नाम: | हिमा दास (हीमा रणजीत दास) उपनाम: ढिंग एक्सप्रेस ऊंचाई: 5 फुट 5 इंच वज़न: 55 किलो |
जन्म: | 9 जनवरी 2000 ढिंग, नगाँव, असम, भारत |
परिवार: | पिता: रोंजित दास माता: जोनाली दास 4 भाई और बहन |
पेशा: | धावक (ट्रैक एंड फील्ड) कोच: निपोन दास |
व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ: |
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राष्ट्रीय पुरुस्कार: | अर्जुन अवार्ड (25 सितम्बर 2018) |
हिमा दास की जीवनी आसान हिंदी में
असम की रहने वाली हिमा दास ने वर्ल्ड अंडर-20 एथलेटिक्स चैम्पियनशिप (World U-20 Championships 2018), फ़िनलैंड में स्वर्ण पदक जीतकर रातोंरात सुर्ख़ियों में आ गयी थी. हिमा दास ने 400 मीटर की दौड़ स्पर्धा में 51.46 सेकेंड का समय निकालकर स्वर्ण पदक जीता। उनके पीछे रोमानिया की एंड्रिया मिक्लोस 52.07 सेकेंड के साथ दूसरे और अमरीका की टेलर मैनसन 52.28 सेकेंड के साथ तीसरे स्थान पर रही थी। हिमा दास ने ऐसा ही प्रदर्शन जकार्ता में हुए 18वें एशियन गेम्स में भी जारी रखा। 2019 में उन्होंने 19 दिन में 5 गोल्ड मैडल जीतकर पूरे देश का नाम दुनिया में रोशन कर दिया था।
हिमा दास की जीवनी: व्यक्तिगत जीवन
हिमा दास का जन्म 9 जनवरी 2000 को जन्म असम राज्य के नगाँव जिले के कांधूलिमारी गाँव में हुआ था। हिमा एक दलित परिवार से हैं। हिमा के पिताजी का नाम रोंजित दास है। वह खेती का काम करते हैं। हिमा की माताजी का नाम जोमाली दास हैं, वह एक गृहणी हैं। उनके घर में कुल 16 सदस्य हैं। घर की आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि बस अपने खाने-पीने की व्यवस्था हो जाती थी. परिवार में हिमा और उनके माता-पिता के अलावा 5 भाई और बहन हैं।
हिमा ने अपनी शुरूआती पढाई ढिंग गाँव से ही की। खेलों में रूचि होने के कारण हिमा अपनी पढाई जारी नहीं रख पाई।
हिमा दास की जीवनी: जीवन संघर्ष
नौगांव में अक्सर बाढ़ के हालात बन जाते हैं वह जगह बहुत अधिक विकसित नहीं है। जब हिमा गांव में रहती थी तो बाढ़ की वजह से कई-कई दिन तक प्रैक्टिस नहीं कर पाती थी क्योंकि जिस खेत या मैदान में वह दौड़ की तैयारी करती, बाढ़ में वह पानी से लबालब हो जाता।
फिर जवाहर नवोदय विद्यालय के शारीरिक शिक्षक शमशुल हक की सलाह पर उन्होंने दौड़ना शुरू किया। शमशुल हक़ ने उनकी पहचान नगाँव स्पोर्ट्स एसोसिएशन के गौरी शंकर रॉय से कराई। फिर हिमा दास जिला स्तरीय प्रतियोगिता में चयनित हुईं और दो स्वर्ण पदक भी जीतीं।
जब वर्ष 2017 में हिमा राजधानी गुवाहाटी में एक कैम्प में हिस्सा लेने आई थीं तब उनपर निपुण दास की नज़र उन पर पड़ी। जिसके बाद निपुण ने ही हिमा को एथलिट के गुण सिखाये। निपुण उनके बारे में बताते हैं, “वह जनवरी का महीना था हिमा एक स्थानीय कैम्प में हिस्सा लेने राजधानी गुवाहाटी आई थी, वह जिस तरह से ट्रैक पर दौड़ रही थी, मुझे लगा कि इस लड़की में आगे तक जाने की काबिलियत है”।
इसके बाद निपुण हिमा के गांव में उनके माता-पिता से मिलने गए और उनसे कहा कि वे हिमा को बेहतर कोचिंग के लिए गुवाहाटी भेज दें। हिमा के माता-पिता गुवाहाटी में उनके रहने का खर्च नहीं उठा सकते थे। लेकिन बेटी को आगे बढ़ते हुए भी देखना चाहते थे. इस मुश्किल स्थिति में निपुण ने ही एक रास्ता निकाला। वे बताते हैं, “मैंने हिमा के माता-पिता से बातचीत की और उन्हें कहा कि हिमा के गुवाहाटी में रहने का खर्च मैं खुद उठाऊंगा, बस आप उसे बाहर आने की मंजूरी दें। इसके बाद वे हिमा को बाहर भेजने के लिए तैयार हो गए”।
हिमा दास – ढिंग एक्सप्रेस
हिमा दास का ट्रैक एंड फील्ड करियर
