Poems For Kids

Poetry for children: Our large assortment of poems for children include evergreen classics as well as new poems on a variety of themes. You will find original juvenile poetry about trees, animals, parties, school, friendship and many more subjects. We have short poems, long poems, funny poems, inspirational poems, poems about environment, poems you can recite

जय हिन्द – महजबीं

देखो बच्चों यह झंडा प्यारा, तीन रंगों का मेल सारा। रहे सदा ये झंडा ऊँचा आकाश को रहे यह छूता। सदा करो तुम इसका मान, कभी न करना इसका अपमान। झंडा है यह देश की शान, बना रहे यह सदा महान। जय हिन्द ! ∼ महजबीं

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जीवन – सारिका अग्रवाल

संभलकर रखना इस जीवन में कदम, कौन करेगा तुम्हारी कदर, सागर से विशाल आसमान यहाँ, अनगिनत सितारे यहाँ, इंसानों के रंग हज़ार यहाँ कौन समझेगा तुमको यहाँ, कौन खरीदेगा तुम्हारे आंसू यहाँ, संभलकर रखना इस जीवन में कदम। ∼ सारिका अग्रवाल

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जेब में कुछ नहीं है – अभिनव शुक्ला

एक बार एक प्रेमी अपनी रूप से लथपथ मेकअप से सनी हुयी और नाजुक फूलों के डंठलों से बानी हुई प्रेमिका से बोला पुराने शहर की पुरानी गली में पुराना सा एक दरवाजा लगा है जहाँ छत टपकती है बरसात भर मेरा घर वहीँ है। प्रेमिका दूर हटते हुए बोली पहले क्यों नहीं बताया कि रेशम की कमीज जेब में …

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जो हवा में है – उमाशंकर तिवारी

जो हवा में है, लहर में है क्यों नहीं वह बात, मुझमें है? शाम कन्धों पर लिए अपने ज़िन्दगी के रू-ब-रू चलना रोशनी का हमसफ़र होना उम्र की कैंडिल का जलना आग जो जलते सफ़र में है क्यों नहीं वह बात, मुझमें है? रोज़ सूरज की तरह उगना शिखर पर चढ़ना, उतर जाना घाटियों में रंग भर जाना फिर सुरंगों से गुज़र जाना …

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जीकर देख लिया – शिव बहादुर सिंह भदौरिया

जीकर देख लिया जीने में कितना मरना पड़ता है अपनी शर्तों पर जीने की एक चाह सबमें रहती है किन्तु ज़िन्दगी अनुबंधों के अनचाहे आश्रय गहती है क्या-क्या कहना क्या-क्या सुनना क्या-क्या करना पड़ता है समझौतों की सुइयाँ मिलतीं धन के धागे भी मिल जाते संबंधों के फटे वस्त्र तो सिलने को हैं सिल भी जाते सीवन, कौन कहाँ कब उधड़े …

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कवि कभी मरा नहीं करता – गगन गुप्ता ‘स्नेह’

कवि कभी मरा नहीं करता सो जाते हैं अहसास मातृप्राय हो जाते हैं वो तंतु जो सोचा करते हैं सूरज से आगे की सागर से नीचे की वो सोच, जिसने मेघदूत को जन्म दिया वो कभी मरा नहीं करती मर जाते है वो अरमान जब ध्वस्त होते हैं सपनों के किले कवि कभी मरा नहीं करता वह ज़िंदा रखता है …

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कस्बे की शाम – धर्मवीर भारती

झुरमुट में दुपहरिया कुम्हलाई खेतों में अन्हियारी घिर आई पश्चिम की सुनहरिया घुंघराई टीलों पर, तालों पर इक्के दुक्के अपने घर जाने वाले पर धीरे धीरे उतरी शाम ! आँचल से छू तुलसी की थाली दीदी ने घर की ढिबरी बाली जम्हाई ले लेकर उजियाली, जा बैठी ताखों में घर भर के बच्चों की आँखों में धीरे धीरे उतरी शाम …

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मंगलम कोसलेन्ड़ृअय

मंगलम कोसलेन्ड़ृअय — Kosalendraya , Mahaneeya Gunabhdhaye Kosalendraya , Mahaneeya Gunabhdhaye, Chakravarthi Thanujaaya Sarva Bhoumaya Mangalam. 1 (Let good happen to , Rama , Who is the king of Kosala, And the ocean of good qualities. Let good happen to Rama, Who is son of emperor Dasaratha, And who is a very great king.) Vedavedantha Vedhyaya , Megha Shyamala Moorthaye, …

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क्यों ऐसा मन में आता है – दिविक रमेश

जब भी देखूं कोई ठिठुरता, मन में बस ऐसा आता है। ढाँपू उसको बन कर कम्बल, सोच के मन खुश हो जाता है। मत बनूँ बादाम या पिस्ता, मूंगफली ही मैं बन जाऊं। जी में तो यह भी आता है, कड़क चाय बन उनको भाऊं। बन कर थोड़ी धुप सुहानी, उनके आँगन में खिल जाऊं। गरम-गरम कर उसके तन को, …

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किताबें कुछ कहना चाहती हैं – सफ़दर हाश्मी

किताबें करती हैं बातें बीते ज़मानों की दुनिया की, इंसानों की आज की, कल की एक-एक पल की ख़ुशियों की, ग़मों की फूलों की, बमों की जीत की, हार की प्यार की, मार की क्या तुम नहीं सुनोगे इन किताबों की बातें? किताबें कुछ कहना चाहती हैं। तुम्हारे पास रहना चाहती हैं॥ किताबों में चिड़िया चहचहाती हैं किताबों में खेतियाँ …

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