Poems For Kids

Poetry for children: Our large assortment of poems for children include evergreen classics as well as new poems on a variety of themes. You will find original juvenile poetry about trees, animals, parties, school, friendship and many more subjects. We have short poems, long poems, funny poems, inspirational poems, poems about environment, poems you can recite

सागर के उर पर नाच नाच – ठाकुर गोपाल शरण सिंह

सागर के उर पर नाच नाच, करती हैं लहरें मधुर गान। जगती के मन को खींच खींच निज छवि के रस से सींच सींच जल कन्यांएं भोली अजान सागर के उर पर नाच नाच, करती हैं लहरें मधुर गान। प्रातः समीर से हो अधीर छू कर पल पल उल्लसित तीर कुसुमावली सी पुलकित महान सागर के उर पर नाच नाच, करती …

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पथ भूल न जाना – शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

पथ भूल न जाना पथिक कहीं पथ में कांटे तो होंगे ही दुर्वादल सरिता सर होंगे सुंदर गिरि वन वापी होंगे सुंदरता की मृगतृष्णा में पथ भूल न जाना पथिक कहीं। जब कठिन कर्म पगडंडी पर राही का मन उन्मुख होगा जब सपने सब मिट जाएंगे कर्तव्य मार्ग सन्मुख होगा तब अपनी प्रथम विफलता में पथ भूल न जाना पथिक …

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मिट्टी की महिमा – शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

निर्मम कुम्हार की थापी से कितने रूपों में कुटी-पिटी, हर बार बिखेरी गई, किंतु मिट्टी फिर भी तो नहीं मिटी। आशा में निश्छल पल जाए, छलना में पड़ कर छल जाए सूरज दमके तो तप जाए, रजनी ठुमकी तो ढल जाए, यों तो बच्चों की गुडिया सी, भोली मिट्टी की हस्ती क्या आँधी आये तो उड़ जाए, पानी बरसे तो …

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मैं नहीं आया तुम्हारे द्वार – शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

मैं नहीं आया तुम्हारे द्वार पथ ही मुड़ गया था। गति मिली मैं चल पड़ा पथ पर कहीं रुकना मना था, राह अनदेखी, अजाना देश संगी अनसुना था। चांद सूरज की तरह चलता न जाना रात दिन है, किस तरह हम तुम गए मिल आज भी कहना कठिन है, तन न आया मांगने अभिसार मन ही जुड़ गया था। देख …

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हम पंछी उन्‍मुक्‍त गगन के – शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

हम पंछी उन्‍मुक्‍त गगन के पिंजरबद्ध न गा पाएंगे, कनक–तीलियों से टकराकर पुलकित पंख टूट जाएंगे। हम बहता जल पीनेवाले मर जाएँगे भूखे–प्‍यासे, कहीं भली है कटुक निबोरी कनक–कटोरी की मैदा से। स्‍वर्ण–श्रृंखला के बंधन में अपनी गति, उड़ान सब भूले, बस सपनों में देख रहे हैं तरू की फुनगी पर के झूले। ऐसे थे अरमान कि उड़ते नील गगन …

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भारतीय रेल – हुल्लड़ मुरादाबादी

एक बार हमें करनी पड़ी रेल की यात्रा देख सवारियों की मात्रा पसीने लगे छूटने हम घर की तरफ़ लगे फूटने। इतने में एक कुली आया और हमसे फ़रमाया साहब अंदर जाना है? हमने कहा हां भाई जाना है उसने कहा अंदर तो पंहुचा दूंगा पर रुपये पूरे पचास लूंगा हमने कहा समान नहीं केवल हम हैं तो उसने कहा …

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हुल्लड़ के दोहे – हुल्लड़ मुरादाबादी

कर्ज़ा देता मित्र को, वह मूर्ख कहलाए, महामूर्ख वह यार है, जो पैसे लौटाए। बिना जुर्म के पिटेगा, समझाया था तोय, पंगा लेकर पुलिस से, साबित बचा न कोय। गुरु पुलिस दोऊ खड़े, काके लागूं पाय, तभी पुलिस ने गुरु के, पांव दिए तुड़वाय। पूर्ण सफलता के लिए, दो चीज़ें रखो याद, मंत्री की चमचागिरी, पुलिस का आशीर्वाद। नेता को …

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मुस्कुराने के लिए – हुल्लड़ मुरादाबादी

मसखरा मशहूर है, आँसू बहाने के लिए बाँटता है वो हँसी, सारे ज़माने के लिए। जख्म सबको मत दिखाओ, लोग छिड़केंगे नमक आएगा कोई नहीं, मरहम लगाने के लिए। देखकर तेरी तरक्की, ख़ुश नहीं होगा कोई लोग मौक़ा ढूँढते हैं, काट खाने के लिए। फलसफ़ा कोई नहीं है, और न मकसद कोई लोग कुछ आते जहाँ में, हिनहिनाने के लिए। …

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क्या करेगी चांदनी – हुल्लड़ मुरादाबादी

चांद औरों पर मरेगा क्या करेगी चांदनी प्यार में पंगा करेगा क्या करेगी चांदनी? डिग्रियाँ हैं बैग में पर जेब में पैसे नहीं नौजवाँ फ़ाँके करेगा क्या करेगी चांदनी? लाख तुम फ़सलें उगा लो एकता की देश में इसको जब नेता चरेगा क्या करेगी चांदनी? रोज़ ड्यूटी दे रहा है एक भी छुट्टी नहीं सूर्य को जब फ्लू धरेगा क्या …

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जरूरत क्या थी? – हुल्लड़ मुरादाबादी

आइना उनको दिखाने कि ज़रूरत क्या थी वो हैं वंदर ये बताने कि ज़रूरत क्या थी? दो के झगड़े में पिटा तीसरा, चौथा बोला आपको टाँग अड़ाने कि ज़रूरत क्या थी? चार बच्चों को बुलाते तो दुआएँ मिलतीं साँप को दूध पिलाने कि ज़रूरत क्या थी? चोर जो चुप ही लगा जाता तो वो कम पिटता बाप का नाम बताने …

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