पेट में पेड़: प्रभुदयाल श्रीवास्तव – 2005 में भारत में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल नामक एक संस्था द्वारा किये गये एक अध्ययन में पाया गया कि 62% से अधिक भारतवासियों को सरकारी कार्यालयों में अपना काम करवाने के लिये रिश्वत या ऊँचे दर्ज़े के प्रभाव का प्रयोग करना पड़ा। वर्ष 2008 में पेश की गयी इसी संस्था की रिपोर्ट ने बताया है …
Read More »प्रभुदयाल श्रीवास्तव की प्रसिद्ध बाल-कविताएँ
प्रभुदयाल श्रीवास्तव की प्रसिद्ध बाल-कविताएँ तितली उड़ती, चिड़िया उड़ती कुछ न कुछ करते रहना दादाजी की बड़ी दवात गरमी की छुट्टी का मतलब होगी पेपर लेस पढ़ाई सूरज चाचा पानी बनकर आऊँ नदी बनूँ शीत लहर फिर आई जीत के परचम पर्यावरण बचा लेंगे हम हँसी-हँसी बस, मस्ती-मस्ती खुशियों के मजे कंधे पर नदी बूंदों की चौपाल अपना फर्ज निभाता …
Read More »हो हल्ला है होली है: प्रभुदयाल श्रीवास्तव – होली विशेष हिंदी बाल-कविता
उड़े रंगों के गुब्बारे हैं, घर आ धमके हुरयारे हैं। मस्तानों की टोली है, हो हल्ला है, होली है। मुंह बन्दर सा लाल किसी का, रंगा गुलाबी भाल किसी का। कोयल जैसे काले रंग का, पड़ा दिखाई गाल किसी का। काना फूसी कुछ लोगों में, खाई भांग की गोली है। ढोल ढमाका ढम ढम ढम ढम, नाचे कूदे फूल गया …
Read More »बाल-कविताओं का संग्रह: प्रभुदयाल श्रीवास्तव
यजमान कंजूस: प्रभुदयाल श्रीवास्तव बरफी ठूंस ठूंस कर खाई। सात बार रबड़ी मंगवाई। एक भगोना पिया रायता। बीस पुड़ी का लिया जयका। चार भटों का भरता खाया। दो पत्तल चाँवल मंगवाया। जल पीने पर आई डकार। छुआ पेट को बारंबार। बोले नहीं पिलाया जूस। यह यजमान बहुत कंजूस। ~ प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Read More »इसी देश में – प्रभुदयाल श्रीवास्तव
इसी देश में कृष्ण हुये हैं, इसी देश में राम। सबसे पहिले जाना जग ने, इसी देश का नाम। इसी देश में भीष्म सरीखे, दृढ़ प्रतिज्ञ भी आये। इसी देश में भागीरथजी, भू पर गंगा लाये। इसी देश में हुये कर्ण से, धीर वीर धन दानी। इसी देश में हुये विदुर से, वेद ब्यास से ज्ञानी। सत्य अहिंसा प्रेम सिखाना, …
Read More »स्कूल ना जाने की हठ पर एक बाल-कविता: माँ मुझको मत भेजो शाला
अभी बहुत ही छोटी हूँ मैं, माँ मुझको मत भेजो शाळा। सुबह सुबह ही मुझे उठाकर , बस में रोज बिठा देती हो। किसी नर्सरी की कक्षा में, जबरन मुझे भिजा देती हो। डर के मारे ही माँ अब तक, आदेश नहीं मैंने टाला। चलो उठो, शाला जाना है , कहकर मुझे उठा देती हो। शायद मुझको भार समझकर, खुद …
Read More »हद हो गई शैतानी की – नटखट बच्चों की बाल-कविता
टिंकू ने मनमानी की, हद हो गई शैतानी की। सोफे का तकिया फेका, पलटा दिया नया स्टूल। मारा गोल पढाई से, आज नहीं पहुंचे स्कूल। फोड़ी बोतल पानी की। हद हो गई शैतानी की। हुई लड़ाई टिन्नी से, उसकी नई पुस्तक फाड़ी। माचिस लेकर घिस डाली, उसकी एक- एक काड़ी। माला तोड़ी नानी की। हद हो गई शैतानी की। ज्यादा …
Read More »पेड़ सदा शिक्षा देता है – शिक्षाप्रद हिंदी कविता
पेड़ सदा शिक्षा देता है जीव जंतुओं की ही भांति, वृक्षों में जीवन होता है। कटने पर डाली रोती है, छटने पर पत्ता रोता है। जैसे हम बातें करते हैं, लता वृक्ष भी बतयाते हैं, जैसे हम भोजन करते हैं, सभी पेड़ खाना खाते हैं। जैसे चोट हमें दुख देती, पेड़ों को भी दुख होता है। जैसे श्वांस रोज हम …
Read More »सुबह सुबह से ही रोजाना – प्रभुदयाल श्रीवास्तव
हार्न बजाकर बस का आना, सुबह सुबह से ही रोज़ाना। चौराहों पर सजे सजाये, सारे बच्चे आँख गड़ाये, नज़र सड़क पर टिकी हुई है, किसी तरह से बस आ जाये, जब आई तो मिला खज़ाना, सुबह सुबह से ही रोज़ाना। सुबह सुबह सूरज आ जाता, छत आँगन से चोंच लड़ाता, कहे पवन से नाचो गाओ, मंदिर में घंटा बजवाता, कभी …
Read More »सूर्य देव पर हिंदी बाल-कविता: अंधियारे से डरना कैसा
अम्मा बोली – सूरज बेटे, जल्दी से उठ जाओ। धरती के सब लोग सो रहे, जाकर उन्हें उठाओ। मुर्गे थककर हार गये हैं, कब से चिल्ला चिल्ला। निकल घोंसलों से गौरैयां, मचा रहीं हैं हल्ला। तारों ने मुँह फेर लिया है, तुम मुंह धोकर जाओ। पूरब के पर्वत की चाहत, तुम्हें गोद में ले लें। सागर की लहरों की इच्छा, …
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