Poems For Kids

Poetry for children: Our large assortment of poems for children include evergreen classics as well as new poems on a variety of themes. You will find original juvenile poetry about trees, animals, parties, school, friendship and many more subjects. We have short poems, long poems, funny poems, inspirational poems, poems about environment, poems you can recite

अगर होता मैं – राहुल राज पसरीचा

गर होता मै नन्हा पंछी, छूता नभ को पंख पसार। डालो पर भी गाता रहता, आ जाती जब मस्त बहार। गर होता मै फूल बाग का, जग को मै सिखलाता प्यार। मिट न सके गंध ये मेरी, देता सब को ये उपहार॥ गर होता मै शूल फूल का, सबको मै सिखलाता वार। शत्रु को काम कभी न समझो, शस्त्र को …

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अभागा – गगन गुप्ता ‘स्नेह’

maOM tao ABaagaa qaa maUk¸ isqar AaOr laacaar kuC kh panao maoM Asamaqa- qaa AaOr samaJa na payaa tumharI yao kuiTla caala mauJao samaaPt krnao kI maOM maUk qaa¸ prntu kainthIna nahIM maoro hI saayao maoM tuma baD,o hue yaad Aata hO tumakao jaoz kI ]masa BarI daophr maoM jaba tuma yahaM Kola krto qao maora spSa- tumakao ja$r yaad …

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आसमान – गोविन्द भारद्वाज

नीला-नीला आसमान है, नीचे सुन्दर एक जहान है। बादल रहते इसके संग, कितना अच्छा इसका संग। पंछी ऊँची उड़ान भरे भला इनका भगवान करे। चाँद-तारों का है यह घर, सूरज रहे लटका दिन-भर। छिपा इसमें खगोल बड़ा, पीछे इसके भूगोल बड़ा। इसे छूने का अरमान है, नीला-नीला आसमान है। ∼ गोविन्द भारद्वाज

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आसान रास्ते – विक्रम मुरारक

आसान रास्ते कोई और चुने उनपर कोई और चले। मुझे चाहिए वह रास्ता जिसमें कांटें हों, कंकर और पत्थर हों जो भयानक जंगलो से गुजरे उस पार कोई ऐसा सूरज है कोई ऐसी दुनिया है जो किसी ने नहीं देखी है। शायद मै मर जाऊं, घायल होकर गिर जाऊं! तो क्या? ∼ विक्रम मुरारक

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आरती श्री सत्यनारायण जी की

जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा । सत्यनारायण स्वामी, जन-पातक-हरणा ॥ जय लक्ष्मी… ॥ रत्न जड़ित सिंहासन, अद्भुत छवि राजे । नारद करत नीराजन, घंटा वन बाजे ॥ जय लक्ष्मी… ॥ प्रकट भए कलिकारन, द्विज को दरस दियो । बूढ़ो ब्राह्मण बनकर, कंचन महल कियो ॥ जय लक्ष्मी… ॥ दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी । चंद्रचूड़ इक …

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आँगन की रौनक – प्रीती गांधी

बच्चो, घर कब आओगे? सूनी बगिया कब महकाओगे? आँगन की रौनक कब लौटाओगे? कानो में हमारे, अब भी गूंजतीं है वह किलकारियां तुम्हारी, वह मीठी बातें और हंसी प्यारी! वह तस्वीरें तुम्हारी कर जाती है ताजा फिर यादें पुरानी! ऐसा लगता है, बस कल ही की बात हो जब तुमने अपना पहला शब्द पुकारा था, पहली मुस्कान बिखराई और पहला …

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अपना घर

आओ तुमको दिखलाता हूँ, एक जगह मै ऐसे। नहीं दूसरी दुनिया में, कोई भी उसके जैसी। यह हैं मेरे मम्मी-पापा यह है मेरा भैया। नाच रही वो छोटी बहना, करके ता-ता थैया। यह सारी दुनिया अच्छी है, अच्छे हैं सब गॉव-शहर। लेकिन सबसे प्यारा लगता, सबको अपना-अपना घर।

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आलू बोला

आलू बोला मुझको खा लो, मैं तुमको मोटा कर दूंगा। पालक बोली मुझको खा लो, मैं तुमको ताक़त दे दूंगी। गोभी, मटर, टमाटर बोले, अगर हमें भी खाओगे, खूब बड़े हो जाओगे।

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