Poems In Hindi

बच्चों की हिन्दी कविताएं — 4to40 का हिन्दी कविताओ का संग्रह | Hindi Poems for Kids — A collection of Hindi poems for children. पढ़िए कुछ मजेदार, चुलबुली, नन्ही और बड़ी हिंदी कविताएँ. इस संग्रह में आप को बच्चो और बड़ो के लिए ढेर सारी कविताएँ मिलेंगी.

पानी – ओमप्रकाश बजाज Hindi Poem on Importance of Water

पानी - ओमप्रकाश बजाज Hindi Poem on Importance of Water

पानी अपना रास्ता स्वयं बनाता है, हमेशा ढलान की ओर जाता है। बहता पानी निर्मल शुद्ध रहता है, खड़ा हुआ पानी सड़ जाता है। पानी का तेज बहाव अपने साथ, बड़े-बड़े पत्थर, पेड़ बहा ले जाता है। मीठा पानी पीने के काम आता है, शहरों में नलों से पहुंचाया जाता है। वर्षा ऋतु में नदियों में बाढ़ आती है, तबाही …

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जागो देश वासियों – आद्विक मिश्रा – Motivational Short Hindi Poetry for Countrymen

जागो देश वासियों - आद्विक मिश्रा - Motivational Short Hindi Poetry for Countrymen

ओ! भारत के देश वासियों, कुछ काम कर के दिखलाना है, इस भारत को प्यार से हरा-भरा बनाना है। अस्त्र-शस्त्र को छोड़कर अहिंसा को अपनाया है। ओ! भारत के देश वासियों, कुछ काम कर के दिखलाना है, झुग्गी-झोंपड़ी वालो को पक्का घर दिलवाना हैं। भारत की इस गरीबी को, जड़ से हमे मिटाना है। स्वचछता की ओर हर एक को …

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मधु की रात – चिरंजीत

मधु की रात – चिरंजीत

अलक सन्धया ने सँवारी है अभी म्यान में चन्दा कटारी है अभी चम्पई रंग पे न आ पाया निखार रात यह मधु की, कुंआरी है अभी। चाँदनी की डगर पर तुम साथ हो प्राण युग–युग तक अमर यह रात हो कल हलाहल ही पिला देना मुझे आज मधु की रात, मधु की बात हो। क्या सितारों के इशारे, ध्यान दो …

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पहली कोशिश – राज नारायण बिसारिया

पहली कोशिश – राज नारायण बिसारिया

जिधर तुम जा रहीं थीं उस तरफ मुझको न जाना था बनाया साथ पाने के लिये झूठा बहाना था न कुछ सोचा विचारा था कि क्या कहना–कहाना था मुझे तो बस अकेले साथ में चलना–चलाना था! रुकीं दो पल चले दोनों सभी कुछ तो सुहाना था मगर बतिया नहीं पाए कि चुप्पी का ज़माना था! बहुत धीमे कहा कुछ था …

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राष्ट्र की रपट – आचार्य भगवत दूबे

राष्ट्र की रपट – आचार्य भगवत दूबे

नेतृत्व गया है भटह बंधु क्या लिखूँ राष्ट्र की रपट बंधु कशमीर, आंध्र, आसाम सहित जलते हैं केरल, कटक बंधु सूखे चेहरे कुटियाओं के महलों की रंगत चटक बंधु हथकड़ी नोट से कट जाती कैदी जातें हैं सटक बंधु अपराधी छूटें, निरपराध फाँसी पर जाते लटक बंधु सौ रुपय लोक–हित जो भेजे पच्चासी जाते अटक बंधु जो नहर बांध से …

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मेरी कविता – तमन्ना भसीन – Poetry about writing a poem for school magazine

मेरी कविता - तमन्ना भसीन - Poetry about writing a poem for school magazine

आज कक्षा में यह नोटिस आया, मैडम ने यह फरमाया। झट-पट से एक कविता लिखा ला, विद्यालय पत्रिका में उसको छपवा। मुझको कविता लिखना नहीं है आता, सोच-सोच कर मन पछताया। घर जाकर पापा को पकड़ा, शोर मचाया कर लिया झगड़ा। पास बैठाकर उनसे बोली, मुझे लिखवा दो एक कविता। उसको लेकर दौड़ी आई मैडम को जल्दी दिखलाई। उसे देखकर …

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पढ़ लो, भाई! – रिद्धी शर्मा – Children’s Poetry in Hindi

पढ़ लो, भाई! - रिद्धी शर्मा - Children's Poetry in Hindi

स्कूल खुल गए, पढ़ लो भाई, मस्ती छोड़ अब करों पढ़ाई पढ़ते-लिखते हैं जो बच्चे, वे लगते हैं, सब को अच्छे। अनपढ़ का जीवन बेकार, मिले न उसको बंगला, कार। बिन पढ़ाई न कोई चारा, बच्चा बन जाता नकारा। लोग तरस भी उस पर खाते, पर न मदद को आगे आते। इसलिए कहते है भाई, मस्ती छोड़ अब करो पढ़ाई। …

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जुगनू – हरिवंश राय बच्चन

जुगनू - हरिवंश राय बच्चन

अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है? उठी ऐसी घटा नभ में छिपे सब चांद औ’ तारे, उठा तूफान वह नभ में गए बुझ दीप भी सारे, मगर इस रात में भी लौ लगाए कौन बैठा है? अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है? गगन में गर्व से उठउठ, गगन में गर्व से घिरघिर, गरज कहती घटाएँ हैं, …

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आई होली – जितेश कुमार

आई होली - जितेश कुमार

सराबोर रंगों में होकर, खुशियों के बीजों को बोकर आओ खेलें मिलकर होली होली-होली आई होली रंग-गुलाल गलियों में उड़ता आपस में सब खुशियां करता। खाता गुझिया पूरन-पोली होली-होली आई होली ढोल-मज़ीरे थप-थप बजते रंग-बिरंगे बच्चे लगते सूरत दिखती कितनी भोली होली-होली आई होली मौसम भी बन गया सुहाना बुनकर मस्ती का ताना-बाना सहज प्यार से निकली बोली होली-होली आई …

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जब तुम्हीं अनजान बन कर रह गए – शांति सिंहल

जब तुम्हीं अनजान बन कर रह गए - शांति सिंहल

जब तुम्हीं अनजान बन कर रह गए‚ विश्व की पहचान लेकर क्या करूं? जब न तुम से स्नेह के दो कण मिले‚ व्यथा कहने के लिये दो क्षण मिले। जब तुम्हीं ने की सतत अवहेलना‚ विश्व का सम्मान लेकर क्या करूं? जब तुम्हीं अनजान बन कर रह गए‚ विश्व की पहचान लेकर क्या करूं? एक आशा एक ही अरमान था‚ …

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