The Giant Tortoise lives so long Sometimes for three hundred years. What a lot that creature sees; What a lot of things he hears! His home is an island far away, And there he seeks the food he’ll need. He weighs perhaps five hundred pounds, Which means he’s very big indeed. The Little Tortoise, here at home, Who ambles on …
Read More »A Distant Dream – Salil Dhawan
∼ Salil Dhawan
Read More »A Comparison
I’d ruther lay out here among the trees, With the singing birds and the bumble bees, A-knowing that I can do as I please, Than to live what folks call a life of ease – Up thar in the city. For I don’t ‘xactly understan’ Where the comfort is for any man, In walking hot bricks and using a fan, …
Read More »A Christmas To Remember
A Christmas to Remember (with lyrics) — Kenny Rogers & Dolly Parton You’ve made this a Christmas to remember Springtime feelin’s in the middle of December Strangers meet and they willingly surrender Oh! What a Christmas to remember Almost went to Aspen but something told me no I considered Mammoth but there wasn’t enough snow And I even thought of Gatlinburg …
Read More »अदभुत स्वप्न – मनीषा
∼ Manisha Class 8th A Student of St. Gregorios School, Gregorios Nagar, Sector 11, Dwarka, New Delhi.
Read More »मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है कुछ जिद्दी, कुछ नक् चढ़ी हो गई है मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है। अब अपनी हर बात मनवाने लगी है हमको ही अब वो समझाने लगी है हर दिन नई नई फरमाइशें होती है लगता है कि फरमाइशों की झड़ी हो गई है मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो …
Read More »टल नही सकता – कुंवर बेचैन
मैं चलते – चलते इतना थक्क गया हूँ, चल नही सकता मगर मैं सूर्य हूँ, संध्या से पहले ढल नही सकता कोई जब रौशनी देगा, तभी हो पाउँगा रौशन मैं मिटटी का दिया हूँ, खुद तो मैं अब जल नही सकता जमाने भर को खुशियों देने वाला रो पड़ा आखिर वो कहता था मेरे दिल में कोई गम पल नही …
Read More »सद्य स्नाता – प्रतिभा सक्सेना
झकोर–झकोर धोती रही, संवराई संध्या, पश्चिमी घात के लहराते जल में, अपने गौरिक वसन, फैला दिये क्षितिज की अरगनी पर और उत्तर गई गहरे ताल के जल में डूब–डूब, मल–मल नहायेगी रात भर बड़े भोर निकलेगी जल से, उजले–निखरे सिन्ग्ध तन से झरते जल–सीकर घांसो पर बिखेरती, ताने लगती पंछियों की छेड़ से लजाती, दोनो बाहें तन पर लपेट सद्य – …
Read More »न मिलता गम – शकील बदायुनी
तमन्ना लुट गयी फिर भी तेरे दम से मोहब्बत है मुबारक गैर को खुशियां मुझे गम से मोहब्बत है न मिलता गम तो बरबादी के अफ़साने कहाँ जाते अगर दुनिया चमन होती तो वीराने कहाँ जाते चलो अच्छा हुआ अपनों में कोई गैर तो निकला अगर होते सभी अपने तो बेगाने कहाँ जाते दुआएँ दो मोहब्बत हम ने मिट कर …
Read More »क्या इनका कोई अर्थ नही – धर्मवीर भारती
ये शामें, ये सब की सब शामें… जिनमें मैंने घबरा कर तुमको याद किया जिनमें प्यासी सीपी का भटका विकल हिया जाने किस आने वाले की प्रत्याशा में ये शामें क्या इनका कोई अर्थ नही? वे लम्हें, वे सारे सूनेपन के लम्हे जब मैंने अपनी परछाई से बातें की दुख से वे सारी वीणाएं फैंकी जिनमें अब कोई भी स्वर …
Read More »