पूछूँ तुमसे एक सवाल, झटपट उत्तर दो गोपाल मुन्ना के क्यों गोरे गाल? पहलवान क्यों ठोके ताल? भालू के क्यों इतने बाल? चले सांप क्यों तिरछी चाल? नारंगी क्यों होती लाल? घोड़े के क्यों लगती नाल? झरना क्यों बहता दिन रात? जाड़े में क्यों कांपे गात? हफ्ते में क्यों दिन हैं सात? बुड्ढों के क्यों टूटे दांत? ढ़म ढ़म ढ़म …
Read More »कितनी बड़ी दिखती होगी – श्रीनाथ सिंह
कितनी बड़ी दिखती होंगी, मक्खी को चीजें छोटी। सागर सा प्याला भर जल, पर्वत सी एक कौर रोटी॥ खिला फूल गुलगुल गद्दा सा, काँटा भारी भाला सा। ताला का सूराख उसे, होगा बैरगिया नाला सा॥ हरे भरे मैदान की तरह, होगा इक पीपल का पात। भेड़ों के समूह सा होगा, बचा खुचा थाली का भात॥ ओस बून्द दर्पण सी होगी, …
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