एक नजर में लाला लाजपत रॉय
उस समय स्वामी दयानंद सरस्वती ने स्थापन किया हुवा “आर्य समाज” सार्वजनिक कार्य आगे था। आर्य समाज के विकास के आदर्श की तरफ और समाज सुधार के योजनाओं की तरफ लालाजी आकर्षित हुए। वो सोलह साल की उम्र में आर्य समाज के सदस्य बने।
- 1882 में हिन्दी और उर्दू इनमें से किस भाषा की मान्यता होनी चाहिये, इस विषय पर बड़ी बहस चल रही थी। लालाजी हिन्दी के बाजु में थे। उन्होंने सरकार को वैसा एक अर्जी की और उस पर हजारो लोगो की दस्तखत ली।
- 1886 में कानून की उपाधि परीक्षा देकर दक्षिण पंजाब के हिसार में उन्होंने वकील का व्यवसाय शुरु किया।
- 1886 में लाहोर को आर्य समाज की तरफ से दयानंद अँग्लो-वैदिक कॉलेज निकालने का सोचा। उसके लिए लालाजी ने पंजाब में से पाच लाख रुपये जमा किये। 1 जून 1886 में कॉलेज की स्थापना हुयी। लालाजी उसके सचिव बने।
- आर्य समाज के अनुयायी बनकर वो अनाथ बच्चे, विधवा, भूकंपग्रस्त पीडीत और अकाल से पीड़ित इन लोगो की मदत को जाते थे।
- 1904 में “द पंजाब” नाम का अंग्रेजी अखबार उन्होंने शुरु किया। इस अखबार ने पंजाब में राष्ट्रीय आन्दोलन शुरु किया।
- 1905 में काँग्रेस की ओर से भारत की बाजू रखने के लिये लालाजी को इग्लंड भेजने का निर्णय लिया। उसके लिये उनको जो पैसा दिया गया उसमे का आधा पैसा उन्होंने दयानंद अँग्लो-वैदिक कॉलेज और आधा अनाथ विद्यार्थियों के शिक्षा के लिये दिया। इंग्लंड को जाने का उनका खर्च उन्होंने ही किया।
- 1907 में लाला लाजपत रॉय किसानो को भडकाते है, सरकार के विरोधी लोगों को भड़काते है ये आरोप करके सरकार ने उन्हें मंडाले के जेल में रखा था। छे महीनों बाद उनको छोड़ा गया पर उनके पीछे लगे हुये सरकार से पीछा छुड़ाने के लिये वो अमेरिका गये। वहा के भारतीयों में स्वदेश की, स्वातंत्र्य का लालच निर्माण करने के उन्होंने “यंग इंडिया” अखबार निकाला। वैसे ही भारतीय स्वतंत्र आंदोलन का गति देने के लिये “इंडियन होमरूल लीग” की स्थापना की।
- स्वदेश के विषय में परदेश के लोगों में विशेष जागृती निर्माण करके 1920 में वो अपने देश भारत लौटे। 1920 में कोलकाता यहाँ हुये कॉग्रेस के खास अधिवेशन के लिये उन्हें अध्यक्ष के रूप में चुना गया। उन्होंने असहकार आंदोलन में हिस्सा लिया और जेल गए। उसके पहले लालाजी ने लाहोर में “तिलक राजनीती शास्त्र स्कुल” नाम की राष्ट्रिय स्कुल शुरु किया था।
- लालाजी ने “पीपल्स सोसायटी” (लोग सेवक संघ) नाम की समाज सेवक की संस्था निकाली थी।
- 1925 में कोलकाता में हुये ‘हिंदु महासभा’ के आन्दोलन के अध्यक्ष स्थान लालाजी ने भुशवाया।
- 1925 में “वंदे मातरम” नाम के उर्दू दैनिक के संपादक बनकर उन्होंने काम किया।
- 1926 में जिनिव्हा को आंतरराष्ट्रिय श्रम संमेलन हुवा। भारत के श्रमिको के प्रतिनिधी बनकर लालाजी ने उसमे हिस्सा लिया। ब्रिटन और प्रान्स में हुये ऐसे ही संमेलन में उन्होंने हिस्सा लिया।
- 1927 में भारत कुछ सुधारना कर देने हेतु ब्रिटिश सरकार ने सायमन कमीशन की नियुक्ती की पर सायमन कमीशन सातों सदस्य अग्रेंज थे। एक भी भारतीय नहीं था। इसलिये भारतीय राष्ट्रिय कॉग्रेस ने सायमन कमीशन पर बहिष्कार डालने का निर्णय लिया।
- 30 अक्तुबर १९२८ में सायमन कमीशन पंजाब पोहचा। लोगोंने लाला लाजपत रॉय इनके नेतृत्व में निषेध के लिये बहोत बड़ा मोर्चा निकाला। पुलिस ने किये हुये निर्दयी लाठीचार्ज में लाला लाजपत रॉय घायल हुये और दो सप्ताह के बाद अस्पताल में उनकी मौत हुयी।