Poems In Hindi

बच्चों की हिन्दी कविताएं — 4to40 का हिन्दी कविताओ का संग्रह | Hindi Poems for Kids — A collection of Hindi poems for children. पढ़िए कुछ मजेदार, चुलबुली, नन्ही और बड़ी हिंदी कविताएँ. इस संग्रह में आप को बच्चो और बड़ो के लिए ढेर सारी कविताएँ मिलेंगी.

ताजमहल – अरुण प्रसाद

Tajmahal - Arun Prasad

यमुना–तीरे मुस्कुरा रहा। चाँदनी रात में नहा रहा। स्तब्ध, मौन कुछ बोलो तो। कुछ बात व्यथा की ही कह दो अथवा इतिहास बता रख दो। अपनी सुषमा का भेद सही, कुछ खोलो तो। गहराने दो कुछ रात और। तन जाने दो कुछ तार और। तब चला अँगुलियाँ, गीत छेड़ कुछ खोलें भी। उस नील परी सी शहजादी, एक शंहशाह के …

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एक चिड़िया के बच्चे चार

एक चिड़िया के बच्चे चार, घर से निकले पंख पसार। पूरब से पश्चिम को जाएँ, उत्तर से फिर दक्षिण को आएं। घूमघाम जब घर को आएं, मम्मी को एक बात सुनाएं। देख लिया हमने जग सारा, अपना घर है सबसे प्यारा।

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टिम्बकटू भई टिम्बकटू – डॉ. फहीम अहमद

टिम्बकटू भई टिम्बकटू, मैं तो हरदम हँसता हूँ। ठीक शाम को चार बजे जब, आया नल में पानी। छोड़ दिया नल खुला हुआ, की थोड़ी सी शैतानी। पानी फ़ैल गया आँगन में, नैया उसमे तैराऊं। पुंछ हिलाता मुहं बिचकाता, आया नन्हा बन्दर। उसे खिलाई मैंने टाफी, आलू और चुकंदर। मै लेटा तो मेरे सर से, बन्दर लगा ढूंढने जूं। खोला …

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ठंडा लोहा – धर्मवीर भारती

ठंडा लोहा! ठंडा लोहा! ठंडा लोहा! मेरी दुखती हुई रगों पर ठंडा लोहा! मेरी स्वप्न भरी पलकों पर मेरे गीत भरे होठों पर मेरी दर्द भरी आत्मा पर स्वप्न नहीं अब गीत नहीं अब दर्द नहीं अब एक पर्त ठंडे लोहे की मैं जम कर लोहा बन जाऊँ– हार मान लूँ– यही शर्त ठंडे लोहे की। ओ मेरी आत्मा की …

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तुम – नवीन कुमार अग्रवाल

शोर में शांति सी तुम, भोर में आरती सी तुम। पंछी में पंखों सी तुम, बंसी में छिद्रों सी तुम। हकीकत में भ्रान्ति सी तुम, स्वप्न में जीती जागती सी तुम। कला में सृजन सी तुम, प्रेम में समर्पण सी तुम। धड़कनों के लिए ह्रदय सा केतन हो तुम, जानते हुआ बनता जो अंजान, वो अवचेतन हो तुम। ∼ नवीन …

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अहा टमाटर बड़ा मजेदार

अहा, टमाटर बड़ा मजेदार, अहा, टमाटर बड़ा मजेदार। इक दिन इसको चुहे ने खाया, बिल्ली को भी मार भगाया, बिल्ली को भी मार भगाया। अहा, टमाटर बड़ा मजेदार। इक दिन इसको चींटी ने खाया, हाथी को भी मार भगाया, हाथी को भी मार भगाया। अहा, टमाटर बड़ा मजेदार। इक दिन इसको पतलू ने खाया, मोटू को भी मार भगाया, मोटू …

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तूफ़ान – नरेश अग्रवाल

यह कितनी साधारण सी बात है रात में तूफान आये होंगे तो घर उजड़ गए होंगे घर सुबह जगता हूँ तो लगता है कितनी छोटी रही होगी नींद धुप के साथ माथे पर पसीना पेड़ गिर गए, टूट गए कितने ही गमले, मिटटी बिखर गयी इतनी सारी और सभी चीजें कहती हैं हमें वापस सजाओ पूरी करी नींद हमारी भी, …

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मेरे नदीम मेरे हमसफ़र उदास न हो – साहिर लुधियानवी

मेरे नदीम मेरे हमसफ़र उदास न हो। कठिन सही  तेरी मंज़िल, मगर उदास न हो॥ कदम कदम पे चट्टानें खडी़ रहें, लेकिन जो चल निकले हैं दरिया तो फिर नहीं रुकते। हवाएँ कितना भी टकराएँ आँधियाँ बनकर, मगर घटाओं के परछम कभी नहीं झुकते। मेरे नदीम मेरे हमसफ़र… हर एक तलाश के रास्ते में मुश्किलें हैं, मगर हर एक तलाश मुरादों …

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वीणा की झंकार भरो – मनोहर लाल ‘रत्नम’

कवियों की कलमों  में शारदे, वीणा की झंकार  भरो। जन – गण – मन  तेरा  गुण गाये, फिर ऐसे आधार करो॥ तेरे बेटों ने तेरी झोली में डाली हैं लाशें, पीड़ा, करुणा और रुदन चीखों की डाली हैं सांसें। जन – गण मंगल दायक कर आतंक मिटा दो धरती से- दानव कितने घूम रहे हैं, फैंक रहे हैं अपने पासे॥ …

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सरसों पीली – गोविन्द भारद्वाज

पहन कर साड़ी पीली-पीली, खेतों में इतराई सरसों। क्यारी-क्यारी खड़ी-खड़ी, मंद-मंद मुस्कुराई सरसों। स्वागत में बसंत ऋतु की, बढ़-चढ़ आगे आयी सरसों। करके धरती माँ का श्रृंगार, मन ही मन हर्षाई सरसों। पुरवा पवन के झोंकों संग, कोहरे में लहराई सरसों। ∼ गोविन्द भारद्वाज

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