Poems For Kids

Poetry for children: Our large assortment of poems for children include evergreen classics as well as new poems on a variety of themes. You will find original juvenile poetry about trees, animals, parties, school, friendship and many more subjects. We have short poems, long poems, funny poems, inspirational poems, poems about environment, poems you can recite

ऋतुओं की ऋतू बसंत: सुमित्रानंदन पंत

ऋतुओं की ऋतू बसंत: सुमित्रानंदन पंत

ऋतुओं की ऋतू बसंत: सुमित्रानंदन पंत – वसंत पञ्चमी या श्रीपंचमी एक हिन्दू त्यौहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन पीले वस्त्र धारण करते हैं। शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया …

Read More »

मेरा रंग दे बसंती चोला: प्रेम धवन का देश-भक्ति गीत हिंदी फिल्म ‘शहीद’ से

मेरा रंग दे बसंती चोला - प्रेम धवन

मेरा रंग दे बसंती चोला अत्यंत लोकप्रिय देश-भक्ति गीत है। यह गीत किसने रचा? इसके बारे में बहुत से लोगों की जिज्ञासा है और वे समय-समय पर यह प्रश्न पूछते रहते हैं। ‘यह गीत किसने लिखा?’ इसका उत्तर जानने के लिए हमें इसका इतिहास खंगालना होगा। इस गीत के दो संस्करण है। जिस गीत से अधिकतर लोग परिचित हैं वह गीत …

Read More »

जलियाँवाला बाग में बसंत: सुभद्रा कुमारी चौहान

जलियाँवाला बाग में बसंत - सुभद्रा कुमारी चौहान

जलियाँवाला बाग में बसंत: सुभद्रा कुमारी चौहान – Jallianwala Bagh (जलियाँवाला बाग) is a public garden in Amritsar, and houses a memorial of national importance, established in 1951 by the Government of India, to commemorate the massacre of peaceful celebrators including unarmed women and children by British occupying forces, on the occasion of the Punjabi New Year (Baisakhi) on 13 …

Read More »

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा: मुहम्मद इक़बाल की देशप्रेम ग़ज़ल

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा: मुहम्मद इक़बाल की देशप्रेम ग़ज़ल

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा: This great poem was written by Allama Muhammad Iqbal, a great poet-philosopher and active political leader. Iqbal was born at Sialkot, Punjab, in 1877. He descended from a family of Kashmiri brahmins but his grandfather Sahaj Ram Sapru, had to embrace Islam (Reference). In 1904, Iqbal, then a young lecturer at the Government College, …

Read More »

सिंधु में ज्वार: अटल बिहारी वाजपेयी की देश प्रेम कविता

सिंधु में ज्वार: अटल बिहारी वाजपेयी की देश प्रेम कविता

सिंधु में ज्वार: On the auspicious occasion of the birthday of our past Prime Minister Atal Ji, I am posting excerpt from an inspiring poem written by him. सिंधु में ज्वार: अटल बिहारी वाजपेयी आज सिंधु में ज्वार उठा है नगपति फिर ललकार उठा है कुरुक्षेत्र के कण–कण से फिर पांचजन्य हुँकार उठा है। शत–शत आघातों को सहकर जीवित हिंदुस्थान …

Read More »

पानी और धुप: सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रेरणादायी देश प्रेम कविता

पानी और धुप: सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रेरणादायी देश प्रेम कविता

पानी और धुप: Here is a poem written by the famous poetess Subhadra Kumari Chauhan at the time of freedom struggle of India. It depicts the desire of a child to learn the use of sword to ward off policemen who come to arrest the freedom fighter ‘Kaka’. पानी और धुप: सुभद्रा कुमारी चौहान अभी अभी थी धूप, बरसने, लगा …

Read More »

और भी दूँ: रामावतार त्यागी – पढ़ने मात्र से धधक उठेंगी देश भक्ति की ज्वाला

और भी दूँ: रामावतार त्यागी

और भी दूँ: रामावतार त्यागी, जो “त्यागी” के नाम से भी जाने जाते है (17 March 1925 – 12 April 1985) एक भारतीय हिंदी कवि थे। त्यागी ने 15 से भी ज्यादा किताबें लिखी थी और उनकी कविताएं राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की किताबों में नौवीं और बारहवीं के पाठयक्रम में पढ़ाई जाती है। रामावतार त्यागी का …

Read More »

आनंद बक्षी का देश भक्ति गीत: वतन पे जो फ़िदा होगा (फूल बने अंगारे)

आनंद बक्षी का देश भक्ति गीत: वतन पे जो फ़िदा होगा (फूल बने अंगारे)

वतन पे जो फ़िदा होगा: Here is an immortal poem of Anand Bakshi that was written for the 1963 movie “Phool Bane Angaare”. Such powerful and moving words never fail to moisten eyes. It is appropriate to refresh the memory of this song on this 15th of August. वतन पे जो फ़िदा होगा: आनंद बक्षी हिमाला की बुलंदी से, सुनो आवाज …

Read More »

मेरे देश की धरती सोना उगले: गुलशन बावरा का देश प्रेम फ़िल्मी गीत

मेरे देश की धरती सोना उगले - गुलशन बावरा

मेरे देश की धरती सोना उगले: गुलशन छह वर्ष की उम्र में कविता लिखने लगे थे। बचपन में ही मौत का दंश झेलने वाले गुलशन के गीतों में दर्द छलकता रहा। लोग इसमें डूबते रहे। विभाजन के बाद दिल्ली आकर यहां स्नातक की पढ़ाई की। इसके बाद मुंबई में गए और वहां संघर्ष शुरू हुआ। रेलवे में लिपिक की नौकरी की …

Read More »