Poems In Hindi

बच्चों की हिन्दी कविताएं — 4to40 का हिन्दी कविताओ का संग्रह | Hindi Poems for Kids — A collection of Hindi poems for children. पढ़िए कुछ मजेदार, चुलबुली, नन्ही और बड़ी हिंदी कविताएँ. इस संग्रह में आप को बच्चो और बड़ो के लिए ढेर सारी कविताएँ मिलेंगी.

रविवार की छुट्टी पर हिंदी बाल-कविता – आज हमारी छुट्टी है

रविवार की छुट्टी पर हिंदी बाल-कविता - आज हमारी छुट्टी है

रविवार का प्यारा दिन है, आज हमारी छुट्टी है। उठ जायेंगे क्या जल्दी है, नींद तो पूरी करने दो। बड़ी थकावट हफ्ते भर की, आराम ज़रूरी करने दो। नहीं घड़ी की ओर देखना, न करनी कोई भागम- भाग। मनपसंद वस्त्र पहनेंगे, आज नहीं वर्दी का राग। खायेंगे आज गर्म पराँठे, और खेलेंगे मित्रों संग। टीचर जी का डर न हो …

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सूर्य देव पर हिंदी बाल-कविता: अंधियारे से डरना कैसा

सूर्य देव पर हिंदी बाल-कविता: अंधियारे से डरना कैसा

अम्मा बोली – सूरज बेटे, जल्दी से उठ जाओ। धरती के सब लोग सो रहे, जाकर उन्हें उठाओ। मुर्गे थककर हार गये हैं, कब से चिल्ला चिल्ला। निकल घोंसलों से गौरैयां, मचा रहीं हैं हल्ला। तारों ने मुँह फेर लिया है, तुम मुंह धोकर जाओ। पूरब के पर्वत की चाहत, तुम्हें गोद में ले लें। सागर की लहरों की इच्छा, …

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मिठाइयों पर हास्य बाल-कविता: बर्फी की शादी

मिठाइयों पर हास्य बाल-कविता: बर्फी की शादी

जिस दिन होनी थी लड्डू की, बर्फी जी से शादी, बर्फी बहुत कुरूप किसी ने, झूठी बात उड़ा दी। गुस्से के मारे लड्डू जी, जोरों से चिल्लाये। वे बारात बिना पूंछे ही, घर वापस ले आये। लड्डू के दादा रसगुल्ला, बर्फी के घर आये। बर्फीजी को देख सामने, मन ही मन मुस्काये। बर्फी तो इतनी सुंदर थी, जैसे एक परी …

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पानी बचाओ पर बाल-कविता: नहीं व्यर्थ बहाओ पानी

पानी बचाओ पर बाल-कविता: नहीं व्यर्थ बहाओ पानी

सदा हमें समझाए नानी, नहीं व्यर्थ बहाओ पानी। हुआ समाप्त अगर धरा से, मिट जायेगी ये ज़िंदगानी। नहीं उगेगा दाना-दुनका, हो जायेंगे खेत वीरान। उपजाऊ जो लगती धरती, बन जायेगी रेगिस्तान। हरी-भरी जहाँ होती धरती, वहीं आते बादल उपकारी। खूब गरजते, खूब चमकते, और करते वर्षा भारी। हरा-भरा रखो इस जग को, वृक्ष तुम खूब लगाओ। पानी है अनमोल रत्न, …

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आओ चिड़िया – पक्षी चिड़िया पर बाल-कविता

आओ चिड़िया - पक्षी चिड़िया पर बाल-कविता

आओ चिड़िया आओ चिड़िया, कमरे में आ जाओ चिड़िया। पुस्तक खुली पड़ी है मेरी, एक पाठ पढ़ जाओ चिड़िया। नहीं तुम्हें लिखना आता तो, तुमको अभी सिखा दूंगा मैं। अपने पापाजी से कहकर, कॉपी तुम्हें दिल दूंगा मैं। पेन रखे हैं पास हमारे, चिड़िया रानी बढ़िया-बढ़िया। आगे बढ़ती इस दुनिया में, पढ़ना-लिखना बहुत जरूरी। तुमने बिलकुल नहीं पढ़ा है, पता …

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NRI अनिवासी भारतीयों पर हास्य कविता

NRI अनिवासी भारतीयों पर हास्य कविता

न इधर के रहे न उधर के रहे बीच में ही हमेशा लटकते रहे न इंडिया को भुला सके न विदेश को अपना सके एन आर आई बन के काम चलाते रहे न हिंदी को छोड़ सके न अंग्रेजी को पकड़ सके देसी एक्सेंट में गोरों को कन्फयूज़ करते रहे न शौटर््स पहन सके न सलवार कमीज छोड़ सके जींस …

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Collection of Nida Fazli Couplets निदा फाजली के दोहे 2

Collection of Nida Fazli Couplets निदा फाजली के दोहे 2

मैं भी तू भी यात्री, आती जाती रेल अपने अपने गाँव तक, सब का सब से मेल। बूढ़ा पीपल घाट का, बतियाये दिन रात जो भी गुजरे पास से, सर पर रख दे हाथ। जादू टोना रोज का, बच्चों का व्यवहार छोटी सी एक गेंद में, भर दें सब संसार। छोटा कर के देखिये, जीवन का विस्तार आँखों भर आकाश …

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होली के दिन दिल खिल जाते हैं – आनंद बक्षी

होली के दिन दिल खिल जाते हैं - आनंद बक्षी

चलो सहेली चलो रे साथी ओ पकड़ो-पकड़ो रे इसे न छोड़ो अरे बैंया न मोड़ो ज़रा ठहर जा भाभी जा रे सराबी क्या हो राजा गली में आजा होली रे होली भंग की गोली ओ नखरे वाली दूँगी मैं गाली ओ राअमू की साली होली रे होली होली के दिन दिल खिल जाते हैं रंगों में रंग मिल जाते हैं …

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होली त्यौहार के आगमन पर बाल-कविता – होली

होली त्यौहार के आगमन पर बाल-कविता - होली

चहुंदिश फैली चहल-पहल है, आनेवाली है होली। मन की मस्ती तन में गश्ती, लगा रहा है रंगोली। इन्द्रधनुष सी रंगी जा रही, गोरी की अंगिया चोली। मौसम युवा जवानी ॠतु की, बांट रहा है भर झोली। बिना वजह अंगडाई तन में, नहीं लगाती है बोली। फूलों के मुख रक्तिम-रक्तिम, गात में फैली है होली। सबके अधरों पर गुम्फित है, फाग …

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फागुनी संगीत में – डॉ. सरस्वती माथुर

फागुनी संगीत में - डॉ. सरस्वती माथुर

चलो मिल बटोर लाएँ मौसम से बसन्त फिर मिल कर समय गुज़ारें पीले फूलों सूर्योदय की परछाई हवा की पदचापों में चिडियों की चहचहाटों के साथ फागुनी संगीत में फिर तितलियों से रंग और शब्द लेकर हम गति बुनें चलो मिल कर बटोर लाएँ। मौसम से बसन् और देखें दुबकी धूप कैसे खिलते गुलाबों के ऊपर पसर कर रोशनियों की …

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