Poems In Hindi

बच्चों की हिन्दी कविताएं — 4to40 का हिन्दी कविताओ का संग्रह | Hindi Poems for Kids — A collection of Hindi poems for children. पढ़िए कुछ मजेदार, चुलबुली, नन्ही और बड़ी हिंदी कविताएँ. इस संग्रह में आप को बच्चो और बड़ो के लिए ढेर सारी कविताएँ मिलेंगी.

मधुशाला – हरिवंश राय बच्चन

मधुशाला – हरिवंश राय बच्चन

मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला, प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला, पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा, सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला॥१॥ प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा हाला, एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला, जीवन की मधुता तो तेरे ऊपर कब का वार चुका, आज …

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संयुक्त परिवार

संयुक्त परिवार

वो पंगत में बैठ के निवालों का तोड़ना, वो अपनों की संगत में रिश्तों का जोडना, वो दादा की लाठी पकड़ गलियों में घूमना, वो दादी का बलैया लेना और माथे को चूमना, सोते वक्त दादी पुराने किस्से कहानी कहती थीं, आंख खुलते ही माँ की आरती सुनाई देती थी, इंसान खुद से दूर अब होता जा रहा है, वो संयुक्त परिवार का दौर अब खोता …

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पीहर का बिरवा – अमरनाथ श्रीवास्तव

पीहर का बिरवा – अमरनाथ श्रीवास्तव

पीहर का बिरवा छतनार क्या हुआ सोच रहीं लौटी ससुराल से बुआ। भाई भाई फरीक पैरवी भतीजों की मिलते हैं आस्तीन मोड़े कमीजों की झगड़े में है महुआ डाल का चुआ। किसी की भरी आंखें जीभ ज्यों कतरनी है‚ किसी के तने तेवर हाथ में सुमिरनी है‚ कैसा कैसा अपना ख़ून है मुआ। खट्टी–मीठी यादें अधपके करौंदों की हिस्से बटवारे …

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नदी सा बहता हुआ दिन – सत्यनारायण

नदी सा बहता हुआ दिन – सत्यनारायण

कहां ढूंढें नदी सा बहता हुआ दिन वह गगन भर धूप‚ सेनुर और सोना धार का दरपन‚ भंवर का फूल होना हां किनारों से कथा कहता हुआ दिन। सूर्य का हर रोज नंगे पांव चलना घाटियों में हवा का कपड़े बदलना ओस‚ कोहरा‚ घाम सब सहता हुआ दिन। कौन देगा मोरपंखों से लिखे छन रेतियों पर सीप शंखों से लिखे …

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मांझी न बजाओ बंशी – केदार नाथ अग्रवाल

मांझी न बजाओ बंशी – केदार नाथ अग्रवाल

मांझी न बजाओ बंशी मेरा मन डोलता। मेरा मन डोलता जैसे जल डोलता। जल का जहाज जैसे पल पल डोलता। मांझी न बजाओ बंशी‚ मेरा मन डोलता। मांझी न बजाओ बंशी मेरा प्रन टूटता‚ मेरा प्रन टूटता जैसे तृन टूटता‚ तृन का निवास जैसे वन वन टूटता। मांझी न बजाओ बंशी‚ मेरा प्रन टूटता। मांझी न बजाओ बंशी मेरा तन …

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कौन गाता जा रहा है – विद्यावती कोकिल

कौन गाता जा रहा है – विद्यावती कोकिल

कौन गाता जा रहा है? मौनता को शब्द देकर शब्द में जीवन संजोकर कौन बंदी भावना के पर लगाता जा रहा है कौन गाता जा रहा है? घोर तम में जी रहे जो घाव पर भी घाव लेकर कौन मति के इन अपंगों को चलाता जा रहा है कौन गाता जा रहा है? कौन बिछुड़े मन मिलाता और उजड़े घर …

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जिस तट पर – बुद्धिसेन शर्मा

जिस तट पर – बुद्धिसेन शर्मा

जिस तट पर प्यास बुझाने से अपमान प्यार का होता हो‚ उस तट पर प्यास बुझाने से प्यासा मर जाना बेहतर है। जब आंधी‚ नाव डुबो देने की अपनी ज़िद पर अड़ जाए‚ हर एक लहर जब नागिन बनकर डसने को फन फैलाए‚ ऐसे में भीख किनारों की मांगना धार से ठीक नहीं‚ पागल तूफानों को बढ़कर आवाज लगाना बेहतर …

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जागे हुए मिले हैं कभी सो रहे हैं हम – निदा फ़ाजली

जागे हुए मिले हैं कभी सो रहे हैं हम - निदा फ़ाजली

जागे हुए मिले हैं कभी सो रहे हैं हम मौसम बदल रहे हैं बसर हो रहे हैं हम बैठे हैं दोस्तों में ज़रूरी हैं क़हक़हे सबको हँसा रहे हैं मगर रो रहे हैं हम आँखें कहीं, निगाह कहीं, दस्तो–पा कहीं किससे कहें कि ढूंढो बहुत खो रहे हैं हम हर सुबह फेंक जाती है बिस्तर पे कोई जिस्म यह कौन …

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किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये – निदा फ़ाजली

किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये - निदा फ़ाजली

अपना ग़म ले के कहीं और न जाया जाये घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाये जिन चिराग़ों को हवाओं का कोई ख़ौफ नहीं उन चिरा.गों को हवाओं से बचाया जाये क्या हुआ शहर को कुछ भी तो नज़र आये कहीं यूँ किया जाये कभी खुद को रुलाया जाये बाग़ में जाने के आदाब हुआ करते हैं किसी तितली …

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आ भी जा – निदा फाज़ली

आ भी जा - निदा फाज़ली

आ भी जा, आ भी जा ऐ सुबह आ भी जा रात को कर विदा दिलरुबा आ भी जा मेरे, मेरे दिल के, पागलपन की और सीमा क्या है यूँ तो तू है मेरी, छाया तुझमें और तेरा क्या है मैं हूँ गगन, तू है ज़मीं, अधूरी सी मेरे बिना रात को कर विदा… देखूं चाहे जिसको, कुछ-कुछ तुझसा दिखता …

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