'घायल' राजभाषा सेल, भारतीय रिज़र्व बैंक, पटना में मैनेजर पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। आपकी ग़ज़लें अनेक पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। ऑल इंडिया रेडियो- मुंबई, विविध भारती और ऑल इंडिया रेडियो पटना से समय-समय पर आपकी रचनाएँ प्रसारित होती रही हैं। प्रकाशन : 'लपटों के दरमियाँ' नामक ग़ज़लों का संग्रह प्रकाशित। ई मेल: rpghayal08@yahoo.co.in
Rajendra Paswan Ghayal
November 25, 2015
Poems In Hindi
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ख्यालों में बिना खोये हुए हम रह नहीं पाते मगर जो है ख्यालों में उसे भी कह नहीं पाते हज़ारों ज़ख्म खाकर भी किसी से कुछ नहीं कहते किसी की बेरुख़ी लेकिन कभी हम सह नहीं पाते हमारे मुस्कुराने पर बहुत पाबन्दियाँ तो हैं मगर पाबन्दियों में हम कभी भी रह नहीं पाते किसी के हाथ का पत्थर हमारी ओर …
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