Poems In Hindi

बच्चों की हिन्दी कविताएं — 4to40 का हिन्दी कविताओ का संग्रह | Hindi Poems for Kids — A collection of Hindi poems for children. पढ़िए कुछ मजेदार, चुलबुली, नन्ही और बड़ी हिंदी कविताएँ. इस संग्रह में आप को बच्चो और बड़ो के लिए ढेर सारी कविताएँ मिलेंगी.

चूड़ी का टुकड़ा: गिरिजा कुमार माथुर

चूड़ी का टुकड़ा: गिरिजा कुमार माथुर

आज अचानक सूनी­सी संध्या में जब मैं यों ही मैले कपड़े देख रहा था किसी काम में जी बहलाने, एक सिल्क के कुर्ते की सिलवट में लिपटा, गिरा रेशमी चूड़ी का छोटा­सा टुकड़ा, उन गोरी कलाइयों में जो तुम पहने थीं, रंग भरी उस मिलन रात में मैं वैसे का वैसा ही रह गया सोचता पिछली बातें दूज­ कोर से …

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चिड़िया और चुरुगन: हरिवंश राय बच्चन

चिड़िया और चुरुगन: हरिवंश राय बच्चन

छोड़ घोंसला बाहर आया‚ देखी डालें‚ देखे पात‚ और सुनी जो पत्ते हिलमिल‚ करते हैं आपस में बात; माँँ‚ क्या मुझको उड़ना आया? “नहीं चुरूगन‚ तू भरमाया” डाली से डाली पर पहुँचा‚ देखी कलियाँ‚ देखे फूल‚ ऊपर उठ कर फुनगी जानी‚ नीचे झुक कर जाना मूल; माँँ‚ क्या मुझको उड़ना आया? “नहीं चुरूगन तू भरमाया” कच्चे–पक्के फल पहचाने‚ खाए और …

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छोटे शहर की यादें: शार्दुला नोगजा

छोटे शहर की यादें: शार्दुला नोगजा

मुझे फिर बुलातीं हैं मुस्काती रातें, वो छोटे शहर की बड़ी प्यारी बातें। चंदा की फाँकों का हौले से बढ़ना, जामुन की टहनी पे सूरज का चढ़ना। कड़कती दोपहरी का हल्ला मचाना, वो सांझों का नज़रें चुरा बेर खाना। वहीं आ गया वक्त फिर आते जाते, ले फूलों के गहने‚ ले पत्तों के छाते। बहना का कानों में हँस फुसफुसाना, …

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छाया मत छूना: गिरिजा कुमार माथुर

छाया मत छूना: गिरिजा कुमार माथुर

छाया मत छूना मन‚ होगा दुख दूना। जीवन में हैं सुरंग सुधियां सुहावनी छवियों की चित्र गंध फैली मनभावनी: तन सुगंध शेष रही बीत गई यामिनी‚ कुंतल के फूलों की याद बनी चांदनी। भूली सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षण – छाया मत छूना मन‚ होगा दुख दूना। यश है ना वैभव है मान है न सरमाया; जितना भी …

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ए माँ तू कहाँ: कवि प्रदीप

ए माँ तू कहाँ - कवि प्रदीप Mothers Day Special Hindi Film Song

ए माँ तू कहाँ मेरी अंधी आँखे ढूंढ रही है तुझको यहाँ वहाँ ए माँ तू कहाँ तू कहाँ तेरे घर का दुलारा आज सड़क पे मारा मारा भटके तेरे घर दुलारा आज सड़क पे मारा मारा भटके दर दर की ठोकरे खाता हुआ तेरी आँख का तारा भटके मैं तुझ कैसे आऊ मैं तुझ तक कैसे आऊ हे बहुत …

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चलो चलें माँ: कवि प्रदीप

चलो चलें माँ - कवि प्रदीप Mothers Day Special Hindi Film Song

चलो चलें माँ सपनों के गाँव में काँटों से दूर कहीं फूलों की छाओं में चलो चले माँ हो राहें इशारे रेशमी घटाओं में चलो चलें माँ सपनों के गाँव में काँटों से दूर कहीं फूलों की छाओं में चलो चलें माँ आओ चलें हम एक साथ वहाँ दुःख ना जहाँ कोई ग़म ना जहाँ आओ चलें हम एक साथ …

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यहाँ वहाँ जहाँ तहाँ, मत पूछो कहाँ-कहाँ है सँतोषी माँ: कवि प्रदीप

Kavi Pradeep Devotional Bhajan यहाँ वहाँ जहाँ तहाँ, मत पूछो कहाँ-कहाँ है सँतोषी माँ

यहाँ वहाँ जहाँ तहाँ, मत पूछो कहाँ-कहाँ है सँतोषी माँ! अपनी सँतोषी माँ, अपनी सँतोषी माँ… जल में भी थल में भी, चल में अचल में भी, अतल वितल में भी माँ! अपनी सँतोषी माँ, अपनी सँतोषी माँ… बड़ी अनोखी चमत्कारिणी, ये अपनी माई राई को पर्वत कर सकती, पर्वत को राई द्धार खुला दरबार खुला है, आओ बहन भाई …

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रोते रोते हँसना सीखो: आनंद बक्षी

Father's Day Inspirational Hindi Song रोते रोते हँसना सीखो

रोते रोते हँसना सीखो, हँसते हँसते रोना जितनी चाभी भरी राम ने, अरे उतना चले खिलौना – २ हम दो एक हमारी प्यारी प्यारी मुनिया है बस यही चोटी सी अपनी सारी दुनिया है हम दो एक हमारी प्यारी प्यारी मुनिया है खुशियों से आबाद है, अपने घर का कोना कोना रोते रोते… बड़ी बड़ी खुशियां हैं छोटी छोटी बातों …

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हम सब सुमन एक उपवन के: द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

हम सब सुमन एक उपवन के - द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

हम सब सुमन एक उपवन के एक हमारी धरती सबकी, जिसकी मिट्टी में जन्मे हम। मिली एक ही धूप हमें है, सींचे गए एक जल से हम। पले हुए हैं झूल-झूल कर, पलनों में हम एक पवन के। हम सब सुमन एक उपवन के॥ रंग रंग के रूप हमारे, अलग-अलग है क्यारी-क्यारी। लेकिन हम सबसे मिलकर ही, इस उपवन की शोभा सारी। एक हमारा माली …

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इतने ऊँचे उठो: द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

इतने ऊँचे उठो - द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

इतने ऊँचे उठो कि जितना उठा गगन है। देखो इस सारी दुनिया को एक दृष्टि से सिंचित करो धरा, समता की भाव वृष्टि से जाति भेद की, धर्म-वेश की काले गोरे रंग-द्वेष की ज्वालाओं से जलते जग में इतने शीतल बहो कि जितना मलय पवन है। नये हाथ से, वर्तमान का रूप सँवारो नयी तूलिका से चित्रों के रंग उभारो …

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