चलो तिरंगे को लहरा लें: मनोहर लाल ‘रत्नम’ अब सोया जन तंत्र जगा लें, जन-जन को विश्वास दिला लें। निर्भय होकर हम अम्बर में, चलो तिरंगे को लहरा लें॥ चौराहों पैर चीखें क्यों हैं, अर्थ-व्यवस्था मौन दिखती, मजदूरों की बस्ती में तो, अब रोटी क्यूँ गौण दिखती। रोटी के बदले में बोटी, छीन रहें हैं ये धन वाले – गिरगिट जैसे …
Read More »राष्ट्रगान मुझको भी आता है: मनोहर लाल ‘रत्नम’
जन गण मन बीमार पड़ा है, अधिनायक है कहाँ सो गया, भारत भाग्य विधाता भी तो, इन गलियों में कहीं खो गया। मेरे भारत के मस्तक पर, है आतंक की काली छाया – कर्णधार जितने भारत के, इन सबको है संसद भाता। मुझसे यदि पूछ कर देखो, राष्ट्रगान मुझको है आता॥ आग लगी है पंजाब मेरे में, सिंधु और गुजरात …
Read More »रैडफ़ोर्ट पर फ़्लैग होस्टिंग: एक हास्य व्यंग
15 अगस्त मार्निंग 8 बजे हमारी कन्ट्री के पी.एम. साहब रैडफ़ोर्ट पर आएंगे। फ्लैग होस्टिंग भी होगा और कन्ट्री की कंडीशन पर पी.एम. साहब अपनी स्पीच भी देंगे। वैसे पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी हैजा फैलने के कारण दिल्ली में सफाई अभियान चल रहा है और किस निकम्मे अधिकारी ने दिल्ली में हैजा फ़ैलाने में विदेशी हाथ को …
Read More »Hindi Hasya Vyang Story about Indian Wife बीवी आई दिल्ली
बीवी ने कमरे पर आते ही दिल्ली घूमने की शर्त ऐसे रख दी, जैसे संसद में विपक्षी नेता अनाप-शनाप भाषण रख देता है, न्यायालय कभी तो हैलमेट पहनने का, कभी ट्रकों और बसों को बन्द करने का आदेश रख देता है। मैंने अपनी बीवी को शाहजहां की तरह समझाने की कोशिश की, जैसे शाहजहां ने मुमताज को बहकाया तो था, …
Read More »Hasya Vyang Story in Hindi आओ थोड़ा सा रो लें
आज के तनाव भरे, वातावरण में, मेरा एक पड़ोसी जो शक्ल और अक्ल से बिलकुल जोकर लगता है, अचानक आ धमका और बोला – आओ यार आज थोड़ा सा रो ही लें, क्योंकि बीवी मायके चली गई है, टाइम है कि ससुरा काटे से कटने का नाम ही नहीं ले रहा। राम भरोसे की बात सुनकर मुझे आष्चर्य हुआ कि हर …
Read More »आप भी बना डालो एक मंदिर Hasya Vyang on Illegal temples and mosques
आप भी बना डालो एक मंदिर – मनोहर लाल ‘रत्नम’ ‘पत्थर पूजे हरी मिलें, तो मैं पूंजू पहाड़‘ कबीर दास ने विद्रोही स्वर में अपने मन की बात कह दी। हिन्दुओ की भावना को जहां कबीर ने कुरेदा, वहीँ मुस्लमानों को भी कबीर ने समझाते हुए हुए कहा ‘कंकर पाथर जोड़कर मस्जिद लई बनाय‘ यह बात कबीर के काल में …
Read More »चोरी का गंगाजल – मनोहर लाल ‘रत्नम’
महाकुम्भ से गंगाजल मैं, चोरी करके लाया हूँ। नेताओं ने कर दिया गन्दा, संसद धोने आया हूँ॥ देश उदय का नारा देकर, जनता को बहकाते हैं, छप्पन वर्ष की आज़ादी को, भारत उदय बताते हैं। मंहगाई है कमर तोड़ती, बेरोजगारी का शासन, कमर तलक कर्जे का कीचड, यह प्रगति बतलाते हैं॥ थोथे आश्वासन नेता के, मैं बतलाने आया हूँ। महाकुम्भ …
Read More »कवि कभी रोया नहीं करता – मनोहर लाल ‘रत्नम’
कवि कभी रोया नहीं करता, वह केवल गाया करता है। दर्द सभी सीने में रखकर, वह जीवन पाया करता है॥ जब जब भी आहें उठती हैं, तब तब गीत नया बनता है। जब जब छलका करते आंसू– कवि का मीत नया बनता है॥ आंसू संग आहों का बंधन, कवि केवल पाया करता है। कवि कभी रोया नहीं करता, वह केवल …
Read More »खतरा है – मनोहर लाल ‘रत्नम’
देशवासियों सुनो देश को, आज भयंकर खतरा है। जितना बाहर से खतरा, उतना भीतर से खतरा है॥ सर पर खरा चीन से है, लंका से खतरा पैरों में, अपने भाई दिख रहे हैं, जो बैठे हत्यारों में। इधर पाक से खतरा है तो, इधर बंग से खतरा है, निर्भय होकर जो उठती सागर तरंग से खतरा है। माँ के आँचल …
Read More »जिन्दा रावण बहुत पड़े हैं – मनोहर लाल ‘रत्नम’
अर्थ हमारे व्यर्थ हो रहे, कागज पुतले और खड़े हैं। कागज के रावण मत फूंकों, जिन्दा रावण बहुत पड़े हैं॥ कुम्भ-कर्ण तो मदहोशी हैं, मेघनाथ निर्दोषी है, अरे तमाशा देखने वालों, इनसे बढ़कर हम दोषी हैं। अनाचार में घिरती नारी, हां दहेज की भी लाचारी– बदलो सभी रिवाज पुराने, जो घर द्वार से आज अड़े हैं। कागज के रावण मत …
Read More »