कैपोचे आय ढील दे ढील देदे रे भैया… उस पतंग को ढील दे जैसी ही मस्ती मे आये अरे जैसी ही मस्ती मे आये उस पतंग को खींच दे ढील दे ढील देदे रे भैया तेज़ तेज़ तेज़ है मांजा अपना तेज़ है… ऊंगली कट सकती है बाबु.. तो पतंग क्या चीज़ है ढील दे ढील देदे रे भैया.. उस …
Read More »अरी छोड़ दे सजनिया – नागिन
अरी छोड़ दे सजनिया छोड़ दे पतंग मेरी छोड़ दे ऐसे छोडू ना बलमवा नैनवा की डोर पहले जोड़ दे आशाओं का मांजा लगा रंगी प्यार से डोरी तेरे मोहल्ले उड़ते उड़ते आई चोरी चोरी बैरी दुनिया कहीं ना तोड़ दे पतंग मेरी छोड़ दे, ऐसे छोडू ना बलमवा नैनवा की डोर पहले जोड़ दे अरमानो की डोर टूटने खड़े …
Read More »चली चली रे पतंग – राजिंदर कृष्ण
चली-चली रे पतंग मेरी चली रे… चली बादलो के पार हो के डोर पे सवार साड़ी दुनिया ये देख-देख जली रे चली-चली रे पतंग… यू मस्त हवा मे लहराए जैसे उड़न खटोला उदा जाए… ले के मन मे लगन जैसे कोई दुल्हन चली जाए सावरिया की गली रे चली-चली रे पतंग… रंग मेरी पतंग का धानी है ये नील गगन …
Read More »तू हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा: साहिर लुधियानवी
तू हिन्दु बनेगा ना मुसलमान बनेगा इन्सान की औलाद है इन्सान बनेगा। अच्छा है अभी तक तेरा कुछ नाम नहीं है तुझको किसी मजहब से कोई काम नहीं है जिस इल्म ने इंसान को तकसीम किया है उस इल्म का तुझ पर कोई इलज़ाम नहीं है तू बदले हुए वक्त की पहचान बनेगा। मालिक ने हर इंसान को इंसान बनाया …
Read More »विश्व–सुंदरी Gopal Singh Nepali Hindi Poem about Beauty Queen
जल रहा तुम्हारा रूप–दीप कुंतल में बांधे श्याम घटा नयनों में नभ की नील छटा अधरों पर बालारुण रंजन मृदु आनन में शशी–नीराजन जल रहा तुम्हारा रूप–दीप भौंहों में साधे क्षितिज–रेख तुम अपनी रचना रहीं देख हाथों में विश्व–कमल सुन्दर मधु–मधुर कंठ में कोकिल–स्वर जल रहा तुम्हारा रूप–दीप सुन्दरी तुम्हारे कुसुम बाण उड़ चले चूमने प्राण–प्राण दिशिदिशि से जयजयकार उठा …
Read More »तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा: कुमार विश्वास
ओ कल्पवृक्ष की सोनजुही, ओ अमलताश की अमलकली, धरती के आतप से जलते, मन पर छाई निर्मल बदली, मैं तुमको मधुसदगन्ध युक्त संसार नहीं दे पाऊँगा, तुम मुझको करना माफ तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा। तुम कल्पव्रक्ष का फूल और, मैं धरती का अदना गायक, तुम जीवन के उपभोग योग्य, मैं नहीं स्वयं अपने लायक, तुम नहीं अधूरी गजल …
Read More »संसार – महादेवी वर्मा
निश्वासों सा नीड़ निशा का बन जाता जब शयनागार, लुट जाते अभिराम छिन्न मुक्तावलियों के वंदनवार तब बुझते तारों के नीरव नयनों का यह हाहाकार, आँसू से लिख जाता है ‘कितना अस्थिर है संसार’! हँस देता जब प्रात, सुनहरे अंचल में बिखरा रोली, लहरों की बिछलन पर जब मचली पड़तीं किरणें भोली तब कलियाँ चुपचाप उठा कर पल्लव के घूँघट …
Read More »Ramvachan Singh Hasya Baal-Kavita पास हुए हम
पास हुए हम, हुर्रे हुर्रे! दूर हुए गम, हुर्रे हुर्रे! रोज नियम से किया परीश्रम और खपाया भेजा, धीरे–धीरे, थोड़ा–थोड़ा हर दिन ज्ञान सहेजा, रुके नहीं हम, हुर्रे हुर्रे! हम कछुआ ही सही, चल रहे लगातार पर धीमें, हम खरगोश नहीं की दौड़ें, सोयें रस्ते ही में। रुका नहीं क्रम, हुर्रे हुर्रे! बात नकल की कोई हमने कभी न मन …
Read More »Careless Whisper – George Michael
I feel so unsure As I take your hand and lead you to the dance floor As the music dies, something in your eyes Calls to mind the silver screen And all its sad good-byes I’m never gonna dance again Guilty feet have got no rhythm Though it’s easy to pretend I know your not a fool Should’ve known better …
Read More »Children’s poem about Christ’s birth: A Child This Day Is Born
A child this day is born A child of high renown Most worthy of a sceptre and a crown Glad tidings to all men Glad tidings sing we may Because the king of kings Was born on Christmas day These tidings shepherds heard Whilst watching o’er their fold; ‘Twas by an Angel unto them That night revealed and told. Glad …
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