रविवार का प्यारा दिन है, आज हमारी छुट्टी है। उठ जायेंगे क्या जल्दी है, नींद तो पूरी करने दो। बड़ी थकावट हफ्ते भर की, आराम ज़रूरी करने दो। नहीं घड़ी की ओर देखना, न करनी कोई भागम- भाग। मनपसंद वस्त्र पहनेंगे, आज नहीं वर्दी का राग। खायेंगे आज गर्म पराँठे, और खेलेंगे मित्रों संग। टीचर जी का डर न हो …
Read More »पानी बचाओ पर बाल-कविता: नहीं व्यर्थ बहाओ पानी
सदा हमें समझाए नानी, नहीं व्यर्थ बहाओ पानी। हुआ समाप्त अगर धरा से, मिट जायेगी ये ज़िंदगानी। नहीं उगेगा दाना-दुनका, हो जायेंगे खेत वीरान। उपजाऊ जो लगती धरती, बन जायेगी रेगिस्तान। हरी-भरी जहाँ होती धरती, वहीं आते बादल उपकारी। खूब गरजते, खूब चमकते, और करते वर्षा भारी। हरा-भरा रखो इस जग को, वृक्ष तुम खूब लगाओ। पानी है अनमोल रत्न, …
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