शुरुआत में हिमा को फ़ुटबॉल खेलने का शौक था, वे अपने गांव या ज़िले के आस पास छोटे-मोटे फ़ुटबॉल मैच खेलकर 100-200 रुपये जीत लेती थी। फ़ुटबॉल में खूब दौड़ना पड़ता था, इसी वजह से हिमा का स्टैमिना अच्छा बनता रहा, जिस वजह से वह ट्रैक पर भी बेहतर करने में कामयाब रहीं।
कोच निपुण दास ने हिमा को फ़ुटबॉल से एथलेटिक्स में आने के लिए तैयार किया तो शुरुआत में 200 मीटर की तैयारी करवाई, लेकिन बाद में उन्हें एहसास हुआ कि वे 400 मीटर में अधिक कामयाब रहेंगी।
फिनलैंड विश्व अंडर 20 चैंपियनशिप
रेस के शुरुआती 35 सेकेंड तक हिमा शीर्ष तीन में भी नहीं थीं, शायद ही किसी ने उन्हें फ़िनलैंड के ट्रैक पर लाइव दौड़ते हुए देखा होगा। लेकिन एक शख्स थे जिन्हें हिमा की इस रेस का बेसब्री से इंतज़ार था। वे थे उनके कोच निपुण दास। हिमा के यूं अंतिम वक़्त में रफ़्तार पकड़ने पर निपुण दास कहते हैं, “रेस में जब आखिरी 100 मीटर तक हिमा चौथे स्थान पर थी तो मुझे यक़ीन हो गया था कि वह इस बार गोल्ड ले आएगी, मैं उसकी तकनीक को जानता हूं वह शुरुआत में थोड़ी धीमी रहती है और अपनी पूरी ऊर्जा अंतिम 100 मीटर में लगा देती है। यही उसकी खासियत है”। निपुण कहते हैं, “हिमा को ट्रैक के कर्व (मोड़) पर थोड़ी समस्या होती है यह बहुत हल्की सी दिक्कत है। यही वजह है कि शुरुआत में वह हमेशा पीछे ही रहती है लेकिन जब ट्रैक सीधा हो जाता है तो वह तेज़ी से रिकवर करते हुए सबसे आगे निकल जाती है”।
18वे एशियाई खेल
18 वर्षीय हिमा ने आईएएएफ विश्व अंडर-20 चैम्पियनशिप में स्वर्ण जीतकर इतिहास रचा था। पूरे देश को एशियाई खेलों में भी उनसे स्वर्ण पदक की उम्मीद थी और वह इसकी दावेदार भी थीं। लेकिन सेमीफाइनल में उनके फाउल होने के कारण भारत के पदक जीतने की उम्मीदों को झटका लगा और हिमा को इस प्रतिस्पर्धा में रजत पदक के साथ संतोष करना पड़ा। फाइनल रेस में उन्होंने 50.79 सेकेंड के समय निकाला। हिमा ने शानदार दौड़ लगाई।
2019 पोज़नान एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स, पोलैंड
हिमा दास ने 2019 में पोलैंड में आयोजित हो रही प्रतियोगिता में 2 स्वर्ण पदक हासिल किये। यह दोनों पदक उन्हें 200 मीटर की रेस में प्राप्त हुए। हिमा को पहला पदक 2 जुलाई को पोजनान एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स में 200 मीटर रेस 23.65 सेकंड में पूरी कर जीता जबकि दूसरा 7 जुलाई को कुनटो एथलेटिक्स मीट में 200 मीटर रेस को 23.97 सेकंड में पूरा कर जीता।
चेक गणराज्य
पोलैंड में जिस तरह का प्रदर्शन हिमा ने किया था उसकी तरह का प्रदर्शन उन्होंने चेक गणराज्य में किया। इसके साथ ही उन्होंने मात्र 19 दिन में 5 लगातार स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया हैं। जिसमे 2 पदक उन्होंने पोलैंड में और 3 पदक चेक गणराज्य में हासिल किये। हिमा ने क्लाद्नो एथलेटिक्स मीट और ताबोर एथलेटिक्स मीट की 200 मीटर की क्षेणी में और नोवे मेस्टो नाड मेटुजी ग्रांप्री में 400 मीटर की क्षेणी में स्वर्ण पदक हासिल किया।
हिमा दास ने जीते 19 दिनों में 5 स्वर्ण पदक
- पहला स्वर्ण पदक: 2 जुलाई 2019 – पोलैंड में पोजनान एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स में 200 मीटर रेस 23.65 सेकंड में पूरी कर जीता
- दूसरा स्वर्ण पदक: 7 जुलाई 2019 – पोलैंड में कुनटो एथलेटिक्स मीट में 200 मीटर रेस को 23.97 सेकंड में पूरा किया
- तीसरा स्वर्ण पदक: 13 जुलाई 2019 – चेक रिपब्लिक में क्लाद्नो एथलेटिक्स मीट में 200 मीटर रेस 23.43 सेकेंड में पूरी की
- चौथा स्वर्ण पदक: 17 जुलाई 2019 – चेक रिपब्लिक में ताबोर एथलेटिक्स मीट में 200 मीटर रेस 23.25 सेकंड के साथ जीती
- पांचवा स्वर्ण पदक: 20 जुलाई 2019 – ‘नोवे मेस्टो नाड मेटुजी ग्रांप्री’ में हिमा ने 400 मीटर की रेस 52.09 सेकंड में पूरी करके जीती