जा तेरे स्वप्न बड़े हों। भावना की गोद से उतर कर जल्द पृथ्वी पर चलना सीखें। चाँद तारों सी अप्राप्य ऊचाँइयों के लिये रूठना मचलना सीखें। हँसें मुस्कुराऐं गाऐं। हर दीये की रोशनी देखकर ललचायें उँगली जलायें। अपने पाँव पर खड़े हों। जा तेरे स्वप्न बड़े हों। ∼ दुष्यंत कुमार
Read More »तन बचाने चले थे: रामावतार त्यागी
तन बचाने चले थे कि मन खो गया एक मिट्टी के पीछे रतन खो गया। घर वही, तुम वही, मैं वही, सब वही और सब कुछ है वातावरण खो गया। यह शहर पा लिया, वह शहर पा लिया गाँव का जो दिया था वचन खो गया। जो हज़ारों चमन से महकदार था क्या किसी से कहें वह सुमन खो गया। …
Read More »शिकायत: रामावतार त्यागी
आँसुओ तुम भी पराई आँख में रहने लगे हो अब तुम्हें मेरे नयन इतने बुरे लगने लगे हैं। बेवफाई और मेरे सामने ही यह कहाँ की दोस्ती है ? जिंदगी ताने सुनाती है कभी मुझको जवानी कोसती है। कंटको तुम भी विरोधी पाँव में रहने लगे हो अब तुम्हें मेरे चरण इतने बुरे लगने लगे हैं। साथ बचपन से रहे …
Read More »सबसे अधिक तुम्हीं रोओगे: रामावतार त्यागी
आने पर मेरे बिजली-सी कौंधी सिर्फ तुम्हारे दृग में लगता है जाने पर मेरे सबसे अधिक तुम्हीं रोओगे। मैं आया तो चारण-जैसा गाने लगा तुम्हारा आंगन; हंसता द्वार, चहकती ड्योढ़ी तुम चुपचाप खड़े किस कारण? मुझको द्वारे तक पहुंचाने सब तो आये, तुम्हीं न आए, लगता है एकाकी पथ पर मेरे साथ तुम्हीं होओगे। मौन तुम्हारा प्रश्न चिन्ह है, पूछ …
Read More »जश्न नए साल का: प्रेम माथुर
जाम पे जाम कभी किसी के कभी किसी के नाम आज नए साल के नाम। पुराने साल के अवसान का गम या नए साल की खुशी जाम पे जाम चलते रहें आइटम नंबर होते रहें मस्त-मस्त मदहोश हम होते रहें। जश्न पे जश्न सच्चाई भुलाने के काम नई आशाएँ नया साल लाता नहीं हम देते हैं भुलावे अपने आप को …
Read More »नए साल में: नचिकेता
मौसम हो अनुकूल बंधु इस नए साल में… फूलों की खुशबू से भाती हो पुरवाई ऊसर खेतों में भी ले फ़सलें अंगड़ाई चहके हर बनफूल बंधु इस नए साल में… होंठ-होंठ पर राग-रंग की मुसकानें हों उलझे नहीं समस्या के ताने-बाने हों दुख: जाए पथ भूल बंधु इस नए साल में… हर चूल्हा में आग छान पर वरद धुआँ हो …
Read More »अधर-अधर पर हो मुस्कानें: डॉ. मंजरी शुक्ला
अभिनव राहें नवल सुपथ हो नूतन वर्षाभिनंदन। यहीं शुभेच्छा नव आशाओं से पूरित हो हर जीवन। तिमिर तिरोहित करता उज्ज्वल संकल्पों का दीप जले। उर अन्तस में सदा सर्वदा शुभम सुमंगल भाव पले। हृदय शुद्धि ही प्रबल प्रेरणा बन छाए मानस प्रतिक्षण। यहीं प्रेरणा नव आशाओं से पूरित हो हर जीवन। अभिनव राहें नवल सुपथ हो नूतन वर्षाभिनंदन। यहीं शुभेच्छा …
Read More »गया साल: राजीव कृष्ण सक्सेना
यूँ तो हर साल गुजर जाता है अबकी कुछ बात ही निराली है कुछ गए दिन बहुत कठिन गुजरे मन मुरादों की जेब खाली है। कि एक फूल जिसका इंतजार सबको था उसकी पहली कली है डाली पर दिल में कुछ अजब सी उमंगें हैं और नजरें सभी की माली पर कि एक फूल जिसका इंतजार सबको था उसकी खुशबू …
Read More »मेरी थकन उतर जाती है: रामावतार त्यागी
हारे थके मुसाफिर के चरणों को धोकर पी लेने से मैंने अक्सर यह देखा है मेरी थकन उतर जाती है। कोई ठोकर लगी अचानक जब-जब चला सावधानी से, पर बेहोशी में मंजिल तक जा पहुँचा हूँ आसानी से; रोने वाले के अधरों पर अपनी मुरली धर देने से मैंने अक्सर यह देखा है, मेरी तृष्णा मर जाती है। प्यासे अधरों …
Read More »जब मिलेगी रोशनी मुझसे मिलेगी: रामावतार त्यागी
इस सदन में मैं अकेला ही दिया हूँ; मत बुझाओ! जब मिलेगी, रोशनी मुझसे मिलेगी… पाँव तो मेरे थकन ने छील डाले अब विचारों के सहारे चल रहा हूँ, आँसूओं से जन्म दे-देकर हँसी को एक मंदिर के दिए-सा जल रहा हूँ; मैं जहाँ धर दूँ कदम वह राजपथ है, मत मिटाओ! पाँव मेरे, देखकर दुनिया चलेगी… बेबसी मेरे अधर …
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