Prashant Subhashchandra Salunke

कथाकार / कवी प्रशांत सुभाषचंद्र साळूंके का जन्म गुजरात के वडोदरा शहर में तारीख २९/०९/१९७९ को हुवा. वडोदरा के महाराजा सर सयाजीराव युनिवर्सिटी से स्नातक तक की शिक्षा ग्रहण की. अभी ये वडोदरा के वॉर्ड २२ में भाजपा के अध्यक्ष है, इन्होने सोश्यल मिडिया पे क्रमश कहानी लिखने की एक अनोखी शुरुवात की.. सोश्यल मिडिया पे इनकी क्रमश कहानीयो में सुदामा, कातील हुं में?, कातील हुं में दुबारा?, सुदामा रिटर्न, हवेली, लाचार मां बाप, फिरसे हवेली मे, जन्मदिन, अहेसास, साया, पुण्यशाली, सोच ओर William seabrook के जीवन से प्रेरित कहानी “एक था लेखक” काफी चर्चित रही है. इसके अलवा बहोत सी छोटी छोटी प्रेरणादायी कहानीया भी इन्होने सोश्यलमिडिया पे लिखी है, वडोदरा के कुछ भुले बिसरे जगहो की रूबरू मुलाकात ले कर उसकी रिपोर्ट भी इन्होने सोश्यल मिडिया पे रखी थी, जब ये ६ठी कक्षा में थे तब इनकी कहानी चंपक में प्रकाशित हुई थी, इनकी कहानी “सब पे दया भाव रखो” वडोदरा के एक mk advertisement ने अपनी प्रथम आवृती में प्रकाशित की थी, उसके बाद सुरत के साप्ताहिक वर्तमानपत्र जागृती अभियान में इनकी प्रेरणादायी कहानिया हार्ट्स बिट्स नामक कोलम में प्रकाशित होनी शुरू हुई, वडोदरा के आजाद समाचार में इनकी कहानी हर बुधवार को प्रकाशित होती है, वडोदरा के क्राईम डिविजन मासिक में क्राईम आधारित कहानिया प्रकाशित होती है, 4to40.com पे उनकी अब तक प्रकाशित कहानिया बेटी का भाग्य, सेवा परमो धर्म, आजादी, अफसोस, चमत्कार ऐसे नही होते ओर मेरी लुसी है. लेखन के अलावा ये "आम्ही नाट्य मंच वडोदरा" से भी जुडे है, जिसमें "ते हुं नथी" तथा "नट सम्राट" जेसे नाटको में भी काम किया है, इनका कहेना है "जेसे शिल्पी पत्थर में मूर्ती तलाशता है, वैसे ही एक लेखक अपनी आसपास होने वाली घटनाओ में कहानी तलाशता है", इनका इमेल आईडी है prashbjp22@gmail.com, आप फेसबुक पे भी इनसे जुड सकते है.

आज़ादी: शराबी शेर की कहानी

Freedom

एक जंगल में कुछ शिकारी आये। उन्होंने जाल बिछाया और एक शेर को पकड लिया। पिंजरे में शेर को बंध कर वो शहर ले आये, एक वैज्ञानिक ने उस शेर को ऊंचे दाम देकर खरीद लिया। उस वैज्ञानिक का मासूम प्राणियो पर तरह तरह के प्रयोग करना मनपसंद विषय था। इंसानों द्वारा प्रयोग की जाने वाली चीजो का प्राणियो पर …

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सवाल मेरे – जवाब मेरी आत्मा के

सवाल मेरे - जवाब मेरी आत्मा के

आज फिर से वह अस्पष्ट आकृती मेरे सामने आई मंद मंद मुस्कुराते हुए उसने पुछा “इतना खुश क्यो हो पगले!” आखरी शब्द को सुना अनसुना कर मैंने कहा “आत्माजी कल मेरा जन्मदिन है!” मेरी आत्मा बोली “मतलब?” मैं: मतलब आज के दिन ही मेरा जन्म हुआ था! आत्मा: तेरा जन्म कब हुआ? मैंने कहा: २९/०९/@#$# आत्मा: तो इससे पहेले तू …

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जियो ओर जीने दो – प्रशांत सुभाषचन्द्र साळुंके

