Poems For Kids

Poetry for children: Our large assortment of poems for children include evergreen classics as well as new poems on a variety of themes. You will find original juvenile poetry about trees, animals, parties, school, friendship and many more subjects. We have short poems, long poems, funny poems, inspirational poems, poems about environment, poems you can recite

स्त्रीलिंग पुल्लिंग – काका हाथरसी

काका से कहने लगे ठाकुर ठर्रा सिंह दाढ़ी स्त्रीलिंग है, ब्लाउज़ है पुल्लिंग ब्लाउज़ है पुल्लिंग, भयंकर गलती की है मर्दों के सिर पर टोपी पगड़ी रख दी है कह काका कवि पुरूष वर्ग की किस्मत खोटी मिसरानी का जूड़ा, मिसरा जी की चोटी। दुल्हिन का सिन्दूर से शोभित हुआ ललाट दूल्हा जी के तिलक को रोली हुई अलॉट रोली …

Read More »

ठहर जाओ – रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’

ठहर जाओ, घड़ी भर और तुमको देख लें आँखें। अभी कुछ देर मेरे कान में गूंजे तुम्हारा स्वर बहे प्रतिरोग में मेरे सरस उल्लास का निर्झर, बुझे दिल का दिया शायद किरण-सा खिल ऊठे जलकर ठहर जाओ, घड़ी भर और तुमको देख लें आँखें। तुम्हारे रूप का सित आवरण कितना मुझे शीतल तुम्हारे कंठ की मृदु बंसरी जलधार सी चंचल तुम्हारे चितवनों …

Read More »

तिल (सेसमे) – ओम प्रकाश बजाज

तिल (सेसमे) - ओम प्रकाश बजाज

जाड़े का मेवा है तिल, सफ़ेद भी काला भी तिल। अत्यंत गुणकारी है तिल, ठण्ड से बचाता है तिल। तिल के लड्डू तिल की गज़क, और रेवड़ी में पड़ता तिल। भांति – भांति के पदार्थों में, मुख्य अवयव होता है तिल। तिल का तेल निकाला जाता, कई प्रकार के काम में आता। कम मात्र बताने के लिए, तिल भर अक्सर …

Read More »

तू कितनी अच्छी है तू कितनी भोली है – आनंद बक्षी

तू कितनी अच्छी है तू कितनी भोली है प्यारी-प्यारी है ओ माँ ओ माँ ये जो दुनिया है ये बन है काँटों का तू फुलवारी है ओ माँ ओ माँ तू कितनी अच्छी… दूखन लागीं माँ तेरी अँखियाँ -२ मेरे लिए जागी है तू सारी-सारी रतियाँ मेरी निंदिया पे अपनी निंदिया भी तूने वारी है ओ माँ ओ माँ तू …

Read More »

तुम्हारे हाथ से टंक कर – कुंवर बेचैन

तुम्हारे हाथ से टंक कर बने हीरे, बने मोती बटन मेरी कमीज़ों के। नयन का जागरण देतीं, नहाई देह की छुअनें, कभी भीगी हुई अलकें कभी ये चुम्बनों के फूल केसर-गंध सी पलकें, सवेरे ही सपन झूले बने ये सावनी लोचन कई त्यौहार तीजों के। बनी झंकार वीणा की तुम्हारी चूड़ियों के हाथ में यह चाय की प्याली, थकावट की …

Read More »

तुम्हारे पाँव मेरी गोद में – धर्मवीर भारती

ये शरद के चाँद से उजले धुले–से पांव, मेरी गोद में। ये लहर पर नाचते ताजे कमल की छांव, मेरी गोद में। दो बड़े मासूम बादल, देवताओं से लगाते दांव, मेरी गोद में। रसमसाती धुप का ढलता पहर, ये हवाएं शाम की झुक झूम कर बिखर गयीं रौशनी के फूल हारसिंगार से प्यार घायल सांप सा लेता लहर, अर्चना की …

Read More »

उपवन – गोविन्द भारद्वाज

फूल खिलें हैं उपवन में, रंग – बिरंगे मधुबन में। छवि फूलों की न्यारी है, महकी क्यारी – क्यारी है। भँवरे – तितली डोले हैं, चुपके – चुपके बोले हैं। मखमल जैसी दूब लगे, प्यारी लेटी धुप लगे। महक बसी है धड़कन में, फूल खिलें हैं उपवन में। ∼ गोविन्द भारद्वाज

Read More »

सरफ़रोशी की तमन्ना – राम प्रसाद बिस्मिल

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है? वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आस्माँ! हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है? एक से करता नहीं क्यों दूसरा कुछ बातचीत, देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है। रहबरे-राहे-मुहब्बत! रह न जाना राह में, लज्जते-सेहरा-नवर्दी दूरि-ए-मंजिल में …

Read More »

सम्पाती – धर्मवीर भारती

(जटायु का बड़ा भाई गिद्ध जो प्रथम बार सूर्य तक पहुचने के लिए उड़ा पंख झुलस जाने पर समुद्र-तट पर गिर पड़ा! सीता की खोज में जाने वाले वानर उसकी गुफा में भटक कर उसके आहार बने) …यह भी अदा थी मेरे बड़प्पन की कि जब भी गिरुं तो समुद्र के पार! मेरे पतन तट पर गहरी गुफा हो एक- …

Read More »