Poems In Hindi

बच्चों की हिन्दी कविताएं — 4to40 का हिन्दी कविताओ का संग्रह | Hindi Poems for Kids — A collection of Hindi poems for children. पढ़िए कुछ मजेदार, चुलबुली, नन्ही और बड़ी हिंदी कविताएँ. इस संग्रह में आप को बच्चो और बड़ो के लिए ढेर सारी कविताएँ मिलेंगी.

प्रभाती – रघुवीर सहाय

आया प्रभात चंदा जग से कर चुका बात गिन गिन जिनको थी कटी किसी की दीर्घ रात अनगिन किरणों की भीड़ भाड़ से भूल गये पथ‚ और खो गये वे तारे। अब स्वप्नलोक के वे अविकल शीतल अशोक पल जो अब तक वे फैल फैल कर रहे रोक गतिवान समय की तेज़ चाल अपने जीवन की क्षण–भंगुरता से हारे। जागे …

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प्रेम–पगी कविता – आशुतोष द्विवेदी

दिन में बन सूर्यमुखी निकली‚ कभी रात में रात की रानी हुई। पल में तितली‚ पल में बिजली‚ पल में कोई गूढ़ कहानी हुई। तेरे गीत नये‚ तेरी प्रीत नयी‚ जग की हर रीत पुरानी हुई। तेरी बानी के पानी का सानी नहीं‚ ये जवानी बड़ी अभिमानी हुई। तुम गंध बनी‚ मकरंद बनी‚ तुम चंदन वृक्ष की डाल बनी। अलि …

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पुण्य फलिभूत हुआ – अमरनाथ श्रीवास्तव

पुण्य फलिभूत हुआ कल्प है नया सोने की जीभ मिली स्वाद तो गया छाया के आदी हैं गमलों के पौधे जीवन के मंत्र हुए सुलह और सौदे अपनी जड़ भूल गई द्वार की जया हवा और पानी का अनुकूलन इतना बंद खिड़किया बाहर की सोचें कितना अपनी सुविधा से है आँख में दया मंजिल दर मंजिल है एक ज़हर धीमा …

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पुरुस्कार – शकुंतला कालरा

गीतों का सम्मेलन होगा, तुम सबको यह बात बतानी, अकड़–अकड़ कर मेंढक बोले, तुम भी चलना कोयल रानी। मीकू बंदर, चीकू मेंढक मोती कुत्ता, गए बुलाए जाकर बैठ गए कुर्सी पर, वे निर्णायक बन कर आए। आए पंछी दूर–दूर से बोली उनकी प्यारी–प्यारी, रंगमंच पर सब जा बैठे, गाया सबने बारी–बारी। चहक–चहक कर बुलबुल आई, गाया उसने हौले–हौले कैसा जादू …

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मास्टर की छोरी – प्रतिभा सक्सेना

विद्या का दान चले, जहाँ खुले हाथ कन्या तो और भी सरस्वती की जात और सिर पर पिता मास्टर का हाथ। कंठ में वाणी भर, पहचान लिये अक्षर शब्दों की रचना, अर्थ जानने का क्रम समझ गई शब्दों के रूप और भाव और फिर शब्दों से आगे पढ़े मन जाने कहाँ कहाँ के छोर, गहरी गहरी डूब तक बन गया व्यसन, मास्टर की छोरी। पराये …

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पुत्र वधू से – प्रतिभा सक्सेना

द्वार खड़ा हरसिंगार फूल बरसाता है तुम्हारे स्वागत में, पधारो प्रिय पुत्र- वधू। ममता की भेंट लिए खड़ी हूँ कब से, सुनने को तुम्हारे मृदु पगों की रुनझुन! सुहाग रचे चरण तुम्हारे, ओ कुल-लक्ष्मी, आएँगे चह देहरी पार कर सदा निवास करने यहाँ, श्री-सुख-समृद्धि बिखेरते हुए। अब तक जो मैं थी, तुम हो, जो कुछ मेरा है तुम्हें अर्पित! ग्रहण …

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सोच सुखी मेरी छाती है – हरिवंश राय बच्चन

सोच सुखी मेरी छाती है By Harivansh Rai Bachchan

दूर कहां मुझसे जाएगी केसे मुझको बिसराएगी मेरे ही उर की मदिरा से तो, प्रेयसी तू मदमाती है सोच सुखी मेरी छाती है। मैंने कैसे तुझे गंवाया जब तुझको अपने मेँ पाया? पास रहे तू किसी ओर के, संरक्षित मेरी थाती है सोच सुखी मेरी छाती है। तू जिसको कर प्यार, वही मैं अपने में ही आज नही मैं किसी मूर्ति …

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राख – कैफ़ी आज़मी

जाने क्या ढूंढती रहती हैं ये आँखें मुझमें राख के ढेर में शोला है न चिंगारी है अब न वो प्यार न उस प्यार की यादें बाकी आग यूँ दिल में लगी कुछ न रहा कुछ न बचा जिसकी तस्वीर निगाहों में लिये बैठी हो मैं वो दिलदार नहीं उसकी हूँ खामोश चिता जाने क्या ढूंढती रहती हैं ये आँखें …

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रात और शहनाई – रमानाथ अवस्थी

सो न सका कल याद तुम्हारी आई सारी रात और पास ही बजी कहीं शहनाई सारी रात। मेरे बहुत चाहने पर भी नींद न मुझ तक आई ज़हर भरी जादूगरनी सी मुझको लगी जुन्हाई मेरा मस्तक सहला कर बोली मुझसे पुरवाई दूर कहीं दो आंखें भर भर आईं सारी रात और पास ही बजी कहीं शहनाई सारी रात। गगन बीच …

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रंजिश ही सही – अहमद फ़राज़

रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिये आ आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिये आ कुछ तो मेरे पिंदारे–मुहब्बत का भरम रख तू भी तो कभी मुझको मनाने के लिये आ पहले से मिरासिम न सही फिर भी कभी तो रस्मो–रहे–दुनियाँ ही निभाने के लिये आ किस–किस को बतााएंगे जुदाई का सबब हम तू मुझसे खफ़ा …

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