हटता जाता है नभ से तम संख्या तारों की होती कम उषा झांकती उठा क्षितिज से बादल की चादर का कोना शुरू हुआ उजियाला होना ओस कणों से निर्मल–निर्मल उज्ज्वल–उज्ज्वल, शीतल–शीतल शुरू किया प्र्रातः समीर ने तरु–पल्लव–तृण का मुँह धोना शुरू हुआ उजियाला होना किसी बसे द्र्रुम की डाली पर सद्यः जाग्र्रत चिड़ियों का स्वर किसी सुखी घर से सुन …
Read More »सियारामशरण गुप्त हिन्दी कविता: मैं तो वही खिलौना लूँगा
‘मैं तो वही खिलौना लूँगा’ मचल गया दीना का लाल खेल रहा था जिसको लेकर राजकुमार उछाल–उछाल। व्यथित हो उठी माँ बेचारी – था सुवर्ण – निर्मित वह तो! ‘खेल इसी से लाल, – नहीं है राजा के घर भी यह तो!’ ‘राजा के घर! नहीं नहीं माँ तू मुझको बहकाती है, इस मिट्टी से खेलेगा क्यों राजपुत्र, तू ही …
Read More »काम हमारे बड़े–बड़े: प्रेरणादायक बाल-कविता
हम बच्चे हैं छोटे–छोटे, काम हमारे बड़े–बड़े। आसमान का चाँद हमी ने थाली बीच उतारा है, आसमान का सतरंगा वह बाँका धनुष हमारा है। आसमान के तारों में वे तीर हमारे गड़े–गड़े। हम बच्चे हैं छोटे–छोटे, काम हमारे बड़े–बड़े। भरत रूप में हमने ही तो दांत गिने थे शेरों के, और राम बन दांत किये थे खट्टे असुर–लुटेरों के। कृष्ण–कन्हैया …
Read More »बंदर जी – भूखे बंदर पर हिंदी बाल-कविता
देख कूदते बंदर जी को इस डाली से उस डाली, हंसते शोर मचाकर बच्चे पीटे ताली पे ताली। लगता है बंदर मामा जी आज बड़े ही भूखे हैं, उतरा-उतरा सा चेहरा है होंठ भी इनके सूखे हैं। तभी एक बच्चे को देखा मामा ने केला खाते, दौड़े उसके पास पहुंच गए फिर मुस्कराते-मुस्कराते। बच्चे ने फिर उनको जी भर केला …
Read More »अच्छे बच्चे – शिक्षाप्रद हिंदी बाल कविता
कहना हमेशा बड़ो का मानते माता पिता को शीश नवाते, अपने गुरुजनों का मान बढ़ाते वे ही बच्चे अच्छे कहलाते। नहा-धोकर रोज शाला जाते पढ़ाई में सदा अव्वल आते वे ही बच्चे अच्छे कहलाते। कभी न किसी से झगड़ा करते बात हमेशा सच्ची कहते, ऊंच-नीच का भाव न लाते वे ही बच्चे अच्छे कहलाते। कठिनाइयों से कभी न घबराते हमेशा …
Read More »हुआ पसीने से तर: तपती गर्मी पर हिंदी बाल-कविता
गर्मी में खाने को मैंने फ्रिज से सेब निकाला, गिरते-गिरते बचा हाथ से झट से उसे संभाला। बाहर आते ही गर्मी से हुआ बहुत बेहाल, बोला भइया नहीं उतारो मेरी नाजुक खाल। घबराहट में सिसक पड़ा वह लगा कांपने थर-थर, आंसू भर रोया बेचारा हुआ पसीने से तर। ~ रावेंद्र कुमार रवि
Read More »प्यारी मां: माँ की ममता पर बाल-कविता
मेरी भोली प्यारी मां दुनिया से है न्यारी मां, तुमसे मैंने जीवन पाया तुमने चलना मुझे सिखाया। हर संकट से मुझे उबारा तूने हरदम दिया सहारा, तू सबसे उपकारी मां मेरी भोली प्यारी मां। करुणामयी स्वरूप तुम्हारा अंधियारे में करे उजाला, महिमा तेरी मां है पावन ममता तेरी है मनभावन। तू है मेरी दुलारी मां मेरी भोली प्यारी मां, मीठी …
Read More »बर्तन – भिन्न प्रकार के बर्तनों पर हिंदी बाल-कविता
हर घर की रसोई में, ढेरों बर्तन होते हैं। बर्तनों में खाना खाते हैं। तांबे-कांसे-पीतल के बर्तन, पहले आम हुआ करते थे। अब स्टेनलैस स्टील, चीनी, मिट्टी, कांच और प्लास्टिक के होते हैं। शादी-ब्याह में बड़े-बड़े बर्तन, पहले खरीदे, दिए-लिए जाते थे। मिट्टी के कुछ गिने-चुने बर्तन, अब भी काम में लाए जाते हैं। ~ ओम प्रकाश बजाज
Read More »भारतीय रेल – ओम प्रकाश बजाज
2.5 करोड़ लोग रोज करते हैं सवारी, जो ऑस्ट्रेलिया की कुल है आबादी। 16 लाख से अधिक हैं इसके कर्मचारी, सर्वाधिक रोजगार देती है रेल हमारी। यह आंकड़ा विश्व के कई देशों की, कुल जनसंख्या पर भी पड़ता है भारी। 1366.33 मीटर लम्बाई वाला दुनिया में, सबसे लम्बा प्लेटफार्म है गोरखपुर का। हावड़ा-अमृतसर एक्सप्रैस 115 जगह रुकने का भी कीर्तिमान …
Read More »परीक्षा – हिंदी में ज्ञानवर्धक बाल-कविता
मुझ से तुम न घबराना चुपके से आकर कहे परीक्षा, घबराने से गायब होती याद की थी जो बातें शिक्षा। याद रहा है जितना तुम को लिख दो उस को कहे परीक्षा, सरल-सहज पहले लिखना कानों में यह देती शिक्षा। जो भी लिखना, सुंदर लिखना सुंदरता की देती शिक्षा, जितना पूछे, उतना लिखना कह देती यह खूब परीक्षा। ~ ओमप्रकाश …
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