Poems For Kids

Poetry for children: Our large assortment of poems for children include evergreen classics as well as new poems on a variety of themes. You will find original juvenile poetry about trees, animals, parties, school, friendship and many more subjects. We have short poems, long poems, funny poems, inspirational poems, poems about environment, poems you can recite

मैं फिर जन्म लूंगा – गगन गुप्ता ‘स्नेह’

मैं फिर जन्म लूंगा क्या हुआ जो आज जमाने ने मुझे हरा दिया क्या हुआ अगर आज मेरे अपने मुझे धोखा दे गए मैं फिर जन्म लूंगा… अपने सपनों को पूरा करने ब्रह्मा ने तो सृष्टि बनाई है उसमें से मुझे अपनी मंज़िल पानी है अभी ढेर-सा काम बाकी है अभी तो बहुत से किले जीतने है मुझे इस सृष्टि …

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मकान – नरेश अग्रवाल

ये अधूरे मकान लगभग पूरे होने वाले हैं और जाड़े की सुबह में कितनी शांति है थोड़े से लोग ही यहां काम कर रहे हैं कई कमरे तो यूं ही बंद खूबसूरती की झलक अभी बहुत ही कम दिन ज्यूं-ज्यूं बढ़ते जाएंगे काम भी पूरे होते जाएंगे। खाली जगह से इतना बड़ा निर्माण और चांद को भी रोशनी बिखेरने के …

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मेरी किताब – सारिका अग्रवाल

मेरी किताब एक अनोठी किताब, रहना चाहती हरदम मेरे पास। बातें अनेक करती जुबानी सिखलाती ढंग जीने का॥ मेरे प्रश्नों के उत्तर इसके पास, हल करती तुरंत बार-बार। हर एक पन्ने का नया अंदाज़, मजबूर करता मुझे समझने को बार-बार॥ नया रंग नया ढंग, मिलेगा भला ऐसा किस के पास। मेरी किताब एक अनोठी किताब, रहना चाहती हरदम मेरे पास॥ …

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मेरी दादी – परिणीता सुनील इंदुलकर

मेरी दादी बड़ी प्यारी, दुनिया से है वह न्यारी। दादी मेरी अच्छी है, मुझको करती है वह प्यार। मुझको मिलता इनका दुलार, टॉफ़ी मुझको देतीं। बालाएं मेरी लेती है, गले से मुझको लगाती है। रूठ जाऊं तो मनाती है, दादी मेरी प्यारी है। ∼ परिणीता सुनील इंदुलकर

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मेरी बिल्ली काली पीली

मेरी बिल्ली काली पीली, पानी में हो गयी वो गीली। गीली होकर लगी कांपने, ऑछी-ऑछी लगी छींकने। मैं फिर बोली कुछ तो सीख, बिना रुमाल के कभी ना छींक।

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मेरी रेल – सुधीर

छूटी मेरी रेल। रे बाबू, छूटी मेरी रेल। हट जाओ, हट जाओ भैया। मैं न जानूं फिर कुछ भैया। टकरा जाये रेल। धक्-धक् धक्-धक्, धू-धू, धू-धू। भक्-भक्, भक्-भक्, भू-भू, भू-भू। छक्-छक् छक्-छक्, छू-छू, छू-छू। करती आई रेल। इंजन इसका भारी-भरकम। बढ़ता जाता गमगम गमगम। धमधम धमधम, धमधम धमधम। करता ठेलम ठेल। सुनो गार्ड ने दे दी सीटी। टिकट देखता फिरता …

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मन करता है – सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा

मन करता है प्रिये, तुम्हें हर दिन गीत नया सुनाऊँ। गीत नए हों, स्वर नए हों तुम्हें समर्पित उदगार नए हों उदगारों को भाषा देकर तुम पर अपना सर्वस्व लुटाऊँ। मन करता है प्रिये, तुम्हें हर दिन गीत नया सुनाऊँ। फूलों से खुशबू ले लूं तितली से लूं इठलाना नदिओं से शीतलता ले लूं सागर से गहराना झरनों से स्वर …

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लाल पीली मोटर है

लाल पीली मोटर है, उसका मैं ड्राइवर हूँ। चाबी मैं लगाऊँगा, हैंडल को घुमाऊँगा। पापा को बिठाऊँगा, मम्मी को बिठाऊँगा। मोटर चलेगी पों… पों… पों…।

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मुझे पुकार लो – हरिवंश राय बच्चन

इसीलिए खड़ा रहा कि तुम मुझे पुकार लो। ज़मीन है न बोलती न आसमान बोलता, जहान देखकर मुझे नहीं ज़बान खोलता, नहीं जगह कहीं जहाँ न अजनबी गिना गया, कहाँ-कहाँ न फिर चुका दिमाग-दिल टटोलता, कहाँ मनुष्य है कि जो उम्मीद छोड़कर जिया, इसीलिए अड़ा रहा कि तुम मुझे पुकार लो। इसीलिए खड़ा रहा कि तुम मुझे पुकार लो। तिमिर-समुद्र …

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मुखौटे – रामधारी सिंह दिनकर

श्याम बनेगा शेरू अपना गीत बनेगा बन्दर शिल्पा बिल्ली दूध पीएगी बैठी घर के अन्दर बबलू भौं भौं करता कु़त्ता पल पल धूम मचाएगा मोटू अपना हाथी बनकर झूमे सूंड हिलाएगा होगी फिर इन सबकी मस्ती गाती होगी बस्ती खुश होगा हर एक जानवर खुशियॉं कितनी सस्ती हा हा ही ही मैं भी मैं भी लगा मुखौटा गाऊँ तुम हाथी …

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