Poems In Hindi

बच्चों की हिन्दी कविताएं — 4to40 का हिन्दी कविताओ का संग्रह | Hindi Poems for Kids — A collection of Hindi poems for children. पढ़िए कुछ मजेदार, चुलबुली, नन्ही और बड़ी हिंदी कविताएँ. इस संग्रह में आप को बच्चो और बड़ो के लिए ढेर सारी कविताएँ मिलेंगी.

अक्कड मक्कड़ – भवानी प्रसाद मिश्र

अक्कड़ मक्कड़, धूल में धक्कड़, दोनों मूरख, दोनों अक्खड़, हाट से लौटे, ठाठ से लौटे, एक साथ एक बाट से लौटे। बात-बात में बात ठन गयी, बांह उठीं और मूछें तन गयीं। इसने उसकी गर्दन भींची, उसने इसकी दाढी खींची। अब वह जीता, अब यह जीता; दोनों का बढ चला फ़जीता; लोग तमाशाई जो ठहरे सबके खिले हुए थे चेहरे …

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शब्द

Shabd

शब्दों के दांत नहीं होते है लेकिन शब्द जब काटते है तो दर्द बहुत होता है और कभी कभी घाव इतने गहरे हो जाते है की जीवन समाप्त हो जाता है परन्तु घाव नहीं भरते… इसलिए जीवन में जब भी बोलो मीठा बोलो मधुर बोलों ‘शब्द’ ‘शब्द’ सब कोई कहे, ‘शब्द’ के हाथ न पांव; एक ‘शब्द’ औषधि करे, और एक ‘शब्द’ …

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घड़ी

Wall clock

घड़ी लगी दीवार पर, टिक टिक कर तू चलती है। हर घंटे के बाद तू, डिंग डिंग करके बजती है। तुझे देखकर पता है चलता, कब खाना, कब पढ़ना है। तुझे देखकर पता है चलता, कब उठना, कब सोना है।

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पापा ऑफिस गए – प्रभुदयाल श्रीवास्तव

मेरे पापा मुझे उठाते, सुबह-सुबह से बिस्तर से। और बिठाकर बस में आते, बिदा रोज करते घर से। भागदौड़ इतनी होती है, सब मशीन बन जाते हैं। मेरे शाला जाने पर सब, फुरसत से सुस्ताते हैं। तारक शाला चला गया है, अभी बिदा हुई मीता है। मम्मी कहती पानीपत का, युद्ध अभी ही जीता है। बच्चों के शाला जाने की, …

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चंपा और चमेली – प्रतिभा सक्सेना

चंपा और चमेली - प्रतिभा सक्सेना

चंपा ने कहा, ‘चमेली, क्यों बैठी आज अकेली क्यों सिसक-सिसक कर रोतीं, क्यों आँसू से मुँह धोतीं क्या अम्माँ ने फटकारा, कुछ होगा कसूर तुम्हारा या गुड़ियाँ हिरा गई हैं या सखियाँ बिरा गई हैं। भइया ने तुम्हें खिजाया, क्यों इतना रोना आया? अम्माँ को बतलाती हूँ, मैं अभी बुला लाती हूँ’ सिसकी भर कहे चमेली, ‘मैं तो रह गई …

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आजा री निंदिया आजा – प्रतिभा सक्सेना

आजा री निंदिया आजा - प्रतिभा सक्सेना

आजा री निंदिया आजा, मुनिया/मुन्ना को सुला जा मुन्ना है शैतान हमारा रूठ बितता है दिन सारा हाट-बाट औ’अली-गली में नींद करे चट फेरी शाम को आवे लाल सुलावे उड़ जा बड़ी सवेरी। आजा निंदिया आजा तेरी मुनिया जोहे बाट सोने के हैं पाए जिसके रूपे की है खाट मखमल का है लाल बिछौना तकिया झालरदार सवा लाख हैं मोती …

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