क्या बताएँ आपसे हम हाथ मलते रह गए गीत सूखे पर लिखे थे, बाढ़ में सब बह गए। भूख, महगाई, गरीबी इश्क मुझसे कर रहीं थीं एक होती तो निभाता, तीनों मुझपर मर रही थीं मच्छर, खटमल और चूहे घर मेरे मेहमान थे मैं भी भूखा और भूखे ये मेरे भगवान् थे रात को कुछ चोर आए, सोचकर चकरा गए …
Read More »नाजायज बच्चे – हुल्लड़ मुरादाबादी
परेशान पिता ने जनता के अस्पताल में फोन किया “डाक्टर साहब मेरा पूरा परिवार बीमार हो गया है बड़े बेटे आंदोलन को बुखार प्रदर्शन को निमोनिया तथा घेराव को कैंसर हो गया है सबसे छोटा बेटा ‘बंद’ हर तीन घंटे बाद उल्टियाँ कर रहा है मेरा भतीजा हड़ताल सिंह हार्ट अटैक से मर रहा है डाक्टर साहब, प्लीज जल्दी आइए …
Read More »फरियाद – प्रीत अरोड़ा
आजादी के इस पावन अवसर पर आइए सुनते हैं इनकी फरियाद चीख-चीखकर ये भी कह रहे हैं आखिर हम हैं कितने आजाद पहली बारी उस मासूम लड़के की जो भुखमरी से ग्रस्त होकर न जाने हर रोज कितने अपराध कर ड़ालता है दूसरी बारी उस अबला नारी की जो आए दिन दहेज़ के लोभियों द्वारा सरेआम दहन कर दी जाती …
Read More »वक़्त का सब्र
आगे सफर था… और पीछे हमसफर था… रूकते तो सफर छूट जाता… और चलते तो हम सफर छूट जाता… मुद्दत का सफर भी था… और बरसो का हम सफर भी था… रूकते तो बिछड जाते… और चलते तो बिखर जाते… यूँ समँझ लो… प्यास लगी थी गजब की… मगर पानी मे जहर था… पीते तो मर जाते… और ना पीते …
Read More »हम होंगे कामयाब – गिरिजा कुमार माथुर
होंगे कामयाब होंगे कामयाब हम होंगे कामयाब एक दिन मन में है विश्वास पूरा है विश्वास हम होंगे कामयाब एक दिन। होगी शांति चारो ओर होगी शांति चारो ओर होगी शांति चारो ओर… एक दिन मन में है विश्वास पूरा है विश्वास हम होंगे कामयाब एक दिन। नहीं डर किसी का आज नहीं डर किसी का आज नहीं डर किसी …
Read More »ट्रांसफर
पापा का ट्रांसफर हो जाये तो नई जगह पर जाना पड़ता है, नए स्कूल में नए साथियो से परिचय बढ़ाना पड़ता है! पुराने स्थान पुराने साथियों की यादो को मन से हटाना पड़ता है कई अंकल ट्रांसफर होने पर भी परिवार को साथ नहीं ले जाते हैं, ऐसे हमारे सहपाठी वहीं रह कर परिवर्तन की पीड़ा से बच जाते है! …
Read More »इब्नबतूता बगल में जूता – गुलजार
इब्नबतूता बगल में जूता पहने तो करता है जुर्म उड़ उड़ आवे, दाना चुगे उड़ जावे चिड़िया फुर्र अगले मोड़ पर मौत खड़ी है अरे मरने की भी क्या जल्दी है हार्न बजा कर आ बगिया में दुर्घटना से देर भली है दोनों तरफ से बजती है यह आए हाए जिंदगी क्या ढोलक है हार्न बजा कर आ बगिया में …
Read More »अलविदा अब्दुल कलाम
बोलते-बोलते अचानक धड़ाम से जमीन पर गिरा एक फिर वटवृक्ष फिर कभी नहीं उठने के लिए वृक्ष जो रत्न था वृक्ष जो शक्तिपुंज था वृक्ष जो न बोले तो भी खिलखिलाहट बिखेरता था चीर देता था हर सन्नाटे का सीना सियासत से कोसों दूर अन्वेषण के अनंत नशे में चूर वृक्ष अब नहीं उठेगा कभी अंकुरित होंगे उसके सपने फिर …
Read More »क्यों पैदा किया था? – हरिवंश राय बच्चन
जिंदगी और जमाने की कशमकश से घबराकर मेरे बेटे मुझसे पूछते हैं कि हमें पैदा क्यों किया था? और मेरे पास इसके सिवाय कोई जवाब नहीं है कि मेरे बाप ने मुझसे बिना पूछे मुझे क्यों पैदा किया था? और मेरे बाप को उनके बाप ने बिना पूछे उन्हें और उनके बाबा को बिना पूछे उनके बाप ने उन्हें क्यों …
Read More »जी नही चाहता कि, नेट बंद करू
जी नही चाहता कि, नेट बंद करू! अच्छी चलती दूकान का, गेट बंद करू! हर पल छोटे – बड़े, प्यारे-प्यारे मैसेज, आते है! कोई हंसाते है, कोई रूलाते है! रोजाना हजारों, मैसेज की भीड़ में, कभी-कभी अच्छे, मैसेज भी छूट जाते है! मन नही मानता कि , दोस्तो पर कमेंट बंद करू! जी नही चाहता कि, नेट बंद करू! प्रात: …
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