Manu Bhaker Biography in Hindi

मनु भाकर बायोग्राफी: व्यक्तिगत व खेल जीवन, मेडल्स और उपलब्धियाँ

मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक 2024 की 10 मीटर एयर पिस्टल प्रतिस्पर्धा और 10 मीटर मिक्सड डबल्स में कांस्य पदक जीता है। मनु भाकर एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली इकलौती एथलीट हैं। 2018 के ISSF वर्ल्ड कप में उन्होंने भारत के लिए दो स्वर्ण पदक जीते। इस प्रतिस्पर्धा में स्वर्ण जीतने वाली वे भारत की सबसे कम उम्र की महिला हैं। मनु ने महज 16 साल की उम्र में 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में एयर पिस्टल स्पर्धा में दो स्वर्ण जीते हैं।

मनु भाकर बायोग्राफी:

Name: मनु भाकर (Manu Bhaker)
Born: 18 February 2002 – Goria, Jhajjar district, Haryana, India
Sport: Shooting
Nationality: Indian
Height & Weight: 168 cm (5 ft 6 in) :: 60 kg (132 lb)
Parents: Ram Kishan Bhaker (Father) :: Sumedha (Mother)

मनु भाकर का जन्म 18 फरवरी, 2002 को हरियाणा, भारत के झज्जर जिले के गोरिया गांव में हुआ था। उनके पिता राम किशन भाकर मर्चेंट नेवी में चीफ इंजीनियर हैं। वे मनु के शूटिंग करियर के बहुत बड़े प्रवर्तक रहे हैं, उन्होंने उसे प्रशिक्षित करने के लिए ₹150,000 खर्च किए हैं। मनु को शूटिंग के प्रति अपना प्यार तब मिला जब वह 14 साल की थी, 2016 रियो ओलंपिक के ठीक बाद।

मनु भाकर ने 2017 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करना शुरू किया और जल्द ही एक शीर्ष निशानेबाज बन गईं। 2018 में, उन्होंने ISSF विश्व कप में दो स्वर्ण पदक जीते, जिससे वह ऐसा करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय बन गईं। उसी वर्ष, उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में राष्ट्रमंडल खेलों में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में भी स्वर्ण पदक जीता, जब वह सिर्फ़ 16 साल की थीं। उन्होंने एक अन्य भारतीय निशानेबाज अभिषेक वर्मा के साथ मिलकर जकार्ता में 2018 एशियाई खेलों में मिश्रित टीम 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता।

Medal Record: Women’s shooting

Competition
Gold
Silver
Bronge
Olympics
0
0
2
World Championships
1
1
0
Asian Games
1
0
0
World Cup
9
2
0
Youth Olympic Games
1
1
0
ISSF Junior World Championships
4
0
1
Commonwealth Games
1
0
0

 

भारतीय खेलों में मनु भाकर के प्रयासों ने उन्हें 2020 में अर्जुन पुरस्कार दिलाया। उन्होंने अच्छा प्रदर्शन जारी रखा और दिल्ली में 2019 ISSF विश्व कप में 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। 2018 यूथ ओलंपिक में, उन्होंने स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय निशानेबाज और भारत की पहली महिला एथलीट के रूप में इतिहास रच दिया।

2020 में टोक्यो ओलंपिक मनु भाकर के लिए बहुत कठिन समय था। वह किसी भी फाइनल में नहीं पहुंच पाईं, जो उनके जीवन की सबसे दुखद यादों में से एक है। उन्हें खुद पर शक हुआ और बहुत दबाव महसूस हुआ, जिससे उनके खेल पर असर पड़ा। महामारी ने भी उन पर गहरा प्रभाव डाला, जिससे वह एक व्यक्ति के रूप में बदल गईं और ज्यादा सोचने लगीं। हालांकि, इस समय के बाद वह और ज्यादा आत्मविश्वासी और दृढ़ संकल्प वाली बनकर सामने आईं।

मनु भाकर ने पिछले कुछ सालों में बहुत अच्छा खेल दिखाया है। उन्होंने 2022 एशियाई खेलों में महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल टीम मुकाबले में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता। 2024 तक, वह पेरिस ओलंपिक में दो व्यक्तिगत पिस्टल इवेंट्स और 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड टीम इवेंट में हिस्सा लेने जा रही हैं। उन्होंने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट के फाइनल में पहुंचकर अपनी काबिलियत साबित की है और क्वालिफिकेशन में तीसरा स्थान पाया था।

मनु भाकर ने पिछले कुछ सालों में बहुत अच्छा खेल दिखाया है। उन्होंने 2022 एशियाई खेलों में महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल टीम मुकाबले में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता। 2024 तक, वह पेरिस ओलंपिक में दो व्यक्तिगत पिस्टल इवेंट्स और 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड टीम इवेंट में हिस्सा लेने जा रही हैं। उन्होंने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट के फाइनल में पहुंचकर अपनी काबिलियत साबित की है और क्वालिफिकेशन में तीसरा स्थान पाया था।

Indian shooters with Olympic medals:

  • Rajyavardhan Singh Rathore (men’s double trap) – silver at Athens 2004
  • Abhinav Bindra (men’s 10m air rifle) – gold at Beijing 2008
  • Gagan Narang (men’s 10m air rifle) – bronze at London 2012
  • Vijay Kumar (men’s 25m rapid fire pistol) – silver at London 2012
  • Manu Bhaker (women’s 10m air pistol) – bronze at Paris 2024
  • Manu BhakerSarabjot Singh (mixed team 10m air pistol) – bronze at Paris 2024

आज मनु भाकर के पास 2 ओलंपिक मेडल, कभी एक गलती पर देने पड़ते थे ₹36 हजार फाइन

साल 2020 के टोक्यो ओलंपिक में तकनीकी खराबी के कारण वो मेडल जीतने से चूक गई थीं, उस समय मनु इतनी निराश हुईं थीं कि उन्होंने खेल को अलविदा कह पढ़ाई में या अन्य सेवाओं में अपना करियर बनाने का मन बना लिया था।

पेरिस ओलंपिक में दो कास्य पदक जीतकर मनु भाकर ने अपना नाम इतिहास में लिख लिया है। वह भारत की पहली ऐसी महिला हैं जिन्होंने ओलंपिक में एक के बाद एक करके दो मेडलों को अपने नाम किया है। पहला 10 मीटर एयर पिस्टल सिंगल्स में और दूसरा 10 मीटर मिक्स्ड शूटिंग में। उनकी इस जीत से न केवल उनके परिजन बल्कि पूरा राष्ट्र उत्साहित है। आज हर कोई मनु भाकर के बारे में जानना और पढ़ना जानता है। ऐसे में आइए आज आपको मनु भाकर से कुछ विशेष जानकारी दें।

मनु भाकर को आज हम लोग एक मशहूर भारतीय खेल निशानेबाज खिलाड़ी के तौर पर जानते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि मनु का संघर्ष बहुत बड़ा है और उसी संघर्ष का नतीजा है कि आज उन्होंने ओलंपिक्स में इतिहास बनाया। हरियाणा के झज्जर में 18 फरवरी 2002 को उनका जन्म हुआ था। वहीं शिक्षा की बात करें यूनिवर्सल पब्लिक सेकेंड्री स्कूल से पढ़ी भाकर ने दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज से राजनीति विज्ञान में ऑनर्स किया, फिर पंजाब यूनिवर्सिटी से लोक प्रशासन में पढ़ाई शुरू कर दी।

बताया जाता है कि शुरुआत से ही मनु भाकर को टेनिस, स्केटिंग, बॉक्सिंग का शौक था। इसके अलावा वीरेंद्र सहवाग की झज्जर क्रिकेट अकादमी से उन्होंने क्रिकेट भी सीखा था। लेकिन स्कूल में जब खेल चुनने की बारी आई तो उन्होंने शूटिंग का चुनाव किया। 14 साल की उम्र में उन्होंने निशानेबाजी की शुरुआत की। मात्र 2 साल में वो इतनी निपुण हो गईं कि 16 साल की उम्र तक उन्होंने कॉमनवेल्थ में स्वर्ण पदक जीत लिया था। बाद में 2019 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ एथलीट पुरस्कार मिला और 2020 में उनके हिस्से अर्जुन पुरस्कार आया और इस तरह पुरस्करों की गिनती बढ़ती गई।

जाहिर है एक प्रतिस्पर्धा में जीत हासिल करने के बाद मनु को बहुत लोगों ने सपोर्ट किया होगा, लेकिन क्या ऐसे हाल उनकी पहचान बनने से पहले भी थे? नहीं। एक समय था जब मनु पर अपनी पिस्टल तक नहीं थी, वो अपने सर की पिस्टल से प्रैक्टिस करती थीं। उनके पिता रामकिशन भाकर उन्हें लाइसेंसी पिस्टल दिलाने के लिए खूब कोशिश करते थे। 45 किलोमीटर दूर झज्जर जाते थे, लेकिन अफसर उनकी एक नहीं सुनते थे। धीरे-धीरे एशियन य़ूथ गेम्स नजदीक आए तो मनु को पिस्टल की जरूरत और महसूस होने लगी। बार-बार अनुरोध पर पुलिस और मजिस्ट्रेट तो मान गए मगर एडीसी अमुनति देने को तैयार नहीं थे। अंत में अपनी बेटी के सपनों के लिए रामकिशन भाकर ने सीएमओ और खेल मंत्री को ट्वीट किया और मनु को गन का लाइसेंस मिला।

कामयाबी की ऊँचाई पर चढ़ते हुए मनु भाकर के जीवन में कुछ वक्त ऐसे आए जब मानसिक तनाव भी हुआ। साल 2020 के टोक्यो ओलंपिक में तकनीकी खराबी के कारण वो मेडल जीतने से चूक गई थीं, उस समय मनु इतनी निराश हुईं थीं कि उन्होंने खेल को अलविदा कह पढ़ाई में या अन्य सेवाओं में अपना करियर बनाने का मन बना लिया था। 2023 में कोच जसपाल राणा ने उनका मार्गदर्शन किया। उन्होंने मनु भाकर से कहा कि वो न सिर्फ देश, बल्कि दुनिया की सबसे बेहतरीन शूटरों में से एक हैं, ऐसे में उन्हें निर्णय लेना है कि वो अपने करियर को किस दिशा में ले जाना चाहती हैं। उनकी हौसला अफजाही के कारण ही मनु ने 10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग चुना और पदक जीत अपना अपने कोच का नाम रौशन किया।

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने अपने कोच को लेकर कहा, “वो बहुत ज्यादा खास हैं। उनकी कड़ी ट्रेनिंग ने ही मेरे लिए निशानेबाजी को आसान किया। हमने तकनीकी एरिया पर बहुत काम किआ। उनकी कोचिंग देने का तरीका बहुत अलग था। वो मुझे अलग-अलग टारगेट देते थे। अगर मैं उन्हें पूरा करने में विफल होती थीं तो वो मुझसे पैसे दान करवाते थे। कभी 40 यूरो (3,628 रुपए) और अगले दिन 400 यूरो (करीबन 36 हजार रुपए)।”

इसी तरह इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मनु भाकर ने उन्हें चाय की केतली वाला क‍िस्‍सा सुनाया, जहाँ उन्होंने कहा, “केरल के चेरई में छुट्टियाX बिता रही थी, तभी चाय की केतली से प्रेरणा मिली। हुआ कुछ यूं क‍ि होटल में अकेली थी, तभी चाय की केतली उठाई, वह पानी से भरी हुई थी। उस वक्‍त मैं रेस्‍टलेस हो रही थी। मुझे वापसी की जरूरत थी। भरी हुई केतली उठाना निशानेबाजों के अभ्यास का हिस्सा है। यहीं से फ‍िर लगा क‍ि क्‍यों न एक बार फ‍िर ये कोश‍िश करते हैं। जंग जीतकर ही लौटेंगे। और फ‍िर अगली फ्लाइट दिल्ली की ली और रेंज पर वापसी की। आज जो कुछ भी मिला, उसमें उसका भी बहुत योगदान है।”

इसके अतिरिक्त मनु भाकर अपनी जीत के बाद भगवद गीता पढ़ने की बात भी बताई थी। उन्होंने कहा था कि खेल के आखिरी क्षणों में उन्होंने जीत-हार का नहीं सोचा था। उन्हें सिर्फ ये याद था कि श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि सिर्फ कर्म करो। उन्होंने बस वही किया और जो जीत मिली उसकी खुशी वो बता भी नहीं सकतीं। उन्होंने कहा कि वो अपने कोच, अन्य भारतीय कोच, माता पिता, भारत के खेल प्रशासन सबकी शुक्रगुजार हैं। उनसे पहले निशानेबाजी में भारत को 4 बार ओलंपिक मेडल मिला था। 2004 में राज्यवर्धन राठौड़ ने रजत पदक दिलाया था, अभिनव बिंद्रा ने 2008 में स्वर्ण, गगन नारंग ने 2012 में ब्रॉन्ज, विजय कुमार ने रजत।

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