ओ कल्पवृक्ष की सोनजुही, ओ अमलताश की अमलकली, धरती के आतप से जलते, मन पर छाई निर्मल बदली, मैं तुमको मधुसदगन्ध युक्त संसार नहीं दे पाऊँगा, तुम मुझको करना माफ तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा। तुम कल्पव्रक्ष का फूल और, मैं धरती का अदना गायक, तुम जीवन के उपभोग योग्य, मैं नहीं स्वयं अपने लायक, तुम नहीं अधूरी गजल …
Read More »संसार – महादेवी वर्मा
निश्वासों सा नीड़ निशा का बन जाता जब शयनागार, लुट जाते अभिराम छिन्न मुक्तावलियों के वंदनवार तब बुझते तारों के नीरव नयनों का यह हाहाकार, आँसू से लिख जाता है ‘कितना अस्थिर है संसार’! हँस देता जब प्रात, सुनहरे अंचल में बिखरा रोली, लहरों की बिछलन पर जब मचली पड़तीं किरणें भोली तब कलियाँ चुपचाप उठा कर पल्लव के घूँघट …
Read More »Ramvachan Singh Hasya Baal-Kavita पास हुए हम
पास हुए हम, हुर्रे हुर्रे! दूर हुए गम, हुर्रे हुर्रे! रोज नियम से किया परीश्रम और खपाया भेजा, धीरे–धीरे, थोड़ा–थोड़ा हर दिन ज्ञान सहेजा, रुके नहीं हम, हुर्रे हुर्रे! हम कछुआ ही सही, चल रहे लगातार पर धीमें, हम खरगोश नहीं की दौड़ें, सोयें रस्ते ही में। रुका नहीं क्रम, हुर्रे हुर्रे! बात नकल की कोई हमने कभी न मन …
Read More »Nostalgia Hindi Poem about Relations अब कहाँ
बचपन की तरह, अब बेटे कहाँ झगड़ते है माँ मेरी, माँ मेरी, भाई से भाई कहाँ कहते है। कभी ख्वाइशें आकर, सीने से लिपटती थी, सुने शजर की तरह, अब घर में बुजुर्ग रहते है। न बरकत, न उस घर में खुशियाँ रहती है भाई-भाई जहाँ आँगन में दिवार रखते है। कोई अखबार बेचने, कोई कारखाने गया, गरीबो के बच्चे, …
Read More »Sad Frustration Hindi Poem चुप सी लगी है – नीलकमल
चुप सी लगी है। अन्दर ज़ोर एक आवाज़ दबी है। वह दबी चीख निकलेगी कब? ज़िन्दगी आखिर शुरू होगी कब? कब? खुले मन से हंसी कब आएगी? इस दिल में खुशी कब खिलखिलाएगी? बरसों इस जाल में बंधी, प्यास अभी भी है। अपने पथ पर चल पाऊँगी, आस अभी भी है। पर इन्त्ज़ार में दिल धीरे धीरे मरता है धीरे …
Read More »Shail Chaturvedi Hasya Kavita देवानंद और प्रेमनाथ
एक बार हम रिक्शे में बैठ गए ठिकाने पर पहुँच कर पचास पैसे थमाए तो रिक्शा चालक ऐंठ गए “पचास पैसे थमाते शर्म नहीं आई लीजिए आप ही सँभालिए और जल्दी से रुपया निकालिए, वो तो मैंने अँधेरे में हाँ कह दी थी उजाले में होता तो ठेले की सवारी रिक्शे में नहीं ढोता” हमारे शारीरिक विकास और गंजेपन को …
Read More »Kaka Hathrasi Hasya Kavita प्रसिद्धि प्रसंग
काशीपुर क्लब में मिले, कवि–कोविद अमचूर चर्चा चली कि कहाँ की कौन चीज़ मशहूर कौन चीज़ मशहूर, पश्न यह अच्छा छेड़ा नोट कीजिए है प्रसिद्ध मथुरा का पेड़ा। आत्मा–परमात्मा प्रसन्न हो जाएँ काका लड्डू संडीला के हों, खुरचन खुरजा का। अपना–अपना टेस्ट है, अपना–अपना ढंग रंग दिखाती अंग पर हरिद्वार की भंग। हरिद्वार की भंग, डिजाइन नए निराले जाते देश–विदेश, …
Read More »Inspirational Hindi Poem on Demonetisation नोट बंदी
जब से नोट बंदी हो गई है सियासत और भी गंदी हो गई है। सुना है कश्मीर भी सांसे ले रहा है पत्थरों की आवाजें मन्दी हो गई है। जो चिल्ला के हिसाब मांगते थे सरकार से वही लोग रो रहे है जब पाबंदी हो गई है। आपस में झगड़ते थे दुश्मनों की तरह उन नेताओं में आजकल रजामंदी हो …
Read More »Nirmala Joshi Hindi Love Poem about Faith सूर्य–सा मत छोड़ जाना
मैं तुम्हारी बाट जोहूँ तुम दिशा मत मोड़ जाना तुम अगर ना साथ दोगे पूर्ण कैसे छंद होंगे भावना के ज्वार कैसे पक्तिंयों में बंद होंगे वर्णमाला में दुखों की और कुछ मत जोड़ जाना देह से हूँ दूर लेकिन हूँ हृदय के पास भी मैं नयन में सावन संजोए गीत भी मधुमास भी मैं तार में झंकार भर कर …
Read More »Bedhab Banarasi Hasya Vyang Poem प्रिये – एक पौरोडी
तुम अंडर–ग्रेजुएट हो सुन्दर मैं भी हूँ बी.ए. पास प्रिये तुम बीबी हो जाओ लॉ–फुल मैं हो जाऊँ पति खास प्रिये मैं नित्य दिखाऊँगा सिनेमा होगा तुमको उल्लास प्रिये घर मेरा जब अच्छा न लगे होटल में करना वास प्रिये सर्विस न मिलेगी जब कोई तब ‘लॉ’ की है एक आस प्रिये उसमें भी सक्सेस हो न अगर रखना मत …
Read More »