Poems In Hindi

बच्चों की हिन्दी कविताएं — 4to40 का हिन्दी कविताओ का संग्रह | Hindi Poems for Kids — A collection of Hindi poems for children. पढ़िए कुछ मजेदार, चुलबुली, नन्ही और बड़ी हिंदी कविताएँ. इस संग्रह में आप को बच्चो और बड़ो के लिए ढेर सारी कविताएँ मिलेंगी.

सोच के ये गगन झूमे – आनंद बक्शी

सोच के ये गगन झूमे - आनंद बक्शी

सोच के ये गगन झूमे अभी चाँद निकल आएगा झिलमिल चमकेंगे तारे चाँद जब निकल आएगा देखेगा न कोई गगन को चाँद को ही देखेंगे सारे चाँद जब निकल आएगा फूल जो खिले ना कैसे बागों में आए बहार दीप न जले तो साँवरिया कैसे मिटे अंधकार रात देखो कितनी है काली अभी चाँद निकल आएगा चाँदनी से भी तुम …

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चंदा से होगा वो प्यारा – राजेंद्र कृष्ण

चंदा से होगा वो प्यारा - राजेंद्र कृष्ण

चंदा से होगा वो प्यारा फूलों से होगा वो न्यारा नाचेगा आँगन में छम छम नन्हा सा मुन्ना हमारा! खिलती हो जैसे कली सी होगी जुबाँ तोतली सी पापा, ओ मामा, ओ बाबा “पकलेंगे हम चाँद ताला!” अब तक छुपा है वो ऐसे सीपी में मोती हो जैसे परियों की नगरी से चल कर आता ही होगा दुलारा! चंदा से …

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सूरज भाई – इंदिरा गौड़

सूरज भाई - इंदिरा गौड़

क्या कहने हैं सूरज भाई अच्छी खूब दुकान सजाई और दिनों की तरह आज भी जमा दिया है खूब अखाड़ा पहले किरणों की झाड़ू से घना अँधेरा तुमने झाड़ा फिर कोहरे को पोंछ उषा की लाल लाल चादर फैलाई। ज्यों ही तुमको आते देखा डर कर दूर अँधेरा भागा दिन भर की आपा धापी से थक कर जो सोया था …

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दीदी का भालू – राजीव कृष्ण सक्सेना

दीदी का भालू - राजीव कृष्ण सक्सेना

दीदी के कमरे में, दीदी संग रहते थे दीदी का कुत्ता भी, बंदर भी, भालू भी छोटी सी थी बिटिया, जब वे घर आए थे नन्हीं दीदी पा कर, बेहद इतराए थे वैसे तो रूई से भरे वे खिलौने थे दीदी की नजरों में प्यारे से छौने थे सुबह सुबह दीदी जब जाती बस्ता लेकर ऊंघते हुए तीनो अलसाते बिस्तर …

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अध्यापक की शादी – जैमिनि हरियाणवी

अध्यापक की शादी - जैमिनि हरियाणवी

एक अध्यापक की हुई शादी सुहागरात को दुल्हान का घूँघट उठाते ही अपनी आदत के अनुसार उसने प्रश्नों की झड़ी लगा दी – “तेरा नाम चंपा है या चमेली? कौन कौन सी थी तेरी सहेली?” सहेलियों की और अपनी सही–सही उम्र बता! तन्नैं मैनर्स आवैं सै कि नहीं – पलंग पर सीधी खड़ी हो जा! तेरे कितने भाई बहन हैं? कितने …

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बड़ी बात है – राजा चौरसिया

बड़ी बात है - राजा चौरसिया

हंसमुख रहना बड़ी बात है असफलता पर रोना–धोना केवल समय कीमती खोना काँटों में भी खिलने वाले फूलों जैसे हमको होना संकट सहना बड़ी बात है। जो उमंग में कमी न रखता उसका चेहरा आप चमकता बड़ों–बड़ों का भी है कहना धन से बढ़कर है प्रसन्नता हंसकर कहना बड़ी बात है। सदा–बहार वही कहलाए जो स्वभाव से हँसे हँसाए जिसके …

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लहर सागर का नहीं श्रृंगार – हरिवंशराय बच्चन

लहर सागर का नहीं श्रृंगार - हरिवंशराय बच्चन

लहर सागर का नहीं श्रृंगार, उसकी विकलता है; अनिल अम्बर का नहीं, खिलवार उसकी विकलता है; विविध रूपों में हुआ साकार, रंगो में सुरंजित, मृत्तिका का यह नहीं संसार, उसकी विकलता है। गन्ध कलिका का नहीं उद्गार, उसकी विकलता है; फूल मधुवन का नहीं गलहार, उसकी विकलता है; कोकिला का कौन-सा व्यवहार, ऋतुपति को न भाया? कूक कोयल की नहीं …

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आँगन – धर्मवीर भारती

आँगन - धर्मवीर भारती

बरसों के बाद उसी सूने- आँगन में जाकर चुपचाप खड़े होना रिसती-सी यादों से पिरा-पिरा उठना मन का कोना-कोना कोने से फिर उन्हीं सिसकियों का उठना फिर आकर बाँहों में खो जाना अकस्मात् मण्डप के गीतों की लहरी फिर गहरा सन्नाटा हो जाना दो गाढ़ी मेंहदीवाले हाथों का जुड़ना, कँपना, बेबस हो गिर जाना रिसती-सी यादों से पिरा-पिरा उठना मन …

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भोर हुई – रूप नारायण त्रिपाठी

भोर हुई - रूप नारायण त्रिपाठी

भोर हुई पेड़ों की बीन बोलने लगी, पत पात हिले शाख शाख डोलने लगी। कहीं दूर किरणों के तार झनझ्ना उठे, सपनो के स्वर डूबे धरती के गान में, लाखों ही लाख दिये ताारों के खो गए, पूरब के अधरों की हल्की मुस्कान में। कुछ ऐसे पूरब के गांव की हवा चली, सब रंगों की दुनियां आंख खोलने लगी। जमे …

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भिन्न – अनामिका

भिन्न - अनामिका

मुझे भिन्न कहते हैं किसी पाँचवीं कक्षा के क्रुद्ध बालक की गणित पुस्तिका में मिलूंगी – एक पाँव पर खड़ी – डगमग। मैं पूर्ण इकाई नहीं – मेरा अधोभाग मेरे माथे से सब भारी पड़ता है लोग मुझे मानते हैं ठीक ठाक अंग्रेजी में ‘प्रॉपर फ्रैक्शन’। अगर कहीं गलती से मेरा माथा मेरे अधोभाग से भारी पड़ जाता है लोगों के …

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