मैँ मेरे कुछ दोस्तो के साथ बैठा था। इधर उधर की बातें हो रही थी। अचानक सड़क किनारे से एक गाड़ी गुजरी। मेरा एक दोस्त उसे देखकर बावला सा हो गया ओर बुरी तरह से भौंकते हुवे उस गाड़ी के पीछे भागा। हम सब को उसका व्यवहार बड़ा विचित्र लगा! हम कुत्ते है! पर इतना तो जरूर समझ सकते है …

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जान है तो जहान है

जान है तो जहान है

एक गाँव मे एक किसान रहता था। उन दिनों गाव पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा था। गाँव में सुखा पड़ा था। लोगों को पीने के पानी के लिए भी लाले पड़ गए थे। धरती बंजर हो गई थी। और आसमान से बारिश गिरने के कोई भी आसार नजर नहीं आ रहे थे। ऐसी परिस्थिति मे गाँव वालो ने गाँव …

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टेक्नोलॉजी

Technology

दादाजी की गोदी मे खेलते हुए बच्चे ने बड़े प्यार से दादाजी को पूछा “दादाजी दादाजी… मेरा पहला जन्मदिन आपको याद है?” दादाजी ने अपनी अनुभवी आंखो को सिकुड़ते ओर माथे की पेशनि को तंग करते अपने विचारो के घोड़े दौड़ाये ओर कहा “ना बेटे अब इतनी पुरानी बाते किसे याद होगी? तेरा पहला जन्मदिन जब तु एक साल का …

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भिन्नता सफर की!

Different types of journeys

ट्रेन में सफ़र करते समय मन में विचार आया। सफर के दौरान कितने खूबसूरत द्रश्य हमारी आँखों के सामने से गुजर जाते हैं पर हमे उससे कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ता! क्यों? थोडी देर के बाद आँखों के सामने कुछ देर के लिए आते है ऐसे द्रश्य जो हम देखना पसंद नहीं करते मसलन गन्दी नालिया या कचरों के ढेर …

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दोस्ती

Dosti

“देख दोस्त तुझे ये करना तो पड़ेगा ही।” सिगरेट को आगे करते हुए मीनेश ने दर्पण से कहा। कबीर इंडस्ट्रीज के मालिक करण मल्होत्रा का एकलोता पुत्र दर्पण जो बचपन से पढ़ाई में होशियार था। आज अपने एक टपोरी दोस्त मीनेश के साथ बगीचे में बैठा था। मीनेश ने सिगरेट का कश लेकर हवा में धुवा उड़ाते हुए दर्पण से …

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किसका भगवान श्रेष्ठ?

किसका भगवान श्रेष्ठ?

किसी जंगल मे दो कबिले “इनसा” ओर “परिकान” थे। दोनो कबिलो मे संप्रदायीक लड़ाईया होती रहेती थी। इन लड़ाइयों में कई लोगो की जाने गई, कई परिवार ख़त्म हुए, पर इनकी दुश्मनी ख़त्म ना हुई! उस गॉव मे एक समझदार बूढ़ा रहता था। उसने इस लडाई को ख़त्म करने की ठानी, उसने दोनो गावो के मुखिया किंबो ओर ओलान्गो को …

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अंदर बाहर – भाग 2

Andar Bahar

अब तक आपने पढ़ा की एक गाँव मे हुई तेज बारिश से बचने के लिए लोगो ने एक मंदिर का सहारा लिया। एक एक करके लोग बढ़ने लगे। तब सब ने निर्णय लिया की जो बहार है उसे बहार ही रहने दो, सभी के मना करने के बावजूद मुखिया ने एक बूढ़े को मंदिर के अंदर लिया, जब एक दूसरी …

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अंदर बाहर

Andar Bahar

एक बार एक गाँव में जबरदस्त बारिश हुई, आसपास के सारे झोपडे ओर कई लोग बारिश में बह गये। जो बचे थे उन्होने अपनी जान बचाने के लिए गाँव के एक उंचे टिल्लेपे आए मंदिर में सहारा लीया। मंदिर उचाई पर था सो उसे बारिश के बहते पानी से कम नुकसान हो रहा था, गाँव वाले वहा सही सलामत थे, …

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