सीपों से मोती पाने को, मैं सागर तट पर खड़ा रहा। धरती पर मानव खोज रहा, मैं बना दधिचि अड़ा रहा॥ मानव का जीवन सीपों सा, कुछ भरा हुआ कुछ रीता सा। कुछ गुण, कुछ अवगुण, रमें हुए, कुछ गीता सा, कुछ सीता सा॥ मुझसे लहरों का कहना था, मैं सुनने को बस अड़ा रहा। सीपों से मोती पाने को, …
Read More »शौक गुलाबी पंखुड़ियों का – मनोज कुमार ‘मैथिल’
हमें भी शौक हुआ था किताबों के पन्नों में गुलाबी पंखुड़ियों का न जाने कब यह शौक मन में कुलबुलाने लगा। गुलाबी पंखुड़ियों को तोड़ किताबों के पन्नों में डाल दिया करते थे शायद इस आशा में की ये पंखुड़ियां हमेशा ताजा रहेंगी यूँ ही अपने सुगंधों को फैलाती पर आज जब उन पन्नों को खोल रहा था, देखा सूख …
Read More »भालू की शादी
भालू की शादी में आए, बन्दर और बटेर। हाथी आया, अजगर आया, आया बूढ़ा शेर। बन्दर ने ढोलकी बजाई, कोयल ने शहनाई। बिल्ली मौसी बेहद खुश थी, खाकर दूध–मलाई।
Read More »शेर निराला हिम्मतवाला
शेर निराला हिम्मत वाला, लम्बी लम्बी मूंछों वाला, तेज नुकीले दांतों वाला, सब का दिल दहलाने वाला, हटो–हटो आया शेर, भागो–भागो आया शेर।
Read More »तारे – शम्भू नाथ
लगते तारे कितने प्यारे, आसमान के हैं रखवाले, आसमान में टीप–टिप करते, बच्चे इनके हैं मतवाले, प्यारे–प्यारे ये चमकीले, सब को मन के भाने वाले, शाम जब होने को आती, लाल रंग के ये हो जाते, सारी रात बच्चों की भाँती, इधर उधर को सैर लगाते, सारी रात बातें कर–करके, सुबह होते ही घर को जाते, दिन को सोते लूप–छुप …
Read More »तपस्या – डॉ. रीटा हजेला ‘आराधना’
एक लड़की ने भगवान से माँगा वरदान, मुझे भी दे दो पंख मैं नापना चाहती हूँ आसमान। भगवान ने कहा ठीक है मगर तू सिर्फ सपने में उड़ सकेगी, हकीकत के लिए तुझे करनी पड़ेगी अभी और तपस्या। लड़की ने भगवान से कहा मुझे शक्ति दे दो ताकि मैं चढ़ सकूँ पहाड़, क्योंकि मैं चोटी पर बैठ करना चाहती हूँ …
Read More »ताजमहल – कृष्ण कुमार यादव
ताजमहल के नीचे तहखाने में कुलबुलाने लगती हैं दो आत्मायें चिपट जाती हैं वे एक दूसरे से कहीं कोई अलग न कर दे उन्हें दबे पाँव बाहर आती हैं अपनी ही रची सुंदरता को निहारने पर ये क्या? बाहर देखा तो यमुना जी सिमटती नजर आयीं दूर-दूर तक गड़गड़ करती मशीनें कोलाहल और धुँओं के बीच काले पड़ते सफेद संगमरमर …
Read More »घड़ी – ओम प्रकाश बजाज
घड़ी हमें समय बताती है, अलार्म बजाकर हमें जगाती। कलाई पर घड़ी बाँधी जाती है, वह रिस्ट वाच है कहलाती। पॉकेट वाच जेब में रखते, वाल क्लॉक दीवार पर लगते हैं। रेत घड़ी और धुप घड़ी से, वर्तमान घड़ी का जन्म हुआ। लेडीज वाच सुन्दर आकर्षक, आभूषणों जैसी पहनी जाती है। मोबाइल फ़ोन के इस युग में, घड़ी अनावश्यक होती …
Read More »ताजमहल – अरुण प्रसाद
यमुना–तीरे मुस्कुरा रहा। चाँदनी रात में नहा रहा। स्तब्ध, मौन कुछ बोलो तो। कुछ बात व्यथा की ही कह दो अथवा इतिहास बता रख दो। अपनी सुषमा का भेद सही, कुछ खोलो तो। गहराने दो कुछ रात और। तन जाने दो कुछ तार और। तब चला अँगुलियाँ, गीत छेड़ कुछ खोलें भी। उस नील परी सी शहजादी, एक शंहशाह के …
Read More »एक चिड़िया के बच्चे चार
एक चिड़िया के बच्चे चार, घर से निकले पंख पसार। पूरब से पश्चिम को जाएँ, उत्तर से फिर दक्षिण को आएं। घूमघाम जब घर को आएं, मम्मी को एक बात सुनाएं। देख लिया हमने जग सारा, अपना घर है सबसे प्यारा।
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