Poems For Kids

Poetry for children: Our large assortment of poems for children include evergreen classics as well as new poems on a variety of themes. You will find original juvenile poetry about trees, animals, parties, school, friendship and many more subjects. We have short poems, long poems, funny poems, inspirational poems, poems about environment, poems you can recite

जय जय शिव शंकर – आनंद बक्षी

जय जय शिव शंकर काँटा लगे न कंकर जो प्याला तेरे नाम का पिया ओ गिर जाऊँगी, मैं मर जाऊँगी जो तूने मुझे थाम न लिया सो रब दी जय जय शिव शंकर… एक के दो दो के चार हमको तो दिखते हैं ऐसा ही होता है जब दो दिल मिलते हैं सर पे ज़मीं पाँव के नीचे है आसमान, …

Read More »

जिस्म संदल – राजमूर्ति सिंह ‘सौरभ’

जिस्म संदल, कारनामे हैं मगर अंगार से, आपकी सूरत अलग है आपके किरदार से। आप के सारे मुखौटे अब पुराने हो गये, औए कुछ चेहरे नए ले आइये बाजार से। ख़ाक हो जाएगी बस्ती, क्या महल क्या झोपडी, दूर रखिये आग को, बारूद के अम्बार से। अपना चेहरा साफ़ करिये, आईने मत तोडिये, हल ना होंगे मसले, यूँ नफरतों-तकरार से। …

Read More »

इक पल – राजीव कृष्ण सक्सेना

इक पल है नैनों से नैनों के मिलने का, बाकी का समय सभी रूठने मनाने का। इक पल में झटके से हृदय टूक-टूक हुआ, बाकी का समय नीर नैन से बहाने का। इक पल की गरिमा ने बुध्द किया गौतम को, बाकी का समय तपी ज़िंदगी बिताने का। पासों से पस्त हुए इक पल में धर्मराज, बाकी का समय कुरुक्षेत्र …

Read More »

जागो जागो शंकरा – महाशिवरात्रि भजन

जागो जागो शंकरा जागो जागो साईश्वरा जागो जागो जागो शंकरा हलाहल धार हे परमेशा हे त्रिपुरारी जय पर्थिशा गंगा धरा शंकरा शिवा गौरी वारा शंकरा हरा गंगा धरा शंकरा सथ्य साईश्वरा शंकरा

Read More »

इतनी शक्ति हमें देना दाता – अभिलाष

इतनी शक्ति हमें देना दाता मन् का वीश्वास कमजोर हो ना हम चलें नेक रस्ते पे हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना… हर तरफ ज़ुल्म है बेबसी है सहमा सहमा सा हर आदमी है पाप का बोझ बढ़ता ही जाये जाने कैसे ये धरती थमी है बोझ ममता का तू ये उठा ले तेरी रचना का ये अंत हो …

Read More »

हिंदी दोहे गणतंत्र के – डॉ. शरद नारायण खरे

भारत के गणतंत्र का, सारे जग में मान। छह दशकों से खिल रही, उसकी अद्भुत शान॥ सब धर्मों को मान दे, रचा गया इतिहास। इसीलिए हर नागरिक, के अधरों पर हास॥ प्रजातंत्र का तंत्र यह, लिये सफलता-रंग। जात-वर्ग औ क्षेत्र का, भेद नहीं है संग॥ पांच वर्ष में हो रहा, संविधान का यज्ञ। शांतिपूर्ण ढंग देखकर, चौंके सभी सुविज्ञ॥ भारत …

Read More »

हिन्दुस्तान के लिए – मनोहर लाल ‘रत्नम’

कहीं हिन्दू सिख मुसलमान के लिए, कहीं छोटी और कहीं कृपाण के लिए। दंगो से तो देखा मेरा देश जल रहा- भैया कुछ तो सोचो हिन्दुस्तान के लिए॥ चिराग घर के के ही जल रह यहाँ, मदारी अपनी ढपलियां बजा रहे यहाँ। द्वेष वाली भावना के विष को घोलके- देश कि अखंडता वो खा रहे यहाँ॥ भाषा-भाषी झगडे जुबान के …

Read More »

हल्दीघाटी: अष्टादश सर्ग – श्याम नारायण पाण्डेय

अष्टादश सर्ग : मेवाड़ सिंहासन यह एकलिंग का आसन है, इस पर न किसी का शासन है। नित सिहक रहा कमलासन है, यह सिंहासन सिंहासन है ॥१॥ यह सम्मानित अधिराजों से, अर्चत है, राज–समाजों से। इसके पद–रज पोंछे जाते भूपों के सिर के ताजों से ॥२॥ इसकी रक्षा के लिए हुई कुबार्नी पर कुबार्नी है। राणा! तू इसकी रक्षा कर …

Read More »

हल्दीघाटी: सप्तदश सर्ग – श्याम नारायण पाण्डेय

सप्तदश सर्ग: सगफागुन था शीत भगाने को माधव की उधर तयारी थी। वैरी निकालने को निकली राणा की इधर सवारी थी ॥१॥ थे उधर लाल वन के पलास, थी लाल अबीर गुलाल लाल। थे इधर क्रोध से संगर के सैनिक के आनन लाल–लाल ॥२॥ उस ओर काटने चले खेत कर में किसान हथियार लिये। अरि–कण्ठ काटने चले वीर इस ओर …

Read More »