सात बहनें: ओमप्रकाश बजाज भारत के पर्वोत्तर में 7 राज्य हैं जो ‘सात बहनें’ कहे जाते हैं। इनके नाम अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम कहलाते हैं। अरुणाचल कहलाता है उगते सूर्य का पर्वत और ईटागर है इसकी राजधानी। दिसपुर है असम की राजधानी, मेघालय की राजधानी शिलांग है, कोहिमा नागालैंड की और इंफाल मणिपुर की राजधानी है। …
Read More »बच्चों तुम तकदीर हो कल के हिंदुस्तान की: साहिर लुधियानवी
बच्चों तुम तकदीर हो कल के हिंदुस्तान की बापू के वरदान की, नेहरु के अरमान की। आज के टूटे खँडहरों पर तुम कल का देश बसाओगे जो हम लोगों से न हुआ वो तुम कर के दिखलाओगे तुम नन्हीं बुनियादें हो दुनिया के नए विधान की। दीन-धरम के नाम पे कोई बीज फूट का बोए ना जो सदियों के बाद …
Read More »आने वाले कल की तुम तस्वीर हो: इन्दीवर
आने वाले कल की तुम तस्वीर हो नाज करेगी दुनिया तुम पर दुनिया की तक़दीर हो आने वाले कल की तुम तस्वीर हो नाज करेगी दुनिया तुम पर दुनिया की तक़दीर हो। तुम हो किसी कुटिया के दीपक जग में उजाला कर दोगे भोली भाली मुस्कानों से सबकी झोली भर दोगे हस्ते चलो ज़माने में तुम चलता हुआ एक तीर …
Read More »नई उमर की कलियों तुमको देख रही दुनिया सारी: कवि प्रदीप
नई उमर की कलियों तुमको देख रही दुनिया सारी तुमपे बड़ी ज़िम्मेदारी घर-घर को तुम स्वर्ग बनाना – 2 हर आँगन को फुलवारी हम पे बड़ी ज़िम्मेदारी देख रही दुनिया सारी तुम उस देश में जन्मी हो जिस देश में जन्मी थी सीता – 2 तुम उस देश की कन्या हो जिस देश में गूँज रही गीता कभी भूल कर …
Read More »वतन वालो वतन ना बेच देना: आनंद बक्षी
वतन वालो वतन ना बेच देना ये धरती ये गगन ना बेच देना शहीदों ने जान दी है वतन के वास्ते शहीदों के कफ़न ना बेच देना दोस्तों साथियों हम चले दे चले अपना दिल अपनी जां ताकि जीता रहे अपना हिन्दुस्तां हम जिये हम मरे इस वतन के लिए इस चमन के लिए ताकि खिलता रहे गुल हमेशा यहां …
Read More »नन्हा मुन्ना राही हूँ: शकील बदायूंनी
नन्हा मुन्ना राही हूँ, देश का सिपाही हूँ बोलो मेरे संग जय हिंद जय हिंद जय हिंद… रस्ते पे चलूँगा न डर डर के, चाहे मुझे जीना पड़े मर मर के, मंजिल से पहले न लूँगा कभी दम, आगे ही आगे बढ़ाऊंगा कदम, दाहिने बाएं दाहिने बाएं, थम। नन्हा मुन्ना राही हूँ, देश का सिपाही हूँ, बोलो मेरे संग जय हिंद …
Read More »नफरत की लाठी तोड़ो मेरे देश प्रेमियों: आनंद बक्षी
नफ़रत की लाठी तोड़ो, लालच का खंजर फेंको, ज़िद के पीछे मत दौड़ो, तुम प्रेम के पंछी हो, देश प्रेमियों, आपस में प्रेम करो देश प्रेमियों… देखो, ये धरती, हम सब की माता है, सोचो, आपस में, क्या अपना नाता है, हम आपस में लड़ बैठे, हम आपस में लड़ बैठे तो देश को कौन सम्भालेगा, कोई बाहर वाला अपने …
Read More »आराम करो: गोपाल प्रसाद व्यास
एक मित्र मिले‚ बोले‚ “लाला तुम किस चक्की का खाते हो? इस डेढ़ छटांक के राशन में भी तोंद बढ़ाए जाते हो। क्या रक्खा है मांस बढ़ाने में‚ मनहूस‚ अकल से काम करो। संक्रान्ति–काल की बेला है‚ मर मिटो‚ जगत में नाम करो।” हम बोले‚ “रहने दो लैक्चर‚ पुरुषों को मत बदनाम करो इस दौड़–धूप में क्या रक्खा‚ आराम करो‚ …
Read More »खूनी हस्ताक्षर: गोपाल प्रसाद व्यास
Neta Ji Subhas Chandra Bose organized the Indian National Army in early 1940s to fight the foreign occupation of the country. He promised freedom for the country but demanded full dedication of the people to this end. I am thankful to an unnamed reader who sent me a scanned copy of this lovely poem. This is a remarkable poem that …
Read More »नेताजी का तुलादान: गोपाल प्रसाद व्यास
देखा पूरब में आज सुबह, एक नई रोशनी फूटी थी। एक नई किरन, ले नया संदेशा, अग्निबान-सी छूटी थी॥ एक नई हवा ले नया राग, कुछ गुन-गुन करती आती थी। आज़ाद परिन्दों की टोली, एक नई दिशा में जाती थी॥ एक नई कली चटकी इस दिन, रौनक उपवन में आई थी। एक नया जोश, एक नई ताज़गी, हर चेहरे पर …
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