देवगिरि नामक एक छोटा – सा राज्य था। चौदहवीं शताब्दी में वहाँ के राजा रामदेव पर अलाउद्दीन ने चढ़ाई की। उसने राजा रामदेव के पास अधीनता स्वीकार करने के लिये संदेस भेजा, किन्तु सच्चे राजपूत पराधीन होने के बदले युद्ध में हँसते – हँसते मर जाना अधिक उत्तम मानते हैं। राजा रामदेव ने अलाउद्दीन को बहुत कड़ा उत्तर दिया। क्रोध …
Read More »आत्मनियंत्रण – जेन गुरु की शिक्षाप्रद कहानी
जापान का एक युवा तीरंदाज खुद को दुनिया का सबसे बड़ा धनुर्धर मानने लगा। जहां भी वह जाता लोगों को मुकाबले की चुनौती देता और हराकर उनका खूब मजाक उड़ाता। एक बार उसने एक जेन गुरु बोकोशु को चुनौती दी। गुरु ने पहले तो उसे समझाना चाहा लेकिन जब वह अपने गुमान में अड़ा ही रहा तो बोकोशु ने चुनौती …
Read More »हाथ पाँव की कायली, मुह में मूंछें जायँ Folktale on Hindi Proverb
एक आलसी आदमी था। उसका परिवार खाता – पीता सम्पन था। इसलिए वह काम पर भी कभी कभी जाता था। जब भी जाता था, दो – चार घंटो से अधिक दुकान पर नहीँ बैठता था। खाने – पीने मेँ चुस्त था लेकिन अपनी देखभाल करने मेँ बहुत आलसी था। कपड़े तो उसकी पत्नी और लड़के धो देते थे। लेकिन सिर के …
Read More »गए थे नमाज पढ़ने, रोजे गले पड़ गए Folktale on Hindi Proverb
एक मोहल्ले में काजी का परिवार था। सब मोहल्ले वाले काजी के परिवार का सम्मान करते थे। इस परिवार के सभी बच्चे पढ़ने में होशियार थे। सभी काम में लगे हुए थे। लेकिन उस परिवार में एक लड़का ऐसा था कि उसके आचार – विचार घर के लोगों से अलग थे। परिवार के सब लोग नमाज पढ़ते थे और धार्मिक …
Read More »बात चलती है, तो दूर तक जाती है Folktale on Hindi Proverb
एक गाँव के दो परिवारों में बहुत घनिष्टता थी। दोनों परिवार के लोग एक – दुसरे के यहाँ आते – जाते थे, उठते – बैठते थे। यदि कभी एक परिवार परेशानी में होता था, तो दूसरा परिवार उसकी मदद करने को तैयार रहता था। गाँव में किसी से कहा – सुनी हो जाए या झगड़ा हो जाए, तो दोनों परिवार मिलकर …
Read More »अँधा बांटे रेबड़ी, घूम – धूम अपने को देय Folktale on Hindi Proverb
एक गड़रियों का गाँव था। ये लोग अधिकतर बकरियां और भेड़े चराने का काम करते थे। उनमें कई लोग ऊंट भी रखते थे। ऊंट से गाँव के आस – पास लगने वाले हाटों का सामान लाते, ले जाते थे। एक दिन एक गड़रिया ऊंट खरीदकर लाया। उसने इस ख़ुशी में लोगों को प्रसाद बांटना चाहा। उसने दो व्यक्तियों को बनिया की …
Read More »अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे Folktale on Hindi Proverb
अनाज तथा अन्य सामान की ढुलाई बैलजाड़ियां, घोड़ों, ऊंटों आदि से होती थी। सामान को लाने – ले – जाने के यही साधन थे। एक आदमी ऊंट से सामान लाने – ले – जाने का काम करता था। कभी वह खलिहानों से अनाज बाज़ार में ले जाता था। कभी सामान को एक स्थान से दुसरे स्थान पर ले जाता था। …
Read More »ऊंट की चोरी निहुरे – निहुरे Folktale on Hindi Proverb
एक चोर था। वह जानवरों की चोरी किया करता था। कभी कहीं से गाय चुरा लेता था। कहीं से बैल चुरा लेता था। चोरी किए गए चौपायों को वह बहुत दूर जाकर बेच आता था। कभी – कभी वह जानवरों के मेलों में बेच आता था। कई बार वह पकड़ा भी गया था। खूब पीटा भी था। कभी – कभी वह …
Read More »बिटौरे से तो उपले ही निकलेंगे Folktale on Hindi Proverb
एक अहींरो का गाँव था। उसमे एक युवक था। उसकी चोरी करने की आदत छुटपन से ही पड़ गई थी। वैसे तो इस प्रवृत्ति के दो – चार व्यक्ति और भी थे इस गांव मेँ। उससे पूरा परिवार दुखी रहता था। चोरी – चकारी मे जब उसका नाम आता था, परिवार के लोगो की निगाहें नीची हो जाती थी। बड़ी …
Read More »कभी घी भर घना, कभी मुट्ठी भर चना Folktale on Hindi Proverb
एक संपन्न परिवार था। उसके यहाँ खेतीवाड़ी का काम होता था। घर मेँ गांय – भैंसे थी। फसल खूब होती थी। घर मेँ सब तरह का सामान बना रहता था। रिश्तेदारोँ की आव – भगत भी अच्छी होती थी। तीज – त्योहार के दिन पूरी पकवान बनते थे। कहने का मतलब किसी तरह की कोई कमी न थी। गाय – …
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