गोविंदा आला रे आला: दही-हांडी एक भारतीय त्यौहार है। यह साल के अगस्त महीने में मनाया जाता है। कुछ लोग, ज्यादातर युवक इकट्ठे होकर एक मानव पिरामिड बनाते हैं। इसके पश्चात् ऊपर एक दही से भरी हांडी लटकी होती है, उसे फोड़ते हैं। इस त्यौहार के भागीदारों को गोविन्दा कहा जाता है। दही-हांडी भारत के महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध …
Read More »डैडी जी मेरी मम्मी को सताना नहीं अच्छा: राजेंद्र कृष्ण
राजेंद्र कृष्ण का पूरा नाम राजेंद्र कृष्ण दुग्गल था। कविता का कीड़ा बचपन से काट गया था, इसलिए मन बहुत कुछ कहना चाहता था। डायरियों के पन्नों पर मन का उलझाव दर्ज करते रहे और कविता, शायरी, ग़ज़ल जैसा कुछ रचने लगे। साहित्य ठीक से पढ़ा, जब 1942 में शिमला की म्युनिसिपल कार्पोरेशन में क्लर्क हो गए। थोड़ी झिझक मिटी, …
Read More »जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा: राजेंद्र कृष्ण
राजेंद्र कृष्ण के गीतों का सफ़र ‘प्यार की शमा को तकदीर बुझाती क्यूं है किसी बर्बादे-मोहब्बत को सताती क्यूं है’। और 1948 में बनी फ़िल्म प्यार की जीत में क़मर जलालाबादी और राजेंद्र कृष्ण के गीत थे। राजेंद्र का यह गीत बहुत मकबूल हुआ ‘तेरे नैनों ने चोरी किया मेरा छोटा सा जिया परदेसिया’। 1948 में ‘बापू की यह अमर …
Read More »मेरे पिया गए रंगून: राजेंद्र कृष्ण
हेलो, हिंदुस्तान का देहरादून हेलो, मैं रंगून से बोल रहा हूँ मैं अपनी बीबी रेणुका देवी से बात करना चाहता हूँ मेरे पिया ओ मेरे पिया गए रंगून किया है वहाँ से टेलीफून तुम्हारी याद सताती है जिया में आग लगाती है हम छोड़ के हिंदुस्तान बहुत पछताए हुई भूल जो तुमको साथ न लेकर आये हम बरमा की गलियों …
Read More »अरी छोड़ दे सजनिया – नागिन
अरी छोड़ दे सजनिया छोड़ दे पतंग मेरी छोड़ दे ऐसे छोडू ना बलमवा नैनवा की डोर पहले जोड़ दे आशाओं का मांजा लगा रंगी प्यार से डोरी तेरे मोहल्ले उड़ते उड़ते आई चोरी चोरी बैरी दुनिया कहीं ना तोड़ दे पतंग मेरी छोड़ दे, ऐसे छोडू ना बलमवा नैनवा की डोर पहले जोड़ दे अरमानो की डोर टूटने खड़े …
Read More »चली चली रे पतंग – राजिंदर कृष्ण
चली-चली रे पतंग मेरी चली रे… चली बादलो के पार हो के डोर पे सवार साड़ी दुनिया ये देख-देख जली रे चली-चली रे पतंग… यू मस्त हवा मे लहराए जैसे उड़न खटोला उदा जाए… ले के मन मे लगन जैसे कोई दुल्हन चली जाए सावरिया की गली रे चली-चली रे पतंग… रंग मेरी पतंग का धानी है ये नील गगन …
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