हल्के स्पर्श से तो कभी गाढ़े स्पर्श से चिपके रहते हैं, चित्र में स्थित प्रकृति और जनजीवन से। सभी चाहते हैं गाढ़े रंग अपने लिए लेकिन चित्रकार चाहता …

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चित्रकार – नरेश अग्रवाल

]मैं तेज़ प्रकाश की आभा से लौटकर छाया में पड़े कंकड़ पर जाता हूँ वह भी अंधकार में जीवित है उसकी कठोरता साकार हुई है इस रचना में कोमल पत्ते मकई के जैसे इतने नाजुक कि वे गिर जाएँगे फिर भी उन्हें कोई संभाले हुए है कहाँ से धूप आती है और कहाँ होती है छाया उस चित्रकार को सब-कुछ …

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चूड़ामणि शक्तिपीठ, रूड़की, उत्तराखंड

Chudamani Shaktipeeth, Roorkee, Uttrakhand

सच्चे और ईमानदार लोग भगवान को बहुत प्रिय होते हैं। उनके साथ वो कभी कुछ बुरा नहीं होने देते सदा उनके अंग-संग रहते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं पाप करने पर भी पुण्य प्राप्त किया जा सकता है। आज हम आपको यात्रा करा रहे हैं एक ऐसे मंदिर की जहां पाप करने के उपरांत ही मिलती हैं मनचाही मुरादें। …

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गड़बड़ घोटाला – सफ़दर हाश्मी

यह कैसा है घोटाला, कि चाबी में है ताला। कमरे के अंदर घर है, और गाय में है गौशाला॥ दांतों के अंदर मुहं है, और सब्जी में है थाली। रुई के अंदर तकिया, और चाय के अंदर प्याली॥ टोपी के ऊपर सर है, और कार के ऊपर रस्ता। ऐनक पर लगी हैं आँखें, कापी किताब में बस्ता॥ सर के बल …

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