वो कमीज के बटन ऊपर नीचे लगाना अपने बाल खुद न काढ पाना पी टी शूज को चाक से चमकाना वो काले जूतों को पैंट से पोछते जाना ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना … वो बड़े नाखुनो को दांतों से चबाना और लेट आने पे मैदान का चक्कर लगाना वो prayer के समय class में ही …
Read More »एक तिनका – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ एक दिन जब था मुँडेरे पर खड़ा आ अचानक दूर से उड़ता हुआ एक तिनका आँख में मेरी पड़ा। मैं झिझक उठा हुआ बैचैन सा लाल होकर आँख भी दुखने लगी मूठ देने लोग कपड़े की लगे ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी। जब किसी ढब से निकल तिनका गया तब ‘समझ’ ने यों मुझे …
Read More »प्यार की अभिलाषा – सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा
होती जो देह प्यार की परिभाषा, तो कोठों की कहानी कुछ और होती। बनते जो अधर ह्रदय की अभिलाषा, तो घर की रवानी कुछ और होती। होता जो प्यार कोई भौतिक चमचमाहट, तो ऊँची मीनारे न कभी धूल में मिलतीं। होता जो प्यार ऐश्वर्य कि तमतमाहट, तो महलों कि दीवारें खण्डहर न बनतीं। देह से अलग प्यार तो नैसर्गिक आराधना …
Read More »आहिस्ता चल जिंदगी
आहिस्ता चल जिंदगी, अभी कई कर्ज चुकाना बाकी है कुछ दर्द मिटाना बाकी है कुछ फर्ज निभाना बाकी है रफ़्तार में तेरे चलने से कुछ रूठ गए कुछ छूट गए रूठों को मनाना बाकी है रोतों को हँसाना बाकी है कुछ रिश्ते बनकर, टूट गए कुछ जुड़ते – जुड़ते छूट गए उन टूटे – छूटे रिश्तों के जख्मों को मिटाना …
Read More »एहसास – मनोज कुमार ‘मैथिल’
तेज़ी से ऊपर उठती पतंग मानो जैसे आकाश को चीर आज उसकी थाह लेकर रहेगी आज, वो सब कुछ पाकर रहेगी जिसकी उसे तमन्ना थी। हवा भी उसकी मृग-तृष्णा के वेग को पुरजोर रूप से बढ़ा रही थी आज हवा ही उसकी परम मित्र थी जिसकी सहायता से वो शीघ्र अति शीघ्र अपनी मंज़िल पा लेगी। पर एक चीज़ उसके …
Read More »दमा दम मस्त कलंदर – रुना लैला
ओह हो, ओह हो हो ओ लाल मेरी पट रखियो बल झूले लालन – २ सिन्ध्ड़ी दा सेहवन दा सखी शाबाज़ कलंदर दमा दम मस्त कलंदर, अली दम दम दे अंदर दमा दम मस्त कलंदर, अली दा पहला नंबर ओ लाल मेरी, ओ लाल मेरी चार चराग तेरे बलां हमेशा – ३ पंजवा में बलां आई आन बला झूले लालन …
Read More »चतुर चित्रकार – रामनरेश त्रिपाठी
चित्रकार सुनसान जगह में बना रहा था चित्र। इतने ही में वहां आ गया यम राजा का मित्र॥ उसे देखकर चित्रकार के तुरंत उड़ गये होश। नदी पहाड़ पेड़ फिर उसको कुछ हिम्मत आई देख उसे चुपचाप। बोला सुन्दर चित्र बना दूं बैठ जाइये आप॥ उकरू मुकरू बैठ गया वह सारे अंग बटोर। बड़े ध्यान से लगा देखने चित्रकार की …
Read More »चाँद मद्धम है, आसमाँ चुप है – साहिर लुधियानवी
चाँद मद्धम है, आसमाँ चुप है। नींद की गोद में जहां चुप है॥ दूर वादी पे दूधिया बादल, झुक के पर्वत को प्यार करते हैं। दिल में नाकाम हसरतें लेकर, हम तेरा इन्तज़ार करते हैं॥ इन बहारों के साये में आ जा, फिर मोहब्बत जवां रहे न रहे। ज़िन्दगी तेरे नामुरादों पर, कल तलक मेहरबां रहे न रहे॥ रोज की …
Read More »पति पत्नी की नोकझोंक
पत्नी मायके जाती है और मैसेज भेजती है: “मेरी मोहब्ब्त को अपने दिल में ढूंढ लेना; और हाँ, आटे को अच्छी तरह गूँथ लेना! मिल जाए अगर प्यार तो खोना नहीं; प्याज़ काटते वक्त बिलकुल रोना नहीं! मुझसे रूठ जाने का बहाना अच्छा है; थोड़ी देर और पकाओ आलू अभी कच्चा है! मिलकर फिर खुशियों को बाँटना है; टमाटर जरा …
Read More »चक्कर पे चक्कर – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
आओ एक बनाएं चक्कर फिर उस चक्कर में इक चक्कर फिर उस चक्कर में इक चक्कर फिर उस चक्कर में इक चक्कर और बनाते जाएं जब तक ऊब न जाएं थक कर। फिर सबसे छोटे चक्कर में म्याऊं एक बिठाएं और बाहरी एक चक्कर में चूहों को दौड़ाएं। दौड़-दौड़ कर सभी थकें हम बैठे मारें मक्कर, नींद लगे हम सो …
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