भोजन का स्वाद बढ़ाता अचार, मुँह में पानी ले आता अचार। बूढ़े- बच्चे सब को भाता अचार, घर में बनाया जाता अचार। बना बनाया भी आता अचार, कई चीज़ो का बनता अचार। आम, मिर्च, आंवला, निंबू, गाजर, शलगम, कटहल का बनता अचार। कई मसालों के पड़ने से चटपटा, स्वादिष्ट तीखा बन पाता अचार। आचार- चटनी अधिक न खाना, गला भी …
Read More »बच्चे अच्छे लगते हैं Hindi Poem on Happy Children
हंसते-मुस्कुराते-खिलखिलाते बच्चे, अच्छे लगते हैं। दौड़ते-भागते, कूदते, फांदते बच्चे अच्छे लगते हैं। मासूम सी प्यारी शरारते करते बच्चे, अच्छे लगते हैं। यूनिफार्म पहने स्कूल को जाते बच्चे, अच्छे लगते हैं। खेल मैदान में कोई गेम खेलते बच्चे, अच्छे लगते हैं। स्वयं ईष्वर का रूप होते हैं बच्चे, अच्छे लगते हैं। ~ ओम प्रकाश बजाज
Read More »पानी – ओमप्रकाश बजाज Hindi Poem on Importance of Water
पानी अपना रास्ता स्वयं बनाता है, हमेशा ढलान की ओर जाता है। बहता पानी निर्मल शुद्ध रहता है, खड़ा हुआ पानी सड़ जाता है। पानी का तेज बहाव अपने साथ, बड़े-बड़े पत्थर, पेड़ बहा ले जाता है। मीठा पानी पीने के काम आता है, शहरों में नलों से पहुंचाया जाता है। वर्षा ऋतु में नदियों में बाढ़ आती है, तबाही …
Read More »ताला-चाबी – ओमप्रकाश बजाज
छोटे से छोटे से लेकर, खूब बड़े ताले आते है। मकान, दुकान, दफ्तर, फैक्टरी, बक्स गाडी में लगाए जाते है। ताला सुरक्षा का एक साधन है, सदियों से इसका प्रचलन है। अलीगढ़ के ताले प्रसिद्ध है, अब तो कई जगह बनते हैं। ताला अपनी चाबी से खुलता है, नंबरों वाला ताला भी आता है। चाबी सदा संभाल कर रखना, इधर-उधर …
Read More »समोसा – ओम प्रकाश बजाज
चटनी के साथ गर्म- गर्म समोसा, चाय के साथ परोसा जाता है। बच्चा, बड़ा, मर्द, औरत हर कोई बड़े चाओ से खाता है, न जाने कब किसने समोसे का, पहली बार अविष्कार किया। बाहरी आवरण बनाया समोसा भरा, तेल में तल कर समोसा तैयार किया। तब से अब तक अनगिनत पीढ़िया, इसका आनदं लेती आई है। कही-कही इसी पकवान को, …
Read More »सच झूठ – ओमप्रकाश बजाज
सच झूठ का फर्क पहचानो झूठे का कहा कभी न मानो। झूठे की संगत न करना, झूठे से सदा बचकर रहना। मित्रता झूठे से न करना, झूठे का कभी साथ न देना। झूठ कभी भी चुप न पाता, देर-सवेर पकड़ा ही जाता। सच्चे का होता सदा बोलबाला, झूठे का मुँह होता काला। ~ ओमप्रकाश बजाज
Read More »चंदा ओ चंदा – ओम प्रकाश बजाज
चंदा ओ चंदा तू है कितना प्यारा, सबकी आखों का है तू दुलारा, चंदा ओ चंदा…. तू तो है नित न्यारा, रोशन करता है रत जग सारा, चंदा ओ चंदा…. बताता कोई तुझे मामा हमारा, हम चाहें सिर्फ तुझे अपना बनाना, चंदा ओ चंदा…. होता है जब उपवास माँ का, तब क्यों इतनी देर लगाता, चंदा ओ चंदा…. तू है …
Read More »बाल पत्रिकाएं – ओम प्रकाश बजाज
बाल पत्रिकाओं में भी रूचि दिखाओ, खाली समय में इनका लाभ उठाओ। अपनी पसंद की बाल पत्रिकाएं, बुकस्टाल से लो या सीधे मंगाओं। कविताएं, कहानियां, लेखों, चुटकलों से, ज्ञान बढ़ाओ, मनोरंजन पाओ। इनमें छुपी रचनाएं देख – समझ कर, तुम भी साहस करो और कलम उठाओ। अपने मित्रों से अदला – बदली करके, कम खर्च में अधिक पत्रिकाएं जुटाओ। ज्ञान …
Read More »भौंचक – ओम प्रकाश बजाज
मुन्ना – मुन्नी भौंचक हो कर, ताकते ही रह जाते हैं। दादा जी अपने बचपन की, जब बातें उन्हें सुनाते हैं। घी दूध आनाज फल सब्जियां, कितने सस्ते मिलते थे। कितनी कम आय में तब, परिवार के खर्चें चलते थे। टि. वी. कंप्यूटर, मोबाइल का तो, नाम सुनने में नहीं आया था। बिग बाज़ार और मॉल नहीं थे, भीड़ भाड़ …
Read More »नारियल – ओम प्रकाश बजाज
पूजा में यह काम आता हैं, शगुन में भी दिया जाता है। कच्चे हरे नारियल का पानी, पी कर मन तृप्त हो जाता है। कच्चे नारियल की मीठी गिरी, बड़े शौंक से सब चबाते है। सूखे नारियल की गिरी से, अनेक व्यंजन बनाए जाते हैं। सूखे मेवों की श्रेणी में नारियल, का भी नाम आता है। नारियल का तेल तलने-पकाने, …
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