In today’s world, one realises that stress is the major issue in everyone’s life. Whether we accept it or not, on a conscious level yet somewhere inside us small changes are occurring due to our personal response. People who are conscious of stress will often notice the emotional effects, but side – by – side we have to realise that …
Read More »एक चिड़िया के बच्चे चार
एक चिड़िया के बच्चे चार, घर से निकले पंख पसार। पूरब से पश्चिम को जाएँ, उत्तर से फिर दक्षिण को आएं। घूमघाम जब घर को आएं, मम्मी को एक बात सुनाएं। देख लिया हमने जग सारा, अपना घर है सबसे प्यारा।
Read More »टिम्बकटू भई टिम्बकटू – डॉ. फहीम अहमद
टिम्बकटू भई टिम्बकटू, मैं तो हरदम हँसता हूँ। ठीक शाम को चार बजे जब, आया नल में पानी। छोड़ दिया नल खुला हुआ, की थोड़ी सी शैतानी। पानी फ़ैल गया आँगन में, नैया उसमे तैराऊं। पुंछ हिलाता मुहं बिचकाता, आया नन्हा बन्दर। उसे खिलाई मैंने टाफी, आलू और चुकंदर। मै लेटा तो मेरे सर से, बन्दर लगा ढूंढने जूं। खोला …
Read More »तुम – नवीन कुमार अग्रवाल
शोर में शांति सी तुम, भोर में आरती सी तुम। पंछी में पंखों सी तुम, बंसी में छिद्रों सी तुम। हकीकत में भ्रान्ति सी तुम, स्वप्न में जीती जागती सी तुम। कला में सृजन सी तुम, प्रेम में समर्पण सी तुम। धड़कनों के लिए ह्रदय सा केतन हो तुम, जानते हुआ बनता जो अंजान, वो अवचेतन हो तुम। ∼ नवीन …
Read More »अहा टमाटर बड़ा मजेदार
अहा, टमाटर बड़ा मजेदार, अहा, टमाटर बड़ा मजेदार। इक दिन इसको चुहे ने खाया, बिल्ली को भी मार भगाया, बिल्ली को भी मार भगाया। अहा, टमाटर बड़ा मजेदार। इक दिन इसको चींटी ने खाया, हाथी को भी मार भगाया, हाथी को भी मार भगाया। अहा, टमाटर बड़ा मजेदार। इक दिन इसको पतलू ने खाया, मोटू को भी मार भगाया, मोटू …
Read More »तूफ़ान – नरेश अग्रवाल
यह कितनी साधारण सी बात है रात में तूफान आये होंगे तो घर उजड़ गए होंगे घर सुबह जगता हूँ तो लगता है कितनी छोटी रही होगी नींद धुप के साथ माथे पर पसीना पेड़ गिर गए, टूट गए कितने ही गमले, मिटटी बिखर गयी इतनी सारी और सभी चीजें कहती हैं हमें वापस सजाओ पूरी करी नींद हमारी भी, …
Read More »वीणा की झंकार भरो – मनोहर लाल ‘रत्नम’
कवियों की कलमों में शारदे, वीणा की झंकार भरो। जन – गण – मन तेरा गुण गाये, फिर ऐसे आधार करो॥ तेरे बेटों ने तेरी झोली में डाली हैं लाशें, पीड़ा, करुणा और रुदन चीखों की डाली हैं सांसें। जन – गण मंगल दायक कर आतंक मिटा दो धरती से- दानव कितने घूम रहे हैं, फैंक रहे हैं अपने पासे॥ …
Read More »Social media can help young adults kick the butt
Young adults who use social media to quit smoking are twice as successful in kicking the butt as those who use a more traditional method, a new study has found. The study compared the success of a social media-based campaign called Break It Off with Smokers’ Helpline, a telephone hotline for young adults looking to quit smoking. After three months …
Read More »Rock Garden creator Nek Chand dead
File photo of Nek Chand – a self-taught artist famed for building Rock Garden in Chandigarh, an 18-acre spread of sculptures made using scrap and rocks – in his office in the garden. | File photo of Nek Chand showing how to create sculptures to a tourist at Rock Garden in Chandigarh | Padma Shri Nek Chand, creator and director …
Read More »सरसों पीली – गोविन्द भारद्वाज
पहन कर साड़ी पीली-पीली, खेतों में इतराई सरसों। क्यारी-क्यारी खड़ी-खड़ी, मंद-मंद मुस्कुराई सरसों। स्वागत में बसंत ऋतु की, बढ़-चढ़ आगे आयी सरसों। करके धरती माँ का श्रृंगार, मन ही मन हर्षाई सरसों। पुरवा पवन के झोंकों संग, कोहरे में लहराई सरसों। ∼ गोविन्द भारद्वाज
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