हुल्लड़ और शादी – हुल्लड़ मुरादाबादी दूल्हा जब घोड़ी चढ़ा, बोले रामदयाल हुल्लड़ जी बतलइए, मेरा एक सवाल मेरा एक सवाल, गधे पर नहीं बिठाते दूल्हे राजा क्यों घोड़ी पर चढ़ कर आते? कह हुल्लड़ कविराय, ब्याह की रीत मिटा दें एक गधे को, गधे दूसरे पर बिठला दें! मंडप में कहनें लगीं, मुझसे मिस दस्तूर लड़की की ही माँग में, …
Read More »Baal Kavita in Hindi गड़बड़ झाला – देवेंन्द्र कुमार
गड़बड़ झाला – देवेंन्द्र कुमार आसमान को हरा बना दें धरती नीली, पेड़ बैंगनी गाड़ी ऊपर, नीचे लाला फिर क्या होगा – गड़बड़ झाला! कोयल के सुर मेंढक बोले उल्लू दिन में आँखों खोले सागर मीठा, चंदा काला फिर क्या होगा – गड़बड़ झाला! दादा माँगें दाँत हमारे रसगुल्ले हों खूब करारे चाबी अंदर, बाहर ताला फिर क्या होगा – …
Read More »बच्चे अच्छे लगते हैं Hindi Poem on Happy Children
हंसते-मुस्कुराते-खिलखिलाते बच्चे, अच्छे लगते हैं। दौड़ते-भागते, कूदते, फांदते बच्चे अच्छे लगते हैं। मासूम सी प्यारी शरारते करते बच्चे, अच्छे लगते हैं। यूनिफार्म पहने स्कूल को जाते बच्चे, अच्छे लगते हैं। खेल मैदान में कोई गेम खेलते बच्चे, अच्छे लगते हैं। स्वयं ईष्वर का रूप होते हैं बच्चे, अच्छे लगते हैं। ~ ओम प्रकाश बजाज
Read More »मुझे बचा लो, माँ – ईपशीता गुप्ता Poem on Insecure Feelings of Girl
मुझे बचा लो, माँ मुझे बचा लो! माँ, मुझे डर लगता है। माँ, चौखट से निकलते ही दादा, चाचा के अंदर आने से, सिहर जाती हूँ। राहों में घूमती निगाहों से, मैं सिमट जाती हूँ। हँस कर बात करते हर मानव से, मैं संभल जाती हूँ। पुरुष के झूठे अभियान से, मैं सहम जाती हूँ। सिहर-सिहर, सहम-सहम कर जीना नहीं …
Read More »तुम और मैंः दो आयाम – रामदरश मिश्र Hindi Love Poem
(एक) बहुत दिनों के बाद हम उसी नदी के तट से गुज़रे जहाँ नहाते हुए नदी के साथ हो लेते थे आज तट पर रेत ही रेत फैली है रेत पर बैठे–बैठे हम यूँ ही उसे कुरेदने लगे और देखा कि उसके भीतर से पानी छलछला आया है हमारी नज़रें आपस में मिलीं हम धीरे से मुस्कुरा उठे। (दो) छूटती …
Read More »परिवर्तन – ठाकुर गोपालशरण सिंह Poetry about Changes in Life
देखो यह जग का परिवर्तन जिन कलियों को खिलते देखा मृदु मारुत में हिलते देखा प्रिय मधुपों से मिलते देखा हो गया उन्हीं का आज दलन देखो यह जग का परिवर्तन रहती थी नित्य बहार जहाँ बहती थी रस की धार जहाँ था सुषमा का संसार जहाँ है वहाँ आज बस ऊजड़ बन देखो यह जग का परिवर्तन था अतुल …
Read More »काका और मच्छर – काका हाथरसी Hindi Poem on Mosquitoes
काका वेटिंग रूम में, फँसे देहरा–दून नींद न आई रात भर, मच्छर चूसें खून मच्छर चूसें खून, देह घायल कर डाली हमें उड़ा ले जाने की योजना बना ली किंतु बच गये कैसे, यह बतलाएँ तुमको? नीचे खटमल जी ने पकड़ रखा था हमको! हुई विकट रस्साकशी, थके नहीं रणधीर ऊपर मच्छर खींचते, नीचे खटमल वीर नीचे खटमल वीर, जान …
Read More »माँ कह एक कहानी – मैथिली शरण गुप्त – Inspirational Bedtime Poem
“माँ कह एक कहानी।” बेटा समझ लिया क्या तूने मुझको अपनी नानी? “कहती है मुझसे यह चेटी, तू मेरी नानी की बेटी कह माँ कह लेटी ही लेटी, राजा था या रानी? माँ कह एक कहानी।” “तू है हठी, मानधन मेरे, सुन उपवन में बड़े सवेरे, तात भ्रमण करते थे तेरे, जहाँ सुरभी मनमानी।” “जहाँ सुरभी मनमानी। हाँ माँ यही …
Read More »साकेत: कैकेयी का पश्चाताप – मैथिली शरण गुप्त – Kaikeyi’s Remorse
“यह सच है तो अब लौट चलो तुम घर को।” चौंके सब सुनकर अटल कैकेयी स्वर को। बैठी थी अचल तदापि असंख्यतरंगा, वह सिन्हनी अब थी हहा गोमुखी गंगा। “हाँ, जानकर भी मैंने न भरत को जाना, सब सुनलें तुमने स्वयम अभी यह माना। यह सच है तो घर लौट चलो तुम भैय्या, अपराधिन मैं हूँ तात्, तुम्हारी मैय्या।” “यदि …
Read More »दयालु कौन – Short Hindi Poem about Kindness
(१) देख पराया दुःख, ह्रदय जिसका अति व्याकुल हो जाता। जब तक दुःख न मिटता, तब तक नही चैन जो है पाता।। पर दुःख हरने को जो सुख से निज सुख देकर सुख पाता। करुणा सागर का सेवक वह, दयालु जग में कहलाता।। (२) शत्रु-मित्र निज-परमे कोई भी जो भेद नही करता। दुःखी मात्र के दुःख से दुःखी हो, जो …
Read More »