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Read More »आसमान – गोविन्द भारद्वाज
नीला-नीला आसमान है, नीचे सुन्दर एक जहान है। बादल रहते इसके संग, कितना अच्छा इसका संग। पंछी ऊँची उड़ान भरे भला इनका भगवान करे। चाँद-तारों का है यह घर, सूरज रहे लटका दिन-भर। छिपा इसमें खगोल बड़ा, पीछे इसके भूगोल बड़ा। इसे छूने का अरमान है, नीला-नीला आसमान है। ∼ गोविन्द भारद्वाज
Read More »आसमान में सूरज एक
आसमान में सूरज एक, घर में मेरे पापा एक । चम चम चमके चंदा एक, जैसे मेरी मम्मी एक ।
Read More »आसान रास्ते – विक्रम मुरारक
आसान रास्ते कोई और चुने उनपर कोई और चले। मुझे चाहिए वह रास्ता जिसमें कांटें हों, कंकर और पत्थर हों जो भयानक जंगलो से गुजरे उस पार कोई ऐसा सूरज है कोई ऐसी दुनिया है जो किसी ने नहीं देखी है। शायद मै मर जाऊं, घायल होकर गिर जाऊं! तो क्या? ∼ विक्रम मुरारक
Read More »आरती श्री सत्यनारायण जी की
जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा । सत्यनारायण स्वामी, जन-पातक-हरणा ॥ जय लक्ष्मी… ॥ रत्न जड़ित सिंहासन, अद्भुत छवि राजे । नारद करत नीराजन, घंटा वन बाजे ॥ जय लक्ष्मी… ॥ प्रकट भए कलिकारन, द्विज को दरस दियो । बूढ़ो ब्राह्मण बनकर, कंचन महल कियो ॥ जय लक्ष्मी… ॥ दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी । चंद्रचूड़ इक …
Read More »जब आपका बच्चा आक्रामक होने लगे
आपका बच्चा बाहर से लौटा है, सूजी और काली पड़ी आँख के साथ, मुहं में रेत गयी है या खींचातानी में शर्ट फटी है और मुहं पर खरोच के निशान हैं तो थोड़ा सतर्क हो जाएँ। ध्यान दें कि बच्चा अपने हम -उम्र बच्चों के बीच दादागिरी तो नहीं करने लगा है। ऐसे में आवश्यकता है बच्चे कि निगरानी करने …
Read More »आओ भाई आओ
आओ भाई आओ। क्यों भाई क्यों? एक चीज़ मिलेगी। क्या भाई क्या? रसगुल्ला! वाह! भाई वाह। दूर भगाओ! किसको जी? गन्दी गन्दी मक्खियाँ। छी, छी, छी।
Read More »आँगन की रौनक – प्रीती गांधी
बच्चो, घर कब आओगे? सूनी बगिया कब महकाओगे? आँगन की रौनक कब लौटाओगे? कानो में हमारे, अब भी गूंजतीं है वह किलकारियां तुम्हारी, वह मीठी बातें और हंसी प्यारी! वह तस्वीरें तुम्हारी कर जाती है ताजा फिर यादें पुरानी! ऐसा लगता है, बस कल ही की बात हो जब तुमने अपना पहला शब्द पुकारा था, पहली मुस्कान बिखराई और पहला …
Read More »अपना घर
आओ तुमको दिखलाता हूँ, एक जगह मै ऐसे। नहीं दूसरी दुनिया में, कोई भी उसके जैसी। यह हैं मेरे मम्मी-पापा यह है मेरा भैया। नाच रही वो छोटी बहना, करके ता-ता थैया। यह सारी दुनिया अच्छी है, अच्छे हैं सब गॉव-शहर। लेकिन सबसे प्यारा लगता, सबको अपना-अपना घर।
Read More »बच्चों से न बोलें कड़वे बोल
हर माता-पिता के लिए अपने बच्चे को संभालना और उनकी परवरिश अच्छे ढंग से करना बेहद कठिन कार्य होता हैं क्योंकि हर माता-पिता यही सोचते हैं कि उनके बच्चे की परवरिश अच्छे ढंग से की जाएं और उसमें कोई भी कमी न रह जाएं। माता-पिता होने की जिम्मेदारी निभाना बेहद कठिन कार्य होता हैं, मनुष्य का स्वभाव ही एेसा होता …
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