Poems In Hindi

बच्चों की हिन्दी कविताएं — 4to40 का हिन्दी कविताओ का संग्रह | Hindi Poems for Kids — A collection of Hindi poems for children. पढ़िए कुछ मजेदार, चुलबुली, नन्ही और बड़ी हिंदी कविताएँ. इस संग्रह में आप को बच्चो और बड़ो के लिए ढेर सारी कविताएँ मिलेंगी.

ये बन्धन तो प्यार का बन्धन है – इन्दीवर

कु — सूरज कब दूर गगन से चंदा कब दूर किरन से ख़ुश्बू कब दूर पवन से कब दूर बहार चमन से अ — ये बन्धन तो प्यार का बन्धन है जनमों का संगम है उ — ये बन्धन तो… अ — सूरज कब दूर… उ — ख़ुश्बू कब दूर… अ — ये बन्धन तो… अ — तुम ही मेरे …

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काली आरती – जय काली माता

काली आरती - जय काली माता

अंबे तू हे जगद अंबे काली जय दुर्गे गब्बर वाली तेरे ही गुन गाये भारती ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती उतारे तेरी आरती महाकाली तेरी आरती तेरे भक्तजनों पर माता घिर पड़ी है भारी दानव दल पर टूट पडो माँ कर के सिंह सवारी सो सो सिंहो से है बलसाली है दस भुजा वाली दुखियों के दुःख निवारती …

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ज़िन्दगी प्यार का गीत है – सावन कुमार

ज़िन्दगी प्यार का गीत है - सावन कुमार

ज़िन्दगी प्यार का गीत है इसे हर दिल को गाना पड़ेगा ज़िन्दगी ग़म का सागर भी है हँस के उस पार जाना पड़ेगा ज़िन्दगी एक अहसास है टूटे दिल की कोई आस है ज़िन्दगी एक बनवास है काट कर सबको जाना पड़ेगा ज़िन्दगी प्यार का गीत है… ज़िन्दगी बेवफा है तो क्या अपने रूठे हैं हम से तो क्या हाथ …

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मेरी बात रही मेरे मन में – शकील बदायूंनी

मेरी बात रही मेरे मन में कुछ कह न सकी उलझन में मेरे सपने अधूरे, हुए नहीं पूरे आग लगी जीवन में मेरी बात रही मेरे मन में… ओ रसिया, मन बसिया रग रग में हो तुम ही समाये मेरे नैना करे बैना मेरा दर्द न तुम सुन पाये जिया मोरा प्यासा रहा सावन में मेरी बात रही मेरे मन …

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महाकाली कालिके – मनोहर लाल ‘रत्नम’

महाकाली कालिके– कपाल कंडः कारिणी, खड़ग खंड धारिणी। महाकाली कालिके, नमामि भक्त तारिणी॥ मधुकैटप संहार के, निशुम्भ-शुम्भ मारके। दुष्ट दुर्गम सीस को, धड़ से ही उतार के॥ कष्ट सब निवारिणी, शास्त्र हस्त धारिणी। महाकाली कालिके, नमामि भक्त तारिणी॥ रक्तबीज को मिटाया, रक्त उसका पी गई। नेत्र हो गए विशाल, जिव्हा ला हो गई॥ शिव पे चरण धारिणी, काली बन विहारिणी। …

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भीगी पलकें – सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा

भीगी पलकें - सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा

सलवटों के सवंरने का जरिया होतीं हैं भीगी पलकें रुके हुए पानी को तीव्र धारा में बदल देतीं  हैं भीगी पलकें अमावस की रात में पूनम का चाँद बनतीं  हैं भीगी पलकें उतर आई  उदासी को, निकल जाने देती हैं  भीगी पलकें बिखरी हुई घटाओं को घने बादलों में बदलती हैं भीगी पलकें रुकी हुई हवाओं को समीर की गति …

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न होते तुम, तो क्या होता – सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा

न होते तुम, तो क्या होता… न होता कहीं सावन, न होता कहीं उपवन, न होता कहीं समर्पण, न होता कहीं आलिंगन। न होती कहीं रुठन, न होती कहीं अड़चन, न होती कहीं अनबन, न होती कहीं मनावन। न खिलते कहीं फूल, न होते कहीं शूल, न होती कहीं अमराई, न मन लेता अंगड़ाई। न बदरा बनते बौझार, न झरना …

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लिखे जो खत तुझे, वो तेरी याद में – नीरज

लिखे जो खत तुझे, वो तेरी याद में हज़ारो रंग के नज़ारे बन गये सवेरा जब हुआ, तो फूल बन गये जो रात आई तो सितारें बन गये कोई नग्मा कहीं गूंजा, कहा दिल ने ये तू आई कहीं चटकी कली कोई, मैं ये समझा तू शरमाई कोई खुशबू कहीं बिखरी, लगा ये जुल्फ लहराई लिखे जो खत तुझे, वो …

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नर हो, न निराश करो मन को – मैथिली शरण गुप्त

नर हो, न निराश करो मन को कुछ काम करो, कुछ काम करो जग में रह कर कुछ नाम करो यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो कुछ तो उपयुक्त करो तन को नर हो, न निराश करो मन को संभलो कि सुयोग न जाय चला कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला समझो जग को न …

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धन्य हुआ रे राजस्थान – क्षत्रिय सवाई सिंह भाटी

धन्य हुआ रे राजस्थान, जो जन्म लिया यहां प्रताप ने। धन्य हुआ रे सारा मेवाड़, जहां कदम रखे थे प्रताप ने॥ फीका पड़ा था तेज़ सुरज का, जब माथा उन्चा तु करता था। फीकी हुई बिजली की चमक, जब-जब आंख खोली प्रताप ने॥ जब-जब तेरी तलवार उठी, तो दुश्मन टोली डोल गयी। फीकी पड़ी दहाड़ शेर की, जब-जब तुने हुंकार …